जीसैट-30 का वजन करीब 3,357 किलोग्राम |GSAT30 Satellite
- जीसैट-30 संचार सैटेलाइट है जो 15 साल के मिशन के लिए प्रक्षेपित किया गया है।
Edited By Vijay Sharma
वाशिंगटन, एजेंसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 17 जनवरी शुक्रवार को सुबह करीब दो बजकर 35 मिनट पर संचार उपग्रह जी-सैट30 ((GSAT30 Satellite)) का प्रक्षेपण यूरोपीयन स्पेस एजेंसी एरियनस्पेस के फ्रेंच के गुआना में एरियन-5 व्हीकल से सफलतापूर्वक कर दिया। इसके थोड़ी देर बाद यह व्हीकल से अलग हो गया और अपनी कक्षा की ओर बढ़ गया। ये सैटेलाइट इनसैट-4ए की जगह लेगा। जीसैट-30 का वजन करीब 3,357 किलोग्राम है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सैटेलाइट के सफल प्रक्षेपण के बाद कु-बैंड और सी-बैंड कवरेज में बढ़ोतरी होगी। इससे भारतीय क्षेत्र और द्वीपों के साथ बड़ी संख्या में खाड़ी और एशियाई देशों के साथ ऑस्ट्रेलिया में पहुंच बढ़ेगी। जीसैट-30 संचार सैटेलाइट है जो 15 साल के मिशन के लिए प्रक्षेपित किया गया है।
सैटेलाइट से इन सेवाओं में होगा फायदा | GSAT30 Satellite
इसरो ने इस सैटेलाइट को 1-3केबस मॉडल में तैयार किया है जो जियोस्टेशनरी ऑर्बिट के सी और कु-बैंड से संचार सेवाओं में मदद करेगा। इसरो के अनुसार इस सैटेलाइट की मदद से टेलीपोर्ट सेवा, डिजिटल सैटेलाइट न्यूज गैदरिंग, डीटीएच टेलिविजन सेवा, मोबाइल सेवा कनेक्टिविटी जैसे कई सुविधाओं को बेहतर करने में मदद मिलेगी। कु-बैंड सिग्नल से पृथ्वी पर चल रही गतिविधियों को पकड़ा जा सकता है।
इंटरनेट की दुनिया में क्रांति लाएगा GSAT-30
- देश के पुराना संचार उपग्रह ‘इनसैट सैटेलाइट’ की उम्र अब पूरी हो रही है।
- देश में इंटरनेट की नई-नई टेक्नोलॉजी आ रही है।
- ऑप्टिकल फाइबर बिछाए जा रहे हैं।
- 5G तकनीक पर काम चल रहा है।
- इस वजह से ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी।
- जीसैट-30 सैटेलाइट इन्हीं आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
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