एक बार गुरु और शिष्य कहीं बैठे हुए थे। तभी शिष्य ने गुरु से पूछा- ऐसा क्यों होता है कि जिन लोगों का व्यवहार कड़वा होता है, वे दूसरों के व्यवहार को भी कड़वा ही कहते है। गुरु ने कहा- ऐसे व्यक्ति की अपनी सोच के अनुसार होता है। जो व्यक्ति जिस तरह का होता है, उसे सभी वैसे ही दिखाई देते है। फिर उन्होंने शिष्य को एक कहानी सुनाई। एक पर्वत पर दो चीटियाँ रहती थी।
एक चींटी के पास शक्कर की खान थी और दुसरी चींटी के पास नमक की खान थी। एक दिन शक्कर के खान वाली चींटी ने दूसरी चींटी को निमंत्रण दिया कि मेरे यहाँ आओ। कब तक नमक की खान में पड़ी रहोगी। कभी तो अपना मुँह मीठा कर जीवन को सफल करो। दूसरी चींटी ने उसका निमंत्रण स्वीकार किया और उसके यहाँ गर्ई।
वह दिनभर शक्कर की खान में घूमती रही, लेकिन कुछ खा नहीं सकी। शाम को उसने पहली चींटी से कहा- बहन, यदि तुम्हारे पास शक्कर की खान नहीं थी तो मुझे बेकार में बुलाया क्यों? पहली चींटी समझ नहीं पाई कि आखिर उसे शक्कर की मिठास क्यों नहीं मिली। दूसरी चींटी अपनी बात पूरी करते हुए बोली- वह तो अच्छा हुआ जो मैं पहले से ही नमक का टुकड़ा अपने साथ लेकर आई थी। वरना आज तो मैं कुछ खा नहीं पाती। फिर गुरु ने कहा- हम भी अपने व्यवहार को हमेशा अपने साथ रखते हैं।
हम अपनी नजर से ही दूसरों को देखते हैं, जिससे हमें दूसरों का व्यवहार भी अपने जैसा ही नजर आता है। जो सज्जन होते हैं वे दया का, प्रेम का व्यवहार करते हैं। इसी कारण उन्हें हर व्यक्ति दयालु नजर आता है। जो दुर्जन होते हैं, वे अपने जैसा ही व्यवहार दूसरों में ढूँढ़ते हैं, इसलिए उन्हें सभी अपने जैसे ही नजर आते हैं। हमें वही प्राप्त होता है, जो हम चाहते हैं। जैसे हमारे मनोभाव होंगे, जिस तरह का हम व्यवहार करेंगे, वैसा ही हमारा जीवन होगा।
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