राज्य सरकार के कर्मचारी नियमों में बंधे
नई दिल्ली (एजेंसी)। राज्य सरकार और स्थानीय निकाय कर्मी जनगणना (Census ) और एनपीआर के आंकड़े जुटाने से इंकार नहीं कर सकेंगे। यदि वे ऐसा करते हैं तो उन्हें जेल की हवा खानी पड़ सकती है। क्योंकि वे सेंसस आफ इंडिया एक्ट, 1948 और सिटिजनशिपर रूल्स, 2003 से बाध्य होंगे। हालांकि इस दायरे में सिर्फ वही अधिकारी और कर्मी आएंगे, जिन्हें जनगणना आयुक्त और रजिस्ट्रार जनरल आॅफ सिटिजन रजिस्ट्रेशन को क्रमश: जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की प्रक्रिया में मदद करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
यह बाध्यता एनपीआर आंकड़ा जुटाते वक्त मकानों की सूची तैयार करने की जिम्मेदारी निभाने वाले कर्मचारियों और जनगणना अधिकारियों, दोनों के लिए है। भारतीय जनगणना अधिनियम के मुताबिक, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को अपने इलाके में जनगणना के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करना अनिवार्य है, जिनमें प्रमुख जनगणना अधिकारी, जिला एवं उप-जिला जनगणना अधिकारी, पर्यवेक्षक और प्रगणक शामिल हैं। इस अधिनियम की धारा 11 के तहत जनगणना प्रक्रिया में हिस्सा लेने से इनकार करने वाले सरकारी या अन्य कर्मचारियों को तीन साल की जेल या जुर्माने या जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
इन अधिकारियों को मिली जिम्मेदारियां | Census
गृह विभाग ने जनगणना के लिए संभागायुक्त से लेकर जोन कमिश्नर तक को अलग-अलग जिम्मेदारी बांट दी है। संभागायुक्त राजस्व संभाग की सीमाओं के भीतर संभागीय जनगणना अधिकारी की भूमिका निभाएंगे। वहीं जिला कलेक्टरों को जिला जनगणना अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई है। इनके अलावा जिला योजना एवं सांख्यिकीय अधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), तहसीलदार, अतिरिक्त व नायब तहसीलदार, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, नगर निगम के आयुक्त, जोन कमिश्नर (जहां लागू हो) और विशेष क्षेत्र में मुख्य कार्यपालन अधिकारी को संबंधित क्षेत्रों की सीमाओं की जिम्मेदारी दी गई है।
- सेंसस आफ इंडिया एक्ट, 1948 और सिटिजनशिपर रूल्स, 2003 के तहत कर्मी बाध्य
- 2021 में अप्रैल से सितंबर के बीच होगी मकानों की गणना
- मकान गणना के साथ जुटाए जाएंगे एनपीआर के आंकडे
- जनगणना में ड्यूटी से इंकार पर सिटिजनशिप रूप के नियम 17 में एक हजार रुपये जुर्माना संभव
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