आईएमएफ जनवरी में भारत के विकास दर का अनुमान घटाने के दिए संकेत (IMF)
वॉशिंगटन (एजेंसी)। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने जनवरी में भारत के विकास दर का अनुमान घटाने के संकेत देते हुए कहा है कि देश अच्छी खासी आर्थिक सुस्ती की चपेट में है और सरकार को प्रोत्साहन पैकेज बाँटने से बचना चाहिए। आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने सोमवार को यहाँ भारत पर मश्विरा रिपोर्ट जारी किया। इस मौके पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शुरूआती टिप्पणी में कहा गया है ‘भारत हाल के वर्षों में दुनिया की सबसे तेजी बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में रहा है जिससे लाखों लोगों को गरीबी से उबारने में मदद मिली है।
- अब वह अच्छी खासी आर्थिक सुस्ती के चंगुल में है।
- वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में विकास दर घटकर छह साल के निचले स्तर 4.5 प्रतिशत पर आ गयी है
- निजी घरेलू माँग में मात्र एक प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- अधिकतर संकेतक दिसंबर में भी आर्थिक गतिविधियों के कमजोर रहने की ओर इशारा कर रहे हैं।
वित्तीय क्षेत्र में जारी संकट के कारण निजी निवेश में बाधा
- आईएमएफ ने कहा है कि आर्थिक सुस्ती के कई कारण हैं।
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के ऋण उठान में अचानक आयी कमी एक महत्वपूर्ण कारक है।
- आमदनी में अपेक्षाकृत कम बढ़ोतरी – खासकर ग्रामीण इलाकों में – के कारण निजी उपभोग प्रभावित हो रहा है।
वित्तीय क्षेत्र में जारी संकट के कारण निजी निवेश में बाधा आ रही है और कारोबारी विश्वास कमजोर पड़ा है। आईएमएफ ने वस्तु एवं सेवाकर तथा अन्य ढाँचागत सुधारों में को लागू करने में रही कमियों के कारण भी आर्थिक सुस्ती गहराने की बात कही है। उसने कहा है कि इन कारकों को देखते हुए अक्टूबर में जारी भारत के विकास अनुमान में जनवरी में संशोधन संभव है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अक्टूबर में जारी रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष के लिए देश का विकास अनुमान सात फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया था।
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