सीनी. वैटरनरी डॉ. प्रवीण चोपड़ा ने पशु पालकों को योजनाओं से करवाया अवगत | Punjab Government Schemes
- असकैड स्कीम के अंतर्गत ब्लॉक स्तरीय पशु भलाई और जागरूकता कैंप आयोजित
बठिंडा/मौड़ मंडी। ‘‘कृषि धंधे के साथ जुड़े लोग पंजाब सरकार और पशु पालन विभाग की तरफ से (Punjab Government Schemes) समय -समय सिर चलाई जाती स्कीमों के अलावा पशुओं की संभाल संभाल और बीमारियों से बचाव की जानकारी लेकर पशु धन के जरिये अपनी घरेलू आर्थिक हालत में काफी सुधार कर सकते हैं।’’ उपरोक्त शब्द गांव राजगढ़ कुबे में पशुधन की संभाल संबंधी जानकारी के लिए डिप्टी डायरैक्टर पशु पालन विभाग बठिंडा डा. अमरीक सिंह के नेतृत्व में असकैड स्कीम के अंतर्गत लगाए गए ब्लॉक स्तरीय जागरूकता कैंप दौरान सीनीयर वैटरनरी डा. प्रवीण चोपड़ा ने कहे।
डॉ. चोपड़ा ने कहा कि देश के अनाज भंडार में सब से अधिक योगदान देने वाले पंजाब के किसान पशुओं के रख -रखाव में भी काफी रूचि रखते हैं। उन्होंने कहा कि पशु रखने वाले व्यक्ति यदि सरकार की ओर से चलाई जाती स्कीमों के अलावा पशुओं के साथ संबंधित मौसमी बीमारियों आदि संबंधी अपनी नजदीकी पशु डिस्पेंसरी से विशेषज्ञों की राय हासिल करते रहें तो उनको काफी फायदा मिलेगा। कैंप की समाप्ति पर 300 किसानों को पशुओं के लिए दवाएं बिल्कुल मुफ़्त बाँटी गई। आखिर में गाँव के गणमान्यजनों ने कैंप में आई डॉक्टरों की टीम का धन्यवाद किया।
दिसंबर-जनवरी माह में पशु पालक रखें इन बातों का खास ध्यान
- इस जागरूकता कैंप दौरान पशुओं के विशेषज्ञ डाक्टरों ने बैनर लगाकर पशु पालकों को जागरूक किया।
- दिसंबर -जनवरी माह में अधिक ठंड होने के कारण अपने पशुओं को सूखी जगह पर बांधें।
- उनके नीचे बिछवाई घास गीली हो जाये तो उसे तुरंत बदल दें।
- नवजात बछड़े ठंड में जल्दी निमोनिया का शिकार हो जाते हैं।
- इसलिए उन को साफ सुथरी और सूखी जगह पर बांधा जाये।
- इसके अलावा रात को पशुओं को अंदर और दिन समय पर धूप में बांधा जाये।
- जरूरत पड़ने पर शैड के दोनों तरफ पल्ली भी लगाई जा सकती है ।
- अधिक ठंड होने पर पशुओं पर झूल डाला जा सकता है।
- पेट का कीड़ा रहित करने के लिए कटड़ियों को समय पर दवा जरूर पिलानी चाहिए।
अंधविश्वास की जगह पशु विशेषज्ञों से करवाएं पशुओं का ईलाज
आम तौर पर पशुओं के बीमार होने पर अधिकतर पशु पालकों की ओर से अंध विश्वास के चलते टोने-टोटकों के द्वारा इलाज करवाने को पहल दी जाती है परंतु तब तक काफी देर होने के कारण बीमारी में विस्तार हो जाता है। इस जागरूकता कैंप दौरान पशुओं के माहिर डॉक्टरों ने उपस्थित लोगों को सलाह दी कि पशु बीमार हो जाने पर टोनों आदि की जगह किसी माहिर पशु डॉक्टर से पशु का इलाज करवाएं न कि भ्रमों में पड़ कर पशुओं की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जाए।
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