800 फुट गहरे बोर से ग्रामीणों की बुझेगी प्यास| Water Discover
अलवर, संजय मेहरा। ‘‘पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को, (Water Discover) उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते…।’’ कुछ इसी तरह की बातों से प्रेरणा लेकर जीतनराम मांझी के रूप में बुलंद हौंसले लेकर चले जुहेर अहमद के प्रयासों ने आज पूरे गाँव ही नहीं, बल्कि इलाके में उम्मीद की रोशनी जगाई और उस सपने को साकार कर दिया, जिसे देखते-देखते एक पीढ़ी आज बाल्यकाल से युवावस्था में आ चुकी है। वह सपना था पीने के पानी का।
बोरवेल का पानी आने पर खुशी का माहौल | Water Discover
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के अलवर जिले के विधानसभा क्षेत्र एवं तहसील किशनगढ़ बास के गाँव रानोली की। अपने किसी परिचित के साथ इस गाँव में जाना हुआ। हम गये किसी और कार्य से थे, लेकिन वहां जश्न का माहौल देखा।न तो कोई शादी समारोह था और न ही किसी के जन्म की खुशियां मनाई जा रही थी। पूछने पर पता चला कि गाँव में बोरवेल का पानी आने पर यह खुशी का माहौल है। इस खुशी में ग्रामीणों के अलावा रिश्तेदारों तक को आमंत्रित किया गया था।
- करीब 90 घरों वाले इस गाँव में ज्यादातर मुस्लिम आबादी है।
- दु:ख की बात यह है कि पिछले 23 साल से इस गाँव के लोग पीने के पानी को तरस रहे थे।
- उनकी जिंदगी इसी जद्दोजहद में कट रही थी कि आज का दिन तो निकल गया, कल पानी की व्यवस्था कैसे होगी।
- इस समस्या से पार पाने का बीड़ा उठाया गाँव के प्रमुख व्यक्ति जुहेर अहमद ने।
- गाँव में करीब आधा दर्जन स्थानों पर बोर करा चुके थे, लेकिन पानी नहीं मिल पाया।
- इस बारे में जुहेर क्षेत्र के विधायक, अधिकारियों को अवगत करा चुके थे, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
1000-1000 फुट बोर करके भी मिली थी निशाना | Water Discover
जुहेर अहमद बताते हैं कि एक-एक हजार फुट जमीन के नीचे बोर कराने के बाद भी पानी नहीं मिलने से उन्हें निराशा तो कई बार हुई, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। यानी वे हर बार हारे, फिर दुबारा से उठे और प्रयास शुरू किये। पहाड़ी इलाका होने की वजह से 100 फुट से भी अधिक गहरे तक तो इस गाँव में पत्थर ही हैं। जिन्हें बोर करते समय मशीन से बिल्कुल बारीक करके निकाला जाता। जुहेर अहमद का कहना है कि पानी नहीं मिलता है तो ऐसे लगता है जैसे कोई मौत हो गई हो।
अब 23 साल बाद उन्हें पानी मिला है तो सैकड़ों लोगों को जीवनदान मिला है। खुशी कई गुणा हो रही है। क्योंकि पानी ही जीवन है। लोग दूर से पानी देखने भी आ रहे हैं। सवा चार लाख रुपये खर्चा करके लोगों के लिए पीने के पानी, जमींदारों के लिए सिंचाई का पानी अब इस क्षेत्र में तरक्की के रास्ते खोलेगा।
हर सरकार, अफसर से खफा हैं जुहेर अहमद | Water Discover
- जुहेर अहमद हर सरकार और अफसर से खफा हैं।
- हो भी क्यों नहीं, भी किसी ने गाँव में आकर यह नहीं पूछा कि वहां क्या बिजली-पानी सही मिल रहे हैं। कोई दिक्कत तो नहीं।
- जब खुद चलकर अपने मुखियाओं तक बात पहुंचाई गई तो उनसे कोरे आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला।
- किसी ने भी इस समस्या को शायद समस्या माना हो।
- जनता की इस बड़ी समस्या का हल करना तो दूर, कभी किसी मंत्री, विधायक ने शिकायतें करने के बाद भी गाँव में आना तक मुनासिब नहीं समझता।
- ग्रामीण सिर्फ वोट बैंक के रूप में ही उपयोग किये जाते रहे हैं।
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