संविधान सभा के सदस्यों का पहला सेशन 9 दिसंबर 1947 को आयोजित हुआ |Indian constitution
Edited By Vijay Sharm
नई दिल्ली, सच कहूँ डेस्क। हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस (indian constitution) मनाया जाता है, इसी दिन भारत के संविधान मसौदे को अपनाया गया था। आज संविधान बने को 70 साल हो गए हैं। केंद्र सरकार ने 19 नवंबर, 2015 को राजपत्र अधिसूचना की सहायता से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया था। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होने से पहले 26 नवंबर 1949 को इसे अपनाया गया था। संविधान सभा के सदस्यों का पहला सेशन 9 दिसंबर 1947 को आयोजित हुआ, इसमें संविधान सभा के 207 सदस्य थे। संविधान की ड्रॉफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ बी आर अंबेडकर थे। इन्हें भारत के संविधान का निर्माता भी कहा जाता है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र है, इसके संविधान की कई खासियतें
आज से ठीक 70 साल पहले भारतीय संविधान तैयार करने एवं स्वीकारने के बाद से इसमें पूरे 100 संशोधन किए जा चुके हैं। संविधान निर्माता चाहते थे कि इसमें संशोधन आसान हो ताकि जरूरत के मुताबिक इसे ढाला जा सके। बेशक संविधान में मौजूद इस लचीलेपन ने हमें कई अधिकार दिए और देश के कमजोर तबकों को जागरुक और सशक्त बनाया, लेकिन आपातकाल के विवादास्पद प्रावधानों का दौर भी आया।
आइए जानते हैं भारतीय संविधान की खास बातें
- भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
- संविधान को 26 नवंबर 1949 को स्वीकार किया गया था लेकिन वह 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ।
- 11 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की बैठक में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया, जो अंत तक इस पद पर बने रहें।
- भारत के नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, पद, अवसर और कानूनों की समानता, विचार, भाषण, विश्वास, व्यवसाय, संघ निर्माण और कार्य की स्वतंत्रता, कानून तथा सार्वजनिक नैतिकता के अधीन प्राप्त होगी।
- इसमें अब 465 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं और ये 22 भागों में विभाजित है परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियां थीं।
- संविधान की धारा 74 (1) में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति की सहायता को मंत्रिपरिषद् होगी जिसका प्रमुख पीएम होगा।
- वास्तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद् में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री है जो वर्तमान में नरेंद्र मोदी हैं।
- ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया।
- भारत का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है, यह न तो किसी धर्म को बढ़ावा देता है, न ही किसी से भेदभाव करता है।
- भारत एक स्वतंत्र देश है, किसी भी जगह से वोट देने की आजादी, संसद में अनुसूचित सामाजिक समूहों और अनुसूचित जनजातियों को विशिष्ट सीटें आरक्षित की गई है।
- भारत के राष्ट्रपति पांच वर्ष की अवधि के लिए चुनावी प्रक्रिया से चुना जाता है।
- राज्य अपना पृथक संविधान नही रख सकते है, केवल एक ही संविधान केन्द्र तथा राज्य दोनो पर लागू होता है।
सबसे विवादास्पद संशोधन
इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए आपातकाल (25 जून 1975-21 मार्च 1977) के दौरान किया गया 42वां संविधान संशोधन भारतीय इतिहास में सबसे विवादास्पद संशोधन था। इसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कानूनों की वैधता ठहराने संबंधी संवैधानिक अधिकारों में कटौती की गई। संसद को संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित करने का अबाध अधिकार मिल गया। लोकतांत्रिक अधिकारों की कटौती कर प्रधानमंत्री कार्यालय को अत्यधिक अधिकार मिल गए। देश के प्रति भारतीय नागरिकों के मूलभूत कर्तव्य इसमें बताए गए। राज्यों से और अधिकार लेकर केंद्र को दे दिए गए और इस प्रकार देश के संघीय ढांचे से छेड़छाड़ की गई। इतना ही नहीं संविधान की प्रस्तावना में संप्रभु, समाजवादी, लोकतांत्रिक गणराज्य में धर्मनिरपेक्ष शब्द भी डाल दिया गया। संशोधन इतने व्यापक थे कि इसे ‘मिनी संविधान’ या ‘इंदिरा संविधान’ तक कहा गया।
कुछ और महत्वपूर्ण संशोधन
- 1950 में पहला संविधान संशोधन: मूलभूत अधिकारों खासतौर पर समानता का अधिकार लागू करने में आ रही कुछ व्यावहारिक दिक्कतों को दूर करने के लिए किया गया था।
- 1955 में चौथा संशोधन : संपत्ति, व्यापार और वाणिज्य से संबंधित कुछ अधिकारों के प्रावधान जोड़े गए।
- 1956 में सातवां संशोधन : विशाल भारत के लिए राज्यों के पुनर्गठन को संभव बनाने के लिए किया गया।
- 1971 में 26वां संशोधन : पूर्व रियासतों के राजकुमारों को दिया जाने वाला प्रिवी पर्स खत्म किया। इसके तहत उन्हें बड़ी राशि और सुविधाएं मिलती थी।
- 1973 में 31वां संशोधन : लोकसभा की सदस्य संख्या 525 से बढ़ाकर 545 की गई।
- 1976 में 39वां संशोधन : राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव को चुनौती न दे सकने का प्रावधान।
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