- सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया 3:2 का बहुमत का फैसला
- सबरीमाला मामले में पूर्व के फैसला फिलहाल लागू रहेगा
- मंदिर और मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश का मामला वृहद पीठ के सुपुर्द।
- 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दी थी
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ केरल के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे
- फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई, कोर्ट ने 6 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था
- इसी साल जनवरी में 2 महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश किया, बाद में मंदिर का शुद्धिकरण किया गया
नई दिल्ली (Agency) उच्चतम न्यायालय ने सबरीमला मामले में जजों की बेंच में से 3 जजों का मानना था कि इस मामले को सात जजों की बेंच को भेज दिया जाए। लेकिन जस्टिस नरीमन और जस्टिस चंद्रचूड़ ने इससे अलग विचार रखे। अंत में पांच जजों की बेंच ने 3:2 के फैसले इसे 7 जजों की बेंच को भेज दिया। हालांकि, सबरीमाला मंदिर में अभी महिलाओं की एंट्री जारी रहेगी। जस्टिस नरीमन ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही अंतिम होता है। फैसला अनुपालन करना कोई विकल्प नहीं है। संवैधानिक मूल्यों की पूर्ति करना सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए।
केरल के 800 साल पुराने सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple) में महिलाओं को प्रवेश दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाएगा। अदालत ने 28 सितंबर 2018 को 4:1 के बहुमत से मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दी थी। इसके बाद केरल के कई जिलों में फैसले के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। फैसले पर 56 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई थी। कुल 65 याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। इन पर 6 फरवरी को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा भी शामिल हैं।
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