प्याज से जनता त्रस्त, हरियाणा सरकार मंत्रीमंडल में व्यस्त
सरसा (सच कहूँ/दीपक त्यागी)। हाल ही में हरियाणा और महाराष्टÑ में विधानसभा चुनाव हो चुके हंै। हरियाणा में भाजपा और जजपा की सरकार बनी है परंतु महाराष्टÑ में मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना में रार बढ़ी हुई है। मंत्रिपद को लेकर जहां सरकार और गठबंधन के बीच खीचतान चल रही है वहीं देशभर में प्याज के बढ़ते दाम के कारण जनता त्रस्त दिखाई दे रही है। इन चुनावों में जहां जनता ने ये सोच कर अपना वोट दिया था कि उन्हें महंगाई से राहत मिलेगी लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है।
हरियाणा और पंजाब समेत देश के कई हिस्सों में एक बार फिर प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं। अभी हाल ही में रसोई गैस की बढ़ी कीमतों से जनता परेशान थी कि एक बार फिर प्याज के दाम 75-80 रुपये प्रति किलो के पार हो गए हंै। दिल्ली से लेकर मुंबई और देहरादून से लेकर चेन्नई तक के बाजारों में प्याज के दाम बढ़ते जा रहे हैं। जिससे एक बार फिर आम जनता में सरकार के प्रति रोष पनपने लगा है। वहीं खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय में की मीटिंग हुई। इसमें प्याज की सप्लाई बढ़ाने, आयातित प्याज को खुले मार्केट में जल्द लाने और जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार हुआ।
गौरतलब है कि चीन के बाद सबसे ज्यादा प्याज उत्पादन भारत में होता है। भारत प्याज का एक बड़ा निर्यातक भी है। कुल उत्पादन का 7 से 11 फीसदी प्याज निर्यात किया जाता है। प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, कनार्टक तथा राजस्थान में बेमौसम बारिश से प्याज की फसल को नुकसान हुआ है जिस कारण इसकी कीमतों में फिर तेजी आई है। दिल्ली एनसीआर में प्याज की फुटकर कीमतें बढ़कर फिर से जबकि प्रमुख महाराष्ट्र की मंडियों में महीनेभर में ही इसकी कीमतों में 35 से 38 फीसदी की तेजी आ चुकी है।
केन्द्र की तरफ से ही प्याज की कीमतों को कंट्रोल करने के लिए काम किया जाता है यह स्टेट सब्जेक्ट भी नहीं है। जहां तक केन्द्र की तरफ से जारी किए जाने वाली हिदायते है उन पर पूरी तरह से नजर रखी जा रही है और नियमों से अधिक प्याज कक स्टोरेज नहीं करने दी जा रही है।
भारत भूषण आशु,
सिविल खुराक सप्लाई मंत्री पंजाब
उत्पादक राज्यों में मौसम खराब होने के कारण प्याज की फसल को नुकसान हो रहा है। लगातार हो रही बारिश से खेतों से प्याज की निकासी नहीं हो रही है, जिस कारण मंडी में दैनिक आवक नहीं बढ़ पा रही है। मौसम साफ होने के बाद ही प्याज की आवक बढ़ेगी, तभी कीमतों में गिरावट आने का अनुमान है। आजादपुर मंडी में मंगलवार को प्याज के भाव 20 से 62.50 रुपये प्रति किलो हो गए।
उमेश अग्रवाल, दिल्ली की आजादपुर मंडी के प्याज के थोक कारोबारी
नई खेप आएगी तो घटेंगे दाम!
आज हम 21वीं सदी में जी रहे है हर बार इन मौसम में प्याज महंगा होता है परंतु आज तक किसी भी सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए है। जनता चाहती है इस पर सरकार कोई ठोस कदम उठाए। अलवर और नासिक से आने वाले प्याज की खेप पर मंडी के रेट तय होते हैं। व्यापारियों का माना है कि प्याज की सप्लाई काफी कम है। मौसम में आए परिवर्तनों की वजह से कई बार मंडी में प्याज कभी कम तो कभी ज्यादा पहुंच रहा है। पिछले कई दिनों से प्याज के रेट काफी अधिक थे, लेकिन अब उम्मीद है कि नई खेप आने से मंडी में रेट संतुलित होंगे।
कब-कब रहा प्याज का संकट
नवंबर 2010 : नाशिक में कई इलाकों में अत्यधिक बारिश के कारण प्याज मंडियो में प्याज की सप्लाई में देरी हुई। तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने तुरंत फैसला लेते हुए निर्यात पर रोक लगाई, आयात शुल्क घटाया और पाकिस्तान से आयात किया। 2013 और 2015 में : 2013 और 2015 में कई बार प्याज के दाम काफी ऊपर पहुंचे। दिल्ली में 2015 में खुदरा बाजार में प्याज 80 रुपये प्रति किलो के दाम पर बिक रहा था। उस वक्त सरकार ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आयात कर स्थिति पर काबू पाया था। मौजूदा सरकार ने भी प्याज के आयात पर रोक लगाई हुई है।
आपके क्षेत्र में प्याज का रेट
- क्षेत्र कि.ग्रा.
- जयपुर 80-100
- सरसा 70-80
- हिसार 60-70,
- करनाल 60-70
- भिवानी 80-85
- कैथल 50-60
- लुधियाना 70-80
- चंडीगढ़ 80-90
- दिल्ली एनसीआर 75-90
- भटिंडा 50-65
- मुक्तसर 60-70
- मेरठ 50-60
- श्रीगंगानगर 50-60
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