40 रुपए प्रतिकिलो की दर से बिकने वाला पपीता वर्तमान में 100 रुपए पर जा पहुंचा
जोधपुर (एजेंसी)। डेंगू के डंक से आहत मारवाड़ के लोगों को राहत पहुंचाने में मददगार साबित हो रहा पपीता अब आसमान पर जा चढ़ा है (Increase Papaya Rates)। अमूमन 30 से 40 रुपए प्रतिकिलो की दर से बाजार में बिकने वाला पपीता वर्तमान में 100 रुपए पर जा पहुंचा है। डेंगू रोगी की प्लेटलेट्स बढ़ाने में सहायक पपीता आमजन की पहुंच से दूर होता जा रहा है। पपीता के दाम बढऩे का कारण इसकी आवक कम होना व डेंगू बीमारी बताई जा रही है।
80 से 100 रुपए किलो तक बिक रहा है
- जोधपुर में प्रमुखतया जालोर व जोधपुर जिले के रामपुरा, तिंवरी व मथानिया क्षेत्रों से देशी पपीता आता है।
- इन क्षेत्रों से पपीता की आवक बंद हो गई है।
- गत बारिश की सीजन में अधिकांश पपीता की फसल खराब हो गई।
- इसका प्रभाव गुजरात से आने वाली पपीता की फसल पर पड़ा और वर्तमान में आ रही फसल की आवक कम हो गई।
- बाजार में कम आवक व ज्यादा खपत के कारण 30 से 40 रुपए बिकने वाला पपीता इन दिनों 80 से 100 रुपए किलो तक बिक रहा है।
तीन गुना कम हुई आवक |Increase Papaya Rates
बारिश से नष्ट हुई फसल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में पपीता की आवक तीन गुना कम हो गई है। फल विक्रेताओं के अनुसार जहां 2-3 माह पूर्व पपीता की प्रतिदिन आवक करीब 60 टन हुआ करता था, वहीं अब पपीता एक दिन छोडकऱ आ रहा है। वर्तमान में पपीता करीब 20 टन आ रहा है।
डेंगू उपचार में सहायक| Increase Papaya Rates
- पाचन के लिए जिस फल का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है वह पपीता है।
- डेंगू बीमारी जो कि एक प्रकोप के रूप में मारवाड़ में फैल रही है, उसमें भी इस फल का बहुतायत में उपयोग किया जाता है।
- लेकिन पिछले करीब एक माह से इस फल के दाम आसमान छू रहे हैं।
- डेंगू बीमारी के रोगियों को पपीता, पपीता के पत्तों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
बारिश से पपीता उत्पादन क्षेत्रों मे फसल खराब हो गई है। आवक कम होने से पपीता के भाव तेजी पर है। दीपावली के बाद नई आवक से भावों में कमी आने की उम्मीद है।
मो. इकबाल, फल विक्रेता
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