रोष। हड़ताल से सरकारी खजाने को लग रहा रगड़ा, आमजन को उठानी पड़ रही परेशानियां | Protest
बठिंडा(सच कहूँ/अशोक वर्मा। )। कर्मचारी मंच पंजाब और यूटी के आह्वान पर कर्मचारियों की ओर से (Protest) कलमछोड़ हड़ताल के कारण सारा कामकाज ठप्प हो कर रह गया है। कर्मचारियों का कहना है कि वह इस प्रदर्शन के रास्ते को अपनाना नहीं चाहते थे लेकिन सरकार के कथित अड़ियल रवैये ने उनको मजबूर कर दिया है। कर्मचारी नेता रणजीत सिंह ने आरोप लगाया कि साल 2017 की विधान सभा चुनावों मौके कर्मचारियों के परिवारों की वोटों बटोरने खातिर वेतन आयोग व डीए हाथों-हाथ देने के वायदे कर मुख्य मंत्री बने कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अब कर्मचारियों को डीए देने से ही हाथ खींच लिया है। उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार ने अपने अब तक के राज दौरान कुछ देने की जगह उल्टा विकास कर के रूप में नया टैक्स थोप कर कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ डाल दिया है।
कर्मचारी नेता सुखदेव सिंह ने बताया कि सरकार ने जहां कर्मचारियों को जुलाई 2018 से जुलाई 2019 तक की डीए की तीन किश्तों से वंचित रखा हुआ है, वहीं डीए का कई महीनों का बकाया भी सरकार दबाए बैठी है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों पर अभी तक वेतन आयोग की रिपोर्ट भी लागू नहीं की और उल्टा 6वें वेतन आयोग की मियाद बढ़ाकर कर्मचारियों को ठेंगा दिखाने का फैसला लिया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगों का जल्दी निपटारा न किया गया तो संघर्ष तेज किया जाएगा, जिसके निष्कर्षों से सरकार जिम्मेवारी होगी।
सरकार की दोगली नीति हुई जग-जाहिर | Protest
जिला प्रशासनिक कॉम्प्लैक्स में बैठे हड़ताली कर्मचारियों के साथ बैठे पंजाब स्टेट मनिस्ट्रीयल सर्विसिज यूनियन के सरप्रस्त हरबंस लाल ने कहा कि संगठनों के साथ मीटिंग दौरान वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने खजाने की मंदी हालत बहाने डीए के बकाए देने से असमर्थता जताते वेतन व पैंशनें भी बहुत मुश्किल से देने संबंधी कहा था। वहीं दूसरी तरफ उच अधिकारियों को डीए की किश्तों के साथ देने के आदेश जारी किए हैं, जिन्होंने साबित कर दिया है कि अधिकारियों के लिए खजाने भरपूर हैं जबकि निचले कर्मचारियों के लिए सरकार कंगाल है।
सरकार तत्काल तौर पर माने मांगें | Protest
कर्मचारी नेता गुरतेज सिंह आदि ने सरकार से 200 रूपये विकास टैक्स खत्म करने, कैशलैस हैल्थ स्कीम लागू, कच्चे और आउट सोर्सिंग के द्वारा भर्ती कर्मचारी पके, महँगाई भत्ते का सारा हिसाब किताब साफ, 6वें वेतन आयोग की रिपोर्ट लेकर लागू करना, परखकाल को क्वालीफाई सेवा मानना, साल 2015 में प्राथमिक वेतन वाला कानून वापिस लेने और समान काम समान वेतन के सिद्धांत को लागू करने के अलावा कर्मचारियों की समूह मांगें मानने की मांग की।
- हड़ताल कारण लोग अपने-अपने काम धंधे करवाने खातिर इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर हैं।
- अगले दो दिन छुट्टी होने के कारण दफ़्तर बंद रहेंगे।
- यदि कर्मचारियों ने सोमवार से हड़ताल बढ़ा दी तो लोगों की परेशानियों में ओर भी विस्तार होगा।
- हड़ताल कारण संपत्ति की रजिस्ट्रियां नहीं हो रही,
- जिस कारण भी सरकारी खजाने को भी रगड़ा लगने लगा है
- फिर भी सरकार के कानों पर जूं नहीं सरक रही है।
- इसके अलावा हथियार लाईसंस, जन्म-मृत्यु के सर्टीफिकेट, मैरिज रजिस्ट्रेशन और
- एससी,बीसी सर्टिफिकेट बनाने में परेशानी आ रही है।
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