मंडियों में नरमे का सरकारी भाव 5400 लेकिन लोकल व्यापारी पांच हजार रूपये प्रति क्विंटल से भी सस्ता खरीद रहे नरमा| ‘White Gold’
- सरकारी खरीद एजेंसी ‘सीसीआई’ मंडियों से गायब,
- किसानों को बनाया जा रहा अपनी लूट का शिकार
बठिंडा/संगत मंडी(सच कहूँ/मनजीत नरूआणा)। बेशक मालवा की मंडियों में नरमे की आमद (White Gold) रोज बड़े स्तर पर हो रही है परंतु सरकारी खरीद एजेंसी भारतीय कपास निगम (सीसीआई) के मंडियों में से गायब होने के कारण व्यापारियों की तरफ से प्रतिदिन किसानों को मोटा चूना लगाया जा रहा है। सरकार की ओर से इस बार नरमे का सरकारी भाव 5400 रूपये तय किया गया है परंतु लोकल व्यापारियों की ओर से किसानों का नरमा पांच हजार रूपये प्रति क्विंटल से भी सस्ता खरीद कर हर रोज हजारों रुपया का चूना लगाया जा रहा है।
संगत मंडी में हर रोज एक हजार क्विंटल से अधिक नरमा बिकने के लिए आता है परंतु मजबूरी वश किसान सीसीआई के न होने के कारण नरमे को सस्ते भाव पर बेच कर घरों को चले जाते हैं। किसानों का कहना था कि पिछली बार नरमें का भाव पांच हजार से अधिक था और खर्च कम थे परंतु इस बार नरमें का भाव पिछली बार के मुकाबले सस्ता है और खर्च बढ़गए हैं, जिस कारण किसानों सिर महंगाई की दोहरी मार पड़ रही है। दीवाली के त्यौहार को मुख्य रखते किसानों की ओर से अपने घर की कबीलदारी चलाने के लिए जितना नरमा चुगा है उसे मजबूरी वश बेचने के लिए मंडियों में लेकर आ रहे हैं।
क्या कहते हैं मार्केट समिति के सचिव सुखजीवन सिंह| White Gold
जब इस संबंधी मार्केट समिति संगत के सचिव सुखजीवन सिंह के साथ फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि सरकारी खरीद एजेंसी सीसीआई ने नरमे की खरीद शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि सीसीआई के अधिकारी नरमे की खरीद फैक्ट्री में बैठ कर ही करेंगे वह मंडी में नहीं जाएंगे। उन्होंने बताया कि जो किसानों की तरफ से मंडी में ढेरी लगा कर अपना नरमा रखा जाता है वह उस किसान का नरमा नहीं खरीदेंगे, इसलिए जिन किसानों ने सीसीआई को अपना नरमा देना है वह अपने साधनों द्वारा सीधा फैक्ट्री में नरमे को ले जाएं।
क्या कहते हैं किसान नेता दर्शन सिंह| White Gold
- जब इस संबंधी किसान नेता दर्शन सिंह का कहना था मंडियों में नरमा लगभग आध से अधिक आ चुका है
- अभी तक सरकारी खरीद एजेंसी सीसीआई को आने की अभी तक हिदायतें ही दी जा रही हैं
- सीसीआई के अधिकारी एक फैक्ट्री में बैठते हैं, जहां किसान की तरफ से लाई नरमे की फसल को चैक किया जायेगा
- यदि उनके मापदंडों पर फसल सही उतरती है तब ही खरीदी जाऐगी नहीं तो किसान वापिस लेजाने के लिए मजबूर होंगे।
- चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि सरकार की तरफ से सीसीआई को मंडियों में जल्द न भेजा तो
- वह किसान संगठनों को साथ लेकर तीखा संघर्ष शुरू करने के लिए मजबूर होंगे।
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