सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट की वाजिब चिन्ता

Supreme court

सूचना – क्रांति के क्षेत्र में कंप्यूटर, मोबाइल एवं इंटरनेट की खोज को मानव जीवन के लिए अभूतपूर्व क्रांति कहा जा सकता है। इसके माध्यम से आज पूरी दुनिया के बीच की भौगोलिक दूरी मिट चुकी है और वह मुट्ठी में समा गयी है। सोशल मीडिया का भी इसमें बहुत बड़ा योगदान है। इंटरनेट और सोशल मीडिया ने मानव समाज के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। मानव जीवन का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं रहा। शिक्षा, स्वास्थ्य, कारोबार, मनोरंजन आदि क्षेत्रों को इसने व्यापक पैमाने पर प्रभावित किया है। लेकिन जिस इंटरनेट और सोशल मीडिया ने मानव जीवन को सुगम एवं द्रुतगामी बनाया वही अब परेशानी का सबब बनता जा रहा है।

यही कारण है की सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट और सोशल मीडिया के बढ़ते दुरूपयोग पर चिंता जताते हुए इसके नियमन के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया है। आज सोशल मीडिया मानव जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। आज व्यक्ति अपना अधिकांश समय सोशल मीडिया पर ही बिता रहा है। सूचना और संचार के नए दौर में सोशल मीडिया अभिव्यक्ति के एक सशक्त माध्यम के रूप में उभर कर सामने आया है। सोशल मीडिया का फलक बहुत विस्तृत है, जिसमें निरंतर इजाफा हो रहा है। सोशल मीडिया की भूमिका बहुआयामी है। कहना गलत न होगा सोशल मीडिया समाज का एक नया चेहरा गढ़ने में लगा है।

साथ ही इसने न केवल लोकतान्त्रिक मूल्यों को मजबूती प्रदान की है। सोशल मीडिया समाज में न सिर्फ अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाई है। सबसे खास बात यह है कि सोशल मीडिया ने जन-जागरूकता को तो बढ़ाया ही है, सामाजिक स्तर पर लोगों को इसने सक्रिय भी बनाया है। यही कारण है सामाजिक सरोकारों के प्रति लोगों में एकजुटता बढ़ी है। इसके माध्यम से खबरों की रफ्तार और दायरा बढ़ा है और स्थानीय खबरें भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। इसने भ्रष्टाचार और शोषण को भी उजागर करने में महती भूमिका निभाई है। लेकिन सोशल मीडिया का दुरूपयोग भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके माध्यम से अश्लीलता का प्रसार बड़े व्यापक पैमाने पर हो रहा है एवं निजता का भी हनन हो रहा है।

सोशल मीडिया के माध्यम से उन्मुक्त और अमर्यादित अभिव्यक्ति भी बढ़ी है। कुछ लोग अपने विचार रखते हुए अपना संयम खो देते हैं और अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। इन्हीं वजहों से सोशल मीडिया के नियमन की बात उठ रही है। यह उचित नहीं है कि सोशल मीडिया का लाभ उठाकर कुछ भी टिप्पणी कर दी जाए या इसकी आड़ में अश्लीलता और अभद्रता को बढ़ावा दिया जाए। ऐसी बातों से सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है। इससे विश्वसनीयता का भी संकट बढ़ा है। यही कारण है कि सोशल मीडिया विवादास्पद होता जा रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से बढ़ती हुए ऐसी प्रवृत्तियों पर तो अंकुश जरुरी है। सोशल मीडिया की अनेक उपयोगिताएँ है।

इंटरनेट और सोशल मीडिया का जाल पूर्णत: स्वतंत्र एवं विश्वव्यापी है अतैव इस पर नियंत्रण रख पाना एक बड़ी चुनौती है. इस समस्या से भारत ही नहीं अपितु पूरा विश्व चिंतित है। जहाँ तक इससे निपटने का प्रश्न है तो यह अकेले भारत के वश की बात नहीं है क्योंकि इनका क्षेत्र विश्वव्यापी है। इससे निपटने के लिए एक मजबूत अंतर्राष्ट्रीय कानून की जरुरत तो है ही, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा का एक मजबूत तंत्र भी विकसित किए जाने की जरुरत है। इसमें भारत सहित विश्व के सभी देशों को सहयोग देना होगां यह सम्मिलित पहल जितनी जल्दी हो उतना ही बेहतर होगा।

अमेरिकी संसद ने कंपनियों के प्रमुखों को ठोस पहलकदमी का आदेश दिया है। आॅस्ट्रेलिया में इस साल कानून लागू हुआ है कि दुरुपयोग को न रोक पाने पर कंपनियों के शीर्ष अधिकारी दंडित होंगे। रूस और चीन में भी कड़े कानून हैं। हमारे देश में नियमन पर विचार करते हुए इन देशों के अनुभवों का लाभ उठाया जा सकता है। कंपनियों समेत जो लोग नियमन का विरोध कर रहे हैं, उन्हें इतिहास से जानना चाहिए कि जब भी संचार की नयी तकनीक आती है, तो एक समय के बाद समाज की बेहतरी को देखते हुए उसके बारे में कानूनी व्यवस्था की जाती है। अत: सोशल मीडिया का नियमन भी जरूरी है।

भारत में भी आईटी एक्ट है, लेकिन ये कानून बहुत स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा ज्यादातर राज्यों की पुलिस या अन्य जांच एजेंसियों को आईटी एक्ट के बारे में बहुत कम जानकारी है। यही वजह है कि देश में अब भी साइबर क्राइम के ज्यादातर मामले आईटी एक्ट की जगह आईपीसी के तहत दर्ज किए जाते हैं। पुलिस के अलावा भारत में ज्यादातर सोशल मीडिया यूजर्स को भी आईटी एक्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में लोग बिना सोचे-समझे किसी भी वायरल पोस्ट को फारवर्ड कर देते हैं। अत: सोशल मीडिया के नियमन के लिए एक सशक्त कानून के साथ-साथ लोगों में उसके प्रति जागरूक करने की भी आवश्यकता है।

सुनील तिवारी

 

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