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आपको ऐसा क्यों लगता है, कैदियों के मसले पर दोनों मुल्क राजनीति करते हैं?
सरबजीत सिंह के मसले पर राजनीति ही आड़े आई थी, नहीं तो मेरा भाई आजाद होता। देखिए, जो हुआ सो हुआ? मैं उसपर नहीं जाना चाहती। लेकिन अब पाकिस्तानी जेलों में बंद हमारे कैदियों को छुड़वाने के लिए केंद्र सरकार को ईमानदारी से कोशिशें करनी चाहिए। इस मसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, अगर राजनीति न की गई होती तो शायद आज मेरा भाई हमारे बीच होता। जाधव के मसले पर मैंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से विनती की है। जब सुषमा स्वराज विदेशमंत्री थी, उनको मैंने करीब तीन सौ कैदियों की लिस्ट दी थी। हिंदुस्तान की विभिन्न जेलों में भी सैकड़ों पाकिस्तानी कैदी ऐसे हैं जिनका गुनाह उनकी सजा से कहीं कम है। मैं उनको आजाद करने की मांग करती हूं। यही मांगे मैंने पाकिस्तान सरकार के समक्ष भी रखीं हैं।
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पिछले साल इस मसले को लेकर पूरे देश में भ्रमण भी किया था?
जी हां! पिछले साल मैं कई राज्यों में गई थी। जिनके परिवारों के लोग पाकिस्तानी जेलों में बंद हैं उनसे मिली, उसके बाद एक लिस्ट तैयार की। जिसे मैंने सरकार को सौंपी थी और वही लिस्ट मैंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भी भेजी है। लेकिन इस वक्त दोनों मुल्कों में तनातनी का माहौल उत्पन्न है इसलिए मुझे ज्यादा उम्मीद नहीं है कि दोनों तरफ के नेता गौर करेंगे? भारत-पाकिस्तान की जेलों में सालों से कैद सभी कैदियों की लिस्ट मेरे पास है। सभी के केस मैँने देखे हैं। अधिकांश कैदी बेकसूर हैं। उनको छुड़ाने का मेरा प्रयास निरंतर जारी रहेगा।
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उम्मीद नहीं है तो फिर लड़ाई लड़ने का क्या मतलब?
कोशिश करते रहना इंसान की फितरत में होना चाहिए। मेरे भाई सरबजीत सिंह को मारने में जितना रोल पाकिस्तान का रहा था, उतना ही किरदार उस वक्त की सरकार ने भी बखूबी निभाया था। भाई को बचाने के लिए मैंने हर नेता-अधिकारी की चौखट पर नाक रगड़ी। मेरी मौजूदगी का आभास होते ही, चपरासियों से मना करा दिया जाता था। कोई मुझे मिलने का समय नहीं देता था। जो मिलने का समय दे भी देता था तो उनके मुंह से एक शब्द निकलता था, मैं देखता हूं!
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केंद्र सरकार ने उदारता का परिचय हमेशा दिया। पर, पाकिस्तान ने बदले में धोखा ही दिया?
बिल्कुल सच बात है। बिना सबूत के सैकड़ों मछुआरे इस समय पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में बंद हैं। केंद्र सरकार को पाकिस्तान पर ज्यादा भरोषा नहीं करना चाहिए। कैदियों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव डालना चाहिए। मैं नहीं चाहती हूं कि मेरे भाई सबरजीत की तरह किसी दूसरे का भाई भी दोनों मुल्कों के बीच सियासत की कूटनीतिक चक्की में पिसे। पाकिस्तान की अदालत ने बिना सबूत के हमारे पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को फांसी के तख्ते पर लटकाने का आदेश दिया है। यह उनकी सरासर गुंडागर्दी है। जाधव के खिलाफ मांगे गए सबूतों पर भी आनाकानी की जा रही है। मैं पाकिस्तानी हुकूमत से हाथ जोड़कर विनती करना चाहूंगी, बेकसूर लोगों को मारना बंद कर दें। मेरे भाई को मार दिया, प्लीज दूसरे भाईयों की जिंदगी बख्श दो।
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किस हाल में है अब सबरजीत का परिवार ?
सरबजीत की बड़ी बेटी स्वपनदीप नौकरी करती हैं और छोटी बेटी पूनमदीप को उस समय राज्य सरकार ने नौकरी देने का वादा किया था जो अभी तक पूरा नहीं किया। सबरजीत की बीवी सुखप्रीत कौर अपने पति के साथ बिताए लंम्हों के सहारे जीती हंै। स्थानीय प्रशासन ने परिवार की तरफ से अब मुंह फेर लिया है। किसी तरह की कोई सरकारी सहायता मुहैया नहीं कराई जाती। सरकार की तरफ से बिजली का बिल माफ करने को कहा गया था, वह भी नहीं किया गया। आस-पड़ोस के लोग सहानुभूति के साथ बर्ताव करते हैं। मैं अपने सामाजिक कामों में व्यस्त रहती हूं। लोगों को मेरे से बहुत उम्मीदें हैं। असहाय लोगों का मेरे यहां आना-जाना लगा रहता है। उनके सहयोग के लिए मैं दौड़ती रहती हूं।
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सबरजीत की लड़ाई ने आपको समाजिक बुराईयों से लड़ने की नई ताकत दी है?
रोते हुए, सबरजीत मुझे बुराईयों से लड़ने की वह ताकत दे गया है जिसे मैं खुद से कभी नहीं पा सकती। खुद तो खाक हो गया, लेकिन अपनी बहन को दूसरों को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष की राह दिखा गया। पाकिस्तान की कोर्ट ने जब उन्हें फांसी की सजाई थी, तो उनके फैसले के खिलाफ जनमानस में आक्रोश था। इसके बाद पाकिस्तान की सरकार ने कूटनीतिक दबाव के चलते फांसी अनिश्चितकाल तक के लिए टाल दी थी। सरबजीत ने अपने वकील अवैस शेख के माध्यम से एक मार्मिक चिट्ठी लिखकर हमें संकेत दे दिया था कि ये किसी हाल में उसे जिंदा नहीं छोड़ेंगे। वह चिट्ठी हमने उस वक्त की सरकार को भी सौंपी थी। हमें उम्मीद जगी कि भाई वापस आएगा। हम राह ताकने लगे थे। लेकिन वहां के काफिरों ने राहों पर कांटे बो दिए।
-रमेश ठाकुर
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