Proper & Sustainable Agricultural Policy – Need of the Hour
प्याज की बढ़ रही कीमतों ने जहां जनता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं वहीं देश की कृषि नीतियों (Sustainable Agricultural Policy) पर भी सवाल उठने लगे हैं। प्याज की कीमतों का राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। यहां तक कि कई बार कीमतों में वृद्धि से सरकारें भी गिर चुकी हैं, यहां राजनीति की बजाए ज्यादा महत्वपूर्ण जनता की जरूरतें हैं, जिसका सीधा संबंध मार्केट में उपलब्ध सब्जियों व कृषि नीतियों से है। प्याज की कृषि महाराष्ट, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में होती है। इस बार कहा जा रहा है कि मानसून की भरपूर बारिश के कारण सप्लाई प्रभावित हुई है। मार्किट में सप्लाई कम होने से उत्तरी राज्यों में प्याज सबसे ज्यादा महंगा हो रहा है। दिल्ली में प्याज की कीमत 70-80 रुपए तक पहुंच गई है, अन्य राज्यों में भी कीमत 60 रुपए से कम नहीं।
सप्लाई की कमी की हालत में सरकार प्याज स्टोर करने की सीमा तय कर कीमतों को कम करने की कोशिश करती है, लेकिन यह कदम स्थायी समाधान नहीं। दरअसल सरकार की अपनी कृषि नीतियों में ही विरोधाभाष है। एक ओर केंद्र सरकार पंजाब, हरियाणा में गेहूँ और धान के क्षेत्र को घटाकर फसल विभिन्नता को बढ़ावा देना चाहती है दूसरी ओर सब्जियों की काश्त की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। यदि सरकार उत्तरी राज्यों में प्याज और अन्य सब्जियों की काश्त के लिए किसानों को उत्साहित करे तब गेहूँ और धान की जरूरत से ज्यादा उत्पादन की समस्या का भी समाधान निकलेगा और सब्जियों की कमी न रहने के कारण महंगाई से भी राहत मिलेगी। आज सब्जियों में महंगाई मध्यम वर्ग के लिए बड़ी परेशानी बनी हुई है।
कोई भी सब्जी 40-50 रुपए प्रति किलो से कम नहीं मिल रही, जबकि आम किसानों का कहना है कि यदि उन्हें सब्जियों का रेट दस रुपए प्रति किलो भी मिल जाए तब भी वह मुनाफा कमा सकते हैं। इसी तरह मंडी खर्चों व व्यापारियों के मुनाफे के बावजूद जनता को सब्जी 20-25 प्रति किलो रुपए तक मिल सकती है। दक्षिणी राज्यों में पैदा होने वाली सब्जियों पर ढुलाई खर्च का भारी बोझ पड़ता है जिससे महंगाई बढ़ती है। अत: हजारों किलोमीटर से सब्जियां लाने का कोई औचित्य नहीं। केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर सब्जियों की काश्त का समाधान निकालना चाहिए ताकि लोगों को प्याज सेब के रेट में न खरीदने पड़ें एवं हर क्षेत्र में रोजगार बढ़े, इससे खुदरा महंगाई भी काबू में रहेगी।
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