संयुक्त राष्ट्र की जनसंख्या विभाग की ओर से द इंटरनेशनल माइग्रेंट स्टॉक 2019 रिपोर्ट हाल ही में प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2019 में दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों की संख्या 1.75 करोड़ है। प्रवासियों की संख्या के मामले में मेक्सिको दूसरे और चीन तीसरे नंबर पर है। पिछले 10 सालों के दौरान इनकी संख्या में 23 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। नौकरी, उद्योग, व्यापार सहित दूसरी वजह से अपना देश छोड़ दूसरे देशों में रहने वाले भारतीयों की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा है। दुनिया की कई बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के सीईओ से लेकर अनेक देशों की कानून व्यवस्था में फैसले लेने वाली संस्थाओं का अहम हिस्सा बनने में भारतीय कामयाब रहे हैं।
प्रवासी भारतीयों की भूमिका 21वीं सदी में बहुत ही महत्वपूर्ण हो गई है। 18 वीं शताब्दी में गुजराती व्यापारियों ने केन्या, युगांडा, जिंबाब्वे, जांबिया, दक्षिण अफ्रीका में सर्वप्रथम अपने कदम रखे थे। उसके बाद से यह क्रम लगातार चलता रहा है और आजादी के बाद से इसमें तीव्र वृद्धि देखी गई है। वर्ष 1965 से 1990 तक भारत से सबसे ज्यादा प्रवास अमेरिका को हुआ है। वर्तमान समय में प्रवासी भारतीय विश्व के प्रत्येक कोने में अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं। इनके प्रभाव को आप जापान से लेकर उत्तरी अमेरिकी देशों तक देख सकते हैं। प्रवासी भारतीय दिवस प्रत्येक वर्ष 9 जनवरी को मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन महात्मा गांधी अहिंसा और सत्याग्रह जैसे विरोध के नए तरीकों से अफ्रीका में प्रवासी भारतीयों की समस्याओं का समाधान कर वापस लौटे थे। पिछले कुछ सालों से भारत से बाहर जाने वाले लोगों के कारणों में बदलाव देखने को मिला है। उदाहरण के लिए अमेरिका में डॉक्टर और इंजीनियर की पढ़ाई के लिए जाने वाले लोग शिक्षा समाप्त होने के बाद वही पर बस रहे हैं और भारत-अमेरिका संबंधों में सेतु के रूप में कार्य कर रहे हैं। वर्तमान केंद्र सरकार ने अपने पहले कार्यकाल से ही प्रवासी भारतीयों को एकजुट कर उनको भारतीयता का एहसास कराया। आज प्रवासी भारतीयों के योगदान के बल पर विश्व आर्थिक और राजनीतिक मंचों पर भारत की स्वीकार्यता के साथ-साथ सांस्कृतिक मंचों पर भी भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है।
प्रवासी भारतीयों का देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। पिछले वर्ष उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में 70 अरब डॉलर का योगदान दिया। दुनिया के 48 देशों में करीब दो करोड़ प्रवासी भारतीयों के रूप में रह रहे हैं। इनमें से 11 देशों में प्रत्येक में 5 लाख से ज्यादा प्रवासी भारतीय हैं। जो वहां की औसत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं और वहां की आर्थिक एवं राजनीतिक दशा व दिशा को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहां उनकी आर्थिक, शैक्षणिक, व्यवसायिक दक्षता का आधार काफी मजबूत है। प्रवासी भारतीयों से योगदान पाने में भारत सबसे आगे है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने डॉ लक्ष्मीमल सिंघवी की अध्यक्षता में गठित कमेटी की अनुशंसा पर प्रवासी भारतीय दिवस मनाना शुरू किया। यह दिवस मनाने का उद्देश्य प्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोच उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति के साथ उनकी देशवासियों के साथ सकारात्मक बातचीत के लिए एक मंच उपलब्ध कराना है।
भारत के परिपेक्षप में प्रवासी भारतीयों की भूमिका की बात की जाए तो प्रवासी भारतीयों ने कई बार मुश्किल समय से भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने द्वारा भेजे हुए धन से बाहर निकाला है। इसके साथ जब हम पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की बात कर रहे हैं। तो इसमें भी प्रवासी भारतीयों का अहम योगदान रहेगा। क्योंकि 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में 40 प्रतिशत तक का योगदान विदेशी व्यापार का रहने वाला है और किसी भी देश में भारतीय व्यापार को बढ़ाने में प्रवासी भारतीयों की महती भूमिका होती है। प्रवासी भारतीयों का अहम योगदान भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में देखने को मिला था। जब प्रवासी भारतीयों के समूहों ने स्थानीय राजनेताओं पर दबाव डालने के साथ उनको इस समझौते के पक्ष में खड़ा किया था।
इसके अतिरिक्त प्रवासी भारतीयों ने कश्मीर के मुद्दे पर विभिन्न देशों में एक दबाव समूह के रूप में अच्छा काम किया है। यूनाइटेड किंगडम में पाकिस्तानी दबाव समूहों का बोलबाला है। इसी वजह से यूनाइटेड किंगडम ने प्रत्यक्ष रूप से कश्मीर पर कोई वक्तव्य नहीं दिया। जो विदेशी नागरिक समाचार पत्रों, सोशल मीडिया पर चल रही भारत विरोधी ताकतों के प्रभाव में आकर अपना दृष्टिकोण तैयार करते हैं। उनको प्रवासी भारतीय समूह ने सही जानकारी देकर भारत के दृष्टिकोण के साथ खड़ा किया। इससे स्पष्ट होता है जहां कुछ देशों में प्रवासी भारतीय आर्थिक योगदान के माध्यम से भारत के विकास से जुड़े हुए हैं। वहीं कुछ देशों में दबाव समूह के रूप में कार्यरत रह कर देशों की विदेश नीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं। जिसका लाभ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से भारत को विश्व पटल पर लगातार मिल रहा है।
प्रवासी भारतीयों की भी भारत सरकार से कुछ उम्मीदें हैं। उस पर भारत सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रवासी भारतीय भी भारत की मुख्य धारा से जुड़ना चाहते हैं। जिस प्रकार से प्रवासी भारतीय संबंधित देश में अपना योगदान उस देश की राजनीतिक व्यवस्था में दे रहे हैं। उसी तरह से वह उम्मीद करते हैं कि भारत में भी उनको राजनीतिक व्यवस्था से जोड़ा जाए। प्रवासी भारतीय भारत सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें जल्द ही मतदान का अधिकार और दोहरी नागरिकता दी जाएगी। 21वीं सदी में दिन-प्रतिदिन प्रवासी भारतीयों का योगदान सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक क्षेत्र में बढ़ रहा है। इसलिए समय की आवश्यकता है प्रवासी भारतीयों की भारत सरकार से जो अपेक्षाएं हैं वह पूरी की जाए।
-अमिता सिंह
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