चांद पर उतरने से ठीक पहले ठिठके विक्रम के ‘कदम’
- मोदी ने कहा हिम्मत बनाएं रखें व बाद में बच्चों से रूबरू हुए
बैंगलुरू (एजेंसी)। चंद्रयान-2 की लैंडिंग को लेकर स्थिति अभी साफ नहीं है। लैंडर विक्रम की रात 1 बजकर 55 मिनट पर लैंडिंग होनी थी, लेकिन इसका समय बदलकर 1 बजकर 53 मिनट कर दिया गया। हालांकि, यह समय बीत जाने के बाद भी लैंडर विक्रम की स्थिति पता नहीं चल सकी। इसरो चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने बताया, लैंडर विक्रम की लैंडिंग प्रक्रिया एकदम ठीक थी। जब यान चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से 2.1 किमी दूर था, तब उसका पृथ्वी से संपर्क टूट गया। हम आॅर्बिटर से मिल रहे डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं। अगर लैंडर विक्रम की लैंडिंग की पुष्टि हो जाती है तो सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर रोवर प्रज्ञान बाहर आएगा, यह सुबह 5:45 पहली तस्वीर क्लिक करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। देश आप लोगों की मेहनत पर गर्व करता है। मेरी ओर से आप सब को बधाई। आप लोगों ने विज्ञान और मानव जाति की काफी सेवा की है। आगे भी प्रयास जारी रहेगा। मैं पूरी तरह आपके साथ हूं। आॅल द बेस्ट। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बहुप्रतीक्षित मिशन को लेकर विवादित बयान दिया है। ममता बनर्जी ने मिशन को देश के आर्थिक हालातों से जोड़ते हुए इसे ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है। ममता बनर्जी ने यह बात पश्चिम बंगाल की विधानसभा में एनआरसी पर बात करते हुए कही।
लगा है सोलर पैनल
छह पहियों वाला प्रज्ञान तमाम खूबियों से लैस है। इसके छह पहियों के ऊपर सोने के रंग की ट्रालीनुमा बॉडी है। इस बॉडी के सबसे ऊपर के हिस्से में सोलर पैनल लगा हुआ है जो सूर्य से ऊर्जा लेकर रोवर को संचालित रखेगा। वहीं इसके दोनों हिस्सों में एक-एक कैमरा लगा है। ये दोनों ही नैविगेशन कैमरे हैं जो रोवर को रास्ता बताएंगे। वहीं विक्रम लैंडर अपने बॉक्सनुमा आकार के बीचोंबीच से ठीक वैसे ही प्रज्ञान को बाहर उतारेगा, जैसे कोई हवाई जहाज लैंडिंग के बाद अपनी सीढ़ियां नीचे गिराकर सवारियों या सामान को उतारते हैं। ये सीढियां नहीं, बल्कि एक समतल आकार की प्लेट होगी। यहां से जैसे ही प्रज्ञान नीचे उतरेगा, उसके सोलर पैनल खुल जाएंगे और वो पूरी तरह चार्ज होगा। यहां से वो चंद्रमा की सतह पर पैर रखते ही मिशन से जुड़े सभी संदेश धरती पर भेजने लगेगा।