धारा-370 और 35-ए हटाने के बाद देश में कश्मीरी विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें चिंताजनक हैं। अलवर में एक कश्मीरी युवक को महिलाओं के कपड़े पहनाए गए, फिर पीटने का मामला सामने आया है। खुद को राष्ट्रवादी कहलाने वाले कुछ लोग भड़काऊ कार्यवाही कर रहे हैं जो निंदनीय है। ऐसे लोग यह बात भूल जाते हैं कि कश्मीर और कश्मीरी लोग दोनों ही हमारे हं। भारत सरकार तो पाक द्वारा अधिकृत कश्मीर में बसते लोगों को भी भारतीय मानती है।
फिर कश्मीर में रहते लोगों के साथ दुव्यर्वहार कर उन्हें बेगाना होने का एहसास क्यों करवाया जा रहा है? सरकार ने धारा-370 हटाकर यह संदेश दिया है कि सभी राज्य एक, एक देश संविधान और एक कानून ही लागू होगा। यदि हम कश्मीरी लोगों के साथ बेगाना होने वाला व्यवहार करेंगे, तब धारा 370 हटाने की भावना ही खत्म हो जाती है। लम्बे समय से पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों ने कश्मीर के लोगों को गुमराह कर उनका भारत से रिश्ता तोड़ने की हर कोशिश की। प्रधानमंत्री नरिन्दर मोदी ने स्पष्ट कहा था कि कश्मीर के लोगों को गोली नहीं बल्कि गले लगाया जाएगा।
भड़काऊ कार्रवाई करने वालों को यह समझना चाहिए कि कश्मीरी विद्यार्थियों का देश के अन्य राज्यों में पढ़ना ही पाकिस्तान को करारा जवाब है। यह हैरानी की बात है कि कश्मीरी विद्यार्थियों के साथ इस तरह का सलूक किया जा रहा है जैसे वह किसी और देश के निवासी हों। केंद्र सरकार को हिंसक व शरारती तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर कड़ी सजा देनी चाहिए। कश्मीरी भारतीय हैं और उनके साथ जब अच्छा व्यवहार किया जाएगा, तब उनकी भारतीय संविधान और कानून में आस्था बढ़ेगी। अलवर के मामले में सभी दोषियों के खिलाफ कानून के अंतर्गत कार्यवाही की जानी चाहिए। केंद्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। सरकार को इसके खिलाफ अभियान चलाने की आवश्यकता है कि भारत की लड़ाई आतंकवाद के साथ है, कश्मीर के लोगों के साथ नहीं।
प्रत्येक कश्मीरी को आतंकवादी के चश्में से देखना, उनका अपमान करना मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है। हम कश्मीर की जनसंख्या में घुल-मिलने की बात करते हैं तब उन घुले-मिले काश्मीरियों को तोड़ने से हमारी वह एकता भंग होती है जोकि कश्मीरियों ने देश के अलग-अलग राज्य में पढ़-लिखकर कारोबार कर एक होने की बनाई है।