साढ़े चार साल में 1288 करोड़ रु. खर्च कर 62 हजार कर्मियों द्वारा बनाई गई सूची को सरकार से विपक्ष तक कोई भी सही मानने को तैयार नहीं
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असम में एनआरसी की आखिरी सूची शनिवार को जारी हुई, इसमें 19 लाख से ज्यादा लोग बाहर
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा- एनआरसी का काम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ, गलतियों का सवाल ही नहीं
नई दिल्ली | कश्मीर के बाद आबादी में सबसे ज्यादा मुस्लिम हिस्सेदारी वाले राज्य असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन यानी एनआरसी की आखिरी सूची शनिवार काे जारी हाे गई। 19 लाख से ज्यादा लाेगाें के नाम सूची में नहीं हैं। साढ़े चार साल में 1288 करोड़ रु. खर्च कर 62 हजार कर्मियों द्वारा बनाई गई इस सूची को सरकार से विपक्ष तक कोई भी सही मानने को तैयार नहीं है। ज्यादातर लाेगाें का कहना है कि एनआरसी से बाहर रहे लाेगाें की संख्या बेहद कम है।
बांग्लादेशियाें के बजाय मूल निवासियाें के नाम इससे छूट गए हैं। सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के साथ ही ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने फाइनल लिस्ट पर असंताेष जताया। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि एनआरसी जारी होने के बाद यहां के हालात शांतिपूर्ण हैं। गुवाहाटी में रविशंकर रवि ने उनसे बातचीत की।
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सवाल: जिनके नाम एनआरसी में नहीं हैं, उनका क्या होगा?
सोनोवाल: 120 दिन में फॉरेनर्स टिब्यूनल में अपील कर सकते हैं। 200 ट्रिब्यूनल हैं, 1000 और बनाए जा रहे हैं। ट्रिब्यूनल के फैसला तक किसी को विदेशी घोषित नहीं करेंगे, न ही बंदी बनाएंगे। उसके बाद कोर्ट जा सकते हैं।
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सवाल: सूची में कई ऐसे लोगों के नाम नहीं हैं, जो सेना में रहे हैं और सरकारी कर्मचारी रहे हैं, उनका क्या होगा?
सोनोवाल: भारतीय मूल के लोगों की हरसंभव मदद की जाएगी। सूची प्रदेश सरकार ने नहीं बनाई है। सारा काम सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हुआ। इसलिए यह कहना संभव नहीं है कि गलतियां कैसे हो गईं।
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सवाल: सरकार अब आगे क्या करेगी?
सोनोवाल: राज्य को घुसपैठियों से मुक्त कराने के लिए असम समझौते की धारा-6 को लागू करने का प्रयास करेंगे।आगे क्या : एनआरसी के स्टेट को-ऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला के अनुसार 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 का नाम सूची में है। 19 लाख में से अभी किसी को विदेशी नहीं माना जाएगा। इनके पास ट्रिब्यूनल में अपील के लिए 120 दिन का समय है। उसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
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