बाढ़ का कहर: हरियाणा और पंजाब में नदी के आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा फिलहाल टला
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)।
देश के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी के तेजी से घटने के कारण राहत कार्य तेज कर दिया है तथा राहत केंद्रों में शरण लिए लोगों ने अपने-अपने घरों को लौटकर पुनर्वास का काम तेज कर दिया है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में सेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) राज्य की विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्थिति तेजी से सामान्य होती जा रही है। यमुना और सतलज का जलस्तर घटने के बाद दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में नदी के आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा फिलहाल टल गया है। गौरतलब है कि हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक आठ लाख से अधिक क्यूसेक पानी यमुना में छोड़े जाने के बाद दिल्ली और हरियाणा में नदी तट के आस-पास के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया था तथा बाढ़ की आशंकाएं व्यक्त की जा रही थी।
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बाढ़ से मरने वालो की संख्या हुई 386
इस बीच देश के विभिन्न हिस्सों में हुई भारी बारिश और बादल फटने के कारण आई बाढ़ तथा भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर 386 पहुंच गयी है जबकि 23 अन्य लापता हैं। इस वर्ष बारिश एवं बाढ़ से उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब सबसे गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं जबकि इससे पहले के दौर में हुई बारिश और बाढ़ से दक्षिण भारत के केरल और कर्नाटक सबसे गंभीर तौर पर चपेट में आए थे। हिमाचल में बारिश, बाढ़ एवं भूस्खलन की घटनाओं में अब तक 63 लोगों तथा उत्तराखंड में 62 लोगों की मौत हुई है जबकि छह अन्य लापता हैं।
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भूस्खलन से 14559 मकान एवं इमारत क्षतिग्रस्त
दक्षिण भारत के केरल और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में बाढ़ और भूस्खलन के कारण सबसे अधिक नुकसान हुआ है। केरल में अब तक 125 लोगों की मौत हुई जबकि 17 लोग अब भी लापता हैं, कर्नाटक में 62, गुजरात में 35, महाराष्ट्र में 30, ओडिशा में आठ तथा आंध्र प्रदेश में नाव पलटने से एक लड़की की मौत हो चुकी है।
इसके अलावा पश्चिम बंगाल में भारी बारिश के बीच बिजली गिरने से कम से कम आठ लोगों जान गयी हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक राज्य के विभिन्न जिलों में आठ अगस्त से शुरू हुई भारी बारिश तथा इसके बाद बाढ़ एवं भूस्खलन के कारण अपने घरों से विस्थापित हुए 1899 परिवारों के 6286 लोग अब भी 86 राहत केंद्रों में रह रहे हैं। इसके अलावा पानी का स्तर घटने के बाद कई केंद्रों से लोग अपने-अपने घरों को लौट भी चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि बाढ़ और भूस्खलन के कारण 1791 मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए तथा 14559 मकान एवं इमारत आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गयीं।