जम्मू कश्मीर में धारा-370 हटने के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने कई बेतुके निर्णय लिए। सबसे पहले पाकिस्तान ने भारतीय राजदूत को वापिस भेजने के लिए कहा और व्यापार पर रोक लगाई। अगले ही दिन समझौता ऐक्सप्रैस को बाघा बार्डर पर लावारिसों की तरह छोड़ दिया। पाकिस्तान सरकार भारत विरोधी ताकतों को संतुष्ट करने के लिए अनुचित कार्रवाईयां कर रहा है। भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने का विरोध अंतरराष्टÑीय स्तर पर नाम मात्र ही है। अमेरिका ने दोनों देशों को अमन शान्ति बरकरार रखने के लिए कहा है। चीन की प्रतिक्रिया केवल लेह लद्दाख तक सीमित है। संयुक्त अरब अमीरात जैसे महत्वपूर्ण मुस्लिम देशों ने भारत सरकार के फैसले का समर्थन किया है।
श्रीलंका और बांग्लादेश भी भारत के साथ खड़े हैं। पाकिस्तान का विरोध समझ से परे हैं, जहां तक पाक का भारत से संबंध तोड़ने का मामला है, पाकिस्तान संबंधों की वास्तविक्ता को कभी भी नकार नहीं सकता। दोनों देशों का सामाजिक व सांस्कृतिक भाईचारा इतना मजबूत है कि राजनीतिक निर्णयों का रिश्तों पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। रेलगाड़ी को रोककर पाकिस्तान अपने उन लाखों लोगों की नाराजगी का सामना करेगा जिनके परिवारिक सदस्य अब भारत में रहते हैं। व्यापार का भी प्रभाव पाकिस्तान पर ही पड़ना है।
पाकिस्तान पड़ोसी देश है, दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं। पाकिस्तान को भारत से संबंध तोड़ने का आडंबर छोड़कर आतंकवाद पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। पाकिस्तान हाफिज मौहम्मद सैय्यद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों की कार्यवाही पर पर्दा नहीं डाल सकता। पिछले दिनों मुंबई हमले के साजिशकर्ता सईद को पाक की एक अदातल ने आतंकवाद को फंड देने के मामले में दोषी करार दिया है। ओसामा बिन लादेन भी पाकिस्तान की धरती पर ही मारा गया। धारा-370 की वजह से संबंध तोड़ने की बजाए बेहतर होगा कि पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवाद को रोके और बातचीत शुरू करने का माहौल बनाकर अमन व खुशहाली के लिए काम करे।