सेल्फी का डंक डस रहा युवाओं को…

Selfie of youth ...

कुछ दिनों से लगातार सेल्फी से मरने वालों की खबर आ रही हैं। अजीब तरह से सेल्फी लेने की वजह से युवा अपनी मौत को गले लगा रहें हैं। एक खबर तो बेहद विचलित करने वाली आई जिसमें सात लोगों का समूह एक साथ मारा गया। ऐसी घटनाओं को देखकर दुख भी होता है और गुस्सा भी आता है। विगत दिनों एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व मे सेल्फी से मरने वाली की संख्या सबसे ज्यादा 60 प्रतिशत भारत मे हैं।यह आंकडा बेहद चौंकाने वाला है। पूरे विश्व मे आधे से भी अधिक केवल एक ही देश मे मरते है। सेल्फी शौक के साथ अब बीमारी का रुप ले रही है।

यह शौक सबसे ज्यादा युवाओं मे देखा जा रहा है। अलग व कुछ विचित्र करने के अंदाज की ख्वाहिश मे ऐसी जगह या इस तरह सेल्फी लेने का प्रयास करते हैं जिससे उनकी जान पर बन आती है। युवा वर्ग इस बात से बेखबर है कि यह उनके लिए धीमी गति से बढ़ रही यह प्रक्रिया बड़ी बीमारी बन चुकी है। सेल्फी से जुडी खबरें तो रोजाना आती रहती हैं लेकिन एक खबर ने झिझोंड कर रख दिया था। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश के कानपुर के गंगा बैराज मे कुछ विधार्थी सेल्फी लेते वक्त डूबकर मर गये थे वह बहुत देर तक झटपटाते रहे लेकिन वहां खडे लोग उनकी सहायता करने मे असमर्थ नजर आए। बहुत कम आयु मे ही उन्हें जिंदगी से हाथ धोना पड़ा। इसके अलावा भी कई ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण किस्से हैं। बावजूद इसके हम ऐसी घटनाओं से सबक नही ले रहे।

एक रिपोर्ट के मुताबिक पुरी दुनिया मे लगभग 10 करोड़ सेल्फी प्रतिदिन ली जाती है । इन आंकडे से यह तो पता चल रहा है कि सेल्फी प्रति लोगो की कितनी दीवानगी है। 2013 मे सेल्फी आॅक्सफोर्ड वर्ड आॅफ द इयर बना जिससे यह तय हुआ कि सेल्फी लेना लोगो का मानो धर्म व फर्ज सा बन गया हो। गूगल सर्वे के दौरान यह पता चला है कि युवा वर्ग पूरे दिन मे 10 से ज्यादा घंटे अपने फोन के साथ ही बिताते है व इस दौरान 12 से 15 सेल्फी लेते है। यह सब स्मार्ट फोन की वजह से हो रहा है। पिछले केवल चार वर्षों मे इतने स्मार्ट फोन का निर्माण हुआ है कि कंपनियों ने कमपिटिशन के चलते फोन इतने सस्ते कर दिए कि कम रेटों पर आसानी से उपलब्ध होने लगे। देश की जनसंख्या लगभग 133 करोड़ है जिसमे से 120 करोड़ लोगो के पास मोबाइल है। महानगरों की बात करें तो प्रत्येक व्यक्ति के पास दो मोबाइल है।

सेल्फी लेने से जान जाने के अलावा कई बामारियों से भी ग्रस्त हो रहा है देश जिसके विषय मे देश के एक प्रतिशत से भी कम लोगों को जानकारी है। आजकल पहले से ही रोजाना नई नई तरह की बीमारियों का जन्म हो रहा है लेकिन सेल्फी के चक्कर मे एक अजीब बीमारी का जन्म हुआ है। जिन अस्पतालों मे ऐसे मरीजों का इलाज किया गया वो सब ओबेसिव कॉमपलूसिव डिसआॅर्डर से ही पीड़ित निकले। ऐसे मरीज सोशल मीडिया पर बार बार अपनी सेल्फी अपलोड कर लाइक व कमेंट आने का इंतजार करते थे। युवा वर्ग की दिशा व दशा एक अजीब ही स्थिति मे जा रही है न तो यह लोग कहना मानते व अपने आप को ज्यादा समझदार समझने लगे। सोशल मीडिया के इस युग के सकारात्मक पहलूओं को यदि गहनता से समझा जाए तो यह एक वरदान है लेकिन लोग इसके नकारात्मक पहलूओं से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

युवा वर्ग फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम अन्य सभी सोशल माध्यम केवल सेल्फी अपलोड करने का माध्यम समझने लगे। इन लोगों को यह समझ आ जाए कि यदि इन माध्यमों का सही प्रयोग किया जाए तो उनकी शिक्षा व भविष्य के लिए कितना फायदेमंद साबित हो सकता है। चूंकि वो इस गहनता को समझने का प्रयास भी नही करते और न ही समझने को तैयार हो पाते है इसलिए ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। बहुत कम पैसों मे डेटा(नेट) उपलब्ध होने के कारण मोबाइल का पहले से ज्यादा उपयोग होने लगा। डेटा पैक की नई-नई स्कीमें लुभा तो जरुर रही हैं लेकिन साथ ही हम इसके दुष्परिणामों से लगातार ग्रस्त भी हो रहे हैं व आगे और ज्यादा होने की संभावना लगातार बनी हुई है। इंटरनेट,लेपटॉप व मोबाइल शिक्षा के भाग बन चुके है।

इस लेख के माध्यम से हम युवाओं व सेल्फी के शौकीन लोगों से यही कहना चाहते है कि जिंदगी अनमोल है। इसका मायना या अर्थ स्वयं समझने की जरुरत है क्योंकि आपकी जिंदगी से आपका पूरा परिवार जुड़ा होता है। अल्प आयु मे मरने से वो परिवार उम्रभर उस गम से उभर नही पाता व जिंदगीभर कुंठित होकर जीवन काटना पडता है। माता-पिता बच्चों की सभी खुशियां का ध्यान रखते है ।

वह मोबाइल को भी आपकी जरुरत का हिस्सा समझकर आपको दिलाते है। लेकिन कई बार हम उसका सही प्रयोग से ज्यादा दुरुपयोग कर लेते है जिसका भुगतान घर मे एक बडी अनहोनी होकर भुगतना पड़ता है। पहाड़ियों पर,चलती कार व नील-झील के पास के अलावा अन्य ऐसी रिस्क वाली जगहों से सेल्फी या फोटो लेने बचना चाहिए। किसी भी चीज की अति बुरी होती है। अपने उपकरणों का सही प्रयोग करें व अपनी जिंदगी को सुरक्षित जीयें। एक छोटी सी गलती से बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है जिससे अब हमे बचने की बेहद जरुरत है।

योगेश कुमार सोनी

 

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