भारतीय वायुसेना को ताकतवर बनाएगा अपाचे

Indian Air Force Apache

दुनिया की चंद ताकतवर वायुसेनाओं में शुमार भारतीय वायुसेना की ताकत उस समय और बढ़ गई, जब 27 जुलाई को उसे अमेरिकी एयरोस्पेस कम्पनी ह्यबोइंगह्ण द्वारा चार एएच-64ई अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकॉप्टरों की पहली खेप मिल गई, चार अपाचे हेलीकॉप्टर इसी सप्ताह और मिलने की संभावना है। कुछ ही माह पहले बोइंग कम्पनी द्वारा एक अपाचे हेलीकॉप्टर पहले ही भारत को सौंपा जा चुका है, इस तरह भारतीय वायुसेना के बेड़े में फिलहाल 9 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर हो जाएंगे तथा आने वाले समय में कई और अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति भारतीय वायुसेना को होनी है। बोइंग कम्पनी अब तक विश्वभर में 2200 से भी अधिक अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति कर चुकी है और भारत दुनिया का 14वां ऐसा देश है, जिसने अपनी सेनाओं के लिए इस हेलीकॉप्टर का चयन किया है। अमेरिका, इजरायल, मिस्र तथा नीदरलैंड के अलावा कुछ अन्य देशों की सेनाएं भी इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर रही हैं। इसलिए इन हेलीकॉप्टरों को भारतीय वायुसेना में शामिल करना वायुसेना के बेड़े के आधुनिकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

भारतीय वायुसेना का मानना है कि अपाचे बेड़े के जुड़ने से बल की लड़ाकू क्षमताओं में काफी वृद्धि होगी क्योंकि इन हेलीकॉप्टरों में भविष्य की आवश्यकताओं के मद्देनजर बदलाव किए गए हैं। दरअसल भारतीय वायुसेना की जरूरत के मुताबिक ही अपाचे हेलीकॉप्टर में अपेक्षित बदलाव किए गए हैं। वायुसेना का कहना है कि भविष्य में थलसेना के साथ किसी भी तरह के साझा आॅपरेशन में अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर बड़ा फर्क पैदा करेंगे। ढ़ाई अरब डॉलर अर्थाी करीब साढ़े सत्रह हजार करोड़ रुपये का यह हेलीकॉप्टर सौदा करीब चार साल पहले हुआ था, जब सितम्बर 2015 में भारत ने अमेरिका से 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए सौदा किया था। रक्षा मंत्रालय द्वारा 2017 में भी 4168 करोड़ रुपये की लागत से बोइंग से हथियार प्रणालियों सहित छह और अपाचे हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दी गई थी।इसके अलावा इजरायल भी लेबनान तथा गाजा पट्टी में अपने सैन्य आॅपरेशनों के लिए अपाचे का इस्तेमाल करता रहा है।

अपाचे की ढ़ेरों विशेषताएं ही इसे भारतीय वायुसेना को नई ताकत प्रदान करने के लिए पर्याप्त हैं। इसमें सटीक मार करने और जमीन से उत्पन्न खतरों के बीच प्रतिकूल हवाईक्षेत्र में परिचालित होने की अद्भुत क्षमता है। अपाचे का डिजाइन कुछ इस प्रकार तैयार किया गया है कि यह आसानी से दुश्मन की किलेबंदी को भेदकर उसके इलाके में घुसकर बहुत सटीक हमले करने में सक्षम है और इसकी इन्हीं विशेषताओं के चलते इससे पीओके में आतंकी ठिकानों को तबाह करने में भारतीय सेना को मदद मिलेगी। 365 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम यह हेलीकॉप्टर तेज गति के कारण बड़ी आसानी से दुश्मनों के टैंकरों के परखच्चे उड़ा सकता है। बहुत तेज रफ्तार से दौड़ने में सक्षम इस हेलीकॉप्टर को रडार पर पकड़ना बेहद मुश्किल है। यह बगैर पहचान में आए चलते-फिरते या रूके हुए लक्ष्यों को आसानी से भांप सकता है। इतना ही नहीं, सिर्फ एक मिनट के भीतर यह 128 लक्ष्यों से होने वाले खतरों को भांपकर उन्हें प्राथमिकता के साथ बता देता है। इसे इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि यह युद्ध क्षेत्र में किसी भी परिस्थिति में टिका रह सकता है।

अपाचे हेलीकॉप्टरों को चीन तथा पाकिस्तानी सीमा पर तैनात किया जाएगा तथा ये भारतीय सेना में विशुद्ध रूप से हमले करने का ही काम करेंगे। ये लड़ाकू हेलीकॉप्टर जमीनी बलों की सहायता के लिए भविष्य के किसी भी संयुक्त अभियान में महत्वपूर्ण धार उपलब्ध करांएगे। यही वजह है कि माना जा रहा है कि वायुसेना में इनके शामिल होने से वायुसेना के साथ-साथ थल सेना की आॅपरेशनल ताकत में भी कई गुना बढ़ोतरी हो जाएगी। कम ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता के कारण यह पहाड़ी क्षेत्रों में छिपकर वार करने में सक्षम हैं और इस लिहाज से यह पर्वतीय क्षेत्र में वायुसेना को महत्वपूर्ण क्षमता और ताकत प्रदान करेगा।

इसी साल 26 मार्च को चार हैवीलिफ्ट चिनूक हेलीकॉप्टर भी वायुसेना के बेड़े में शामिल हुए थे और 11 चिनूक मार्च 2020 तक मिलने की संभावना है। एमआई-17 जैसे मध्यम श्रेणी के भारी वजन उठाने वाले रूसी लिफ्ट हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही मौजूद हैं। कुछ माह पूर्व रूस के साथ भी 37 हजार करोड़ रुपये की लागत से मल्टी फंक्शन रडार से लैस एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रणाली का सौदा किया गया था, जो दुनियाभर में सर्वाधिक उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणालियों में से एक है और वायुसेना के लिए बूस्टर खुराकह्ण मानी जाती रही है। अपाचे युद्ध के समय में गेम चेंजर साबित हो सकता है और एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रणाली, चिनूक, अपाचे तथा आने वाले दिनों में राफेल मिलकर भारतीय वायुसेना को इतनी ताकत प्रदान करेंगे, जिसे देखते हुए यह कहना असंगत नहीं होगा कि भारतीय वायुसेना दिनोंदिन ताकतवर होती जा रही है।
योगेश कुमार गोयल

 

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