डेरा श्रद्धालु परिवार ने मानव र्आस्थ अवशेषों पर पौधा लगाकर लिखी अद्भुत इबारत
अबोहर (सच कहूँ/सुधीर अरोड़ा)।एक तरफ जहां मानव अस्थियां नदियों, नहरों में जल प्रदूषण का कारण बनी हुई हैं, वहीं दूसरी तरफ एक जगह ऐसी भी है जहां मानव अस्थियों के द्वारा पर्यावरण संरक्षण की अद्भुत ऐतिहासिक इबारत लिखी जाती है। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 134 समाज भलाई कार्यों के तहत पर्यावरण सुरक्षा का बीड़ा उठाया हुआ है। उनके द्वारा प्रकृति के सौंदर्य को बनाए रखने के लिए शुरू की गई ‘ अस्थियों से पर्यावरण सुरक्षा ‘ मुहिम के तहत मरणोपरांत दाह संस्कार के बाद अस्थियों पर पौधारोपण किया जाता है।
इसी कड़ी के मद्देनजर नजदीकी गांव कैराखेड़ा निवासी डेरा श्रद्धालु राजिंदर कुमार इन्सां की धर्मपत्नी कश्मीरों देवी इन्सां (53) का निधन होने पर प्रभु चरणों मे सचखंड जा बिराजे, जोकि पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके परिवार द्वारा उनकी अस्थियों को बिना किसी अंधविश्वास में पड़े अपने खेत में अस्थियों पर फल व छायादार पौधा लगाकर पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षाओं की अनूठी उदाहरण पेश किया है। जब परिवार से अस्थी विसर्जन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जल प्रदूषण व पैसे की बबार्दी न कर अस्थियों को खेतों में दबाकर उन पर पौधा लगाने की इच्छा जाहिर की और बताया कि इससे सचखंडवासी कश्मीरों देवी इन्सां की यादें सदा बनी रहेगी। यह गांव में एक नई पहल है। इस मौके पर पवन इन्सां, सुरेंद्र कुमार, सुनील कुमार, राजिंदर कुमार इन्सां, हरीराम इन्सां, मनीष, पायल, निक्षित आदि का सहयोग रहा।
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मरणोपरांत भी मानवता की सेवा का गजब संदेश
मानवता के उन सच्चे प्रहरी जोकि जीते-जी हर कर्म, हर लम्हा मानवता को समर्पित रहते है। अस्थियों द्वारा पौधों के रूप में वातावरण को अपनी सुगंध से महका रहे ये वो इंसानियत के मसीहा हैं जिन्होंने जीते-जी अपने खून से बीमार जरूरतमंदों की तकदीर लिखी तो मरणोपरांत किसी ने आंखें तो किसी ने जरूरत पड़ने पर अपना गुर्दा व शरीर तक दान कर दिया।
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