अंडरवर्ल्ड माफिया दाउद इब्राहिम को लेकर अमेरिका जिस तरह से सक्रिय हुआ है, अमेरिका जिस तरह उसकी घेराबंदी कर रहा है, अमेरिका दाउद इब्राहिम के नेटवर्क को जिस प्रकार से भेदने की तैयारी कर रहा है, उससे पाकिस्तान की न केवल परेशानी बढ़ी है, बल्कि पाकिस्तान दुनिया के सामने पूरी तरह से बेनकाब होने के कगार पर पहुंच गया है, अब उसके माथे पर ओसामा बिन लादेन के कंलक के बाद दाउद इब्राहिम का कंलक भी लगने वाला है। अब अमेरिका किसी भी प्रकार की ढ़ील देने के लिए तैयार नहीं है, अमेरिका अब सीधे तौर पर दाउद इब्राहिम के सभी सपर्को और संरक्षकों पर धावा बोलने की सभी रणनीतियां शुरू कर दी है।
इसलिए कि दाउद इब्राहिम अब सिर्फ भारत का भगौड़ा आतंकवादी ही नहीं है, बल्कि वह आतंकवाद और नशे के व्यापार के आरोप में अमेरिका सहित अन्य देशों का भी अपराधी है। पाकिस्तान की बदनाम गुप्तचर एजेंसी आईएसआई का वह पालतू आतंकवादी है, पाकिस्तान ने भारत में दंगे कराने,अपराध कराने के लिए दाउद इब्राहिम को एक हथकंडे के तौर पर इस्तेमाल करता है। जब-जब भारत दाउद की आतंकवादी हिंसा, दाउद इब्राहिम के नशे के व्यापार आदि के खिलाफ कूटनीतिक आवाज बुलंद करता है और पाकिस्तान की घेराबंदी करता है तब-तब पाकिस्तान उसी तरह का झूठ बोलता रहा है जिस तरह का झूठ वह अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को लेकर बोलता था। ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में ही मारा गया था। अमेरिका ने एक अति गोपनीय सैनिक अभियान में ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान की एक सैनिक छावनी के समीप मार गिराया था। फिर भी पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर दुनिया के सामने बार-बार झूठ बोलता रहा है, आतंकवाद नियंत्रण के नाम पर दुनिया से पैसे ऐंठता रहा है।
जाबिर मोती पाकिस्तान और दाउद के लिए काल बन गया है। जाबिर मोती की पहचान दाउद इब्राहिम के साथ र्जुड़ी हुई हैं। जाबिर मोती के संबंध में कहा जाता है कि वह दाउद इब्राहिम के न केवल खास रहा है बल्कि दाउद इब्राहिम के आतंकवाद और घृणा के व्यापार का नियंत्रक रहा है, रणनीतिकार रहा है। दाउद इब्राहिम ने आतंकवाद और मादक पदार्थों के व्यापार से जो धन अर्जित किया है उसका एक बड़ा भाग जाबिर मोती के कब्जे में हैं। चूंकि दाउद इब्राहिम भारत का भगौड़ा आतंकवादी है और पाकिस्तान का नागरिक नहीं है, इसलिए वह अपराध के माध्यम से अर्जित धन का मालिक नहीं हो सकता है।
पाकिस्तान में वह अपने नाम या फिर अपने रिश्तेदारों के नाम सपंत्ति दर्ज नहीं करा सकता है। इसीलिए वह मोहरों के नाम पर अपराध के माध्यम से अर्जित संपत्ति रखता है। जाबिर मोती उसका एक मोहरा ही है। जाबिर मोती के संबध में एफबीआई ने महत्वपूर्ण खुलासे किये हैं, एफबीआई के खुलासे चौकाने वाले हैं और पाकिस्तान की झूठ को बेनकाब करने वाले हैं। एफबीआई का खुलासा है कि जाबिर मोती कभी एक साधारण आदमी था, वह गरीब घर का था, उसकी अपनी कोई हैसियत नहीं थी। गरीबी के कारण वह अंडरवर्ल्ड माफिया और आतंकवादी सरगना दाउद इब्राहिम का मोहरा बन गया। धीरे-धीरे वह दाउद इब्राहिम के मादक द्रव्यों के व्यापार का चीफ बन गया। अब उसकी गिनती पाकिस्तान के धनी लोगों में होती हैं।
पाकिस्तान और दाउद इब्राहिम का दुर्भाग्य यह रहा कि जाबिर मोती एकाएक एफबीआई के निशाने पर आ गया। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने जैसे ही दाउद इब्राहिम को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया था वैसे ही अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई ने दाउद इब्राहिम को अपने निशाने पर ले लिया था। दाउद इब्राहिम की पूरी हिंसक गिरोहबाजी एफबीआई की जांच के घेरे में थी। दाउद इब्राहिम तो सामने आता नहीं है। इसलिए दाउद इब्राहिम की गिरोहबाजी पर ही नजर टिकनी थी। एफबीआई को जानकारी हासिल हुई कि जाबिर मोती ब्रिटेन में है और ब्रिटेन में धीरे-धीरे निवेश करने की योजना पर कार्य कर रहा है। ब्रिटेन में वह गुमनाम ठिकाना बना चुका है, ब्रिटेन में रहने वाले पाकिस्तानी मूल के लोगों के बीच आतंकवाद और घृणा की मानसिकता पसारने के हथकंडे पर काम कर रहा है। एफबीआई की सूचना पर ब्रिटेन में कार्यवाही जारी है। स्काटलैंड यार्ड पुलिस ने एक बड़ी गोपनीय अभियान में जाबिर मोती को गिरफ्तार कर लिया। जाबिर मोदी अभी ब्रिटेन की जेल में बंद है और उस पर प्रत्यर्पण की अमेरिकी तलवार लटक रही है। एफबीआई ने जाबिर मोदी और दाउद इब्राहिम की साथ-साथ एक तस्वीर भी जारी की है।
अमेरिका हर हाल में दाउद इब्राहिम की आतंकवाद व मादक द्रव्यों के व्यापार को कुचलना चाहता है। दाउद इब्राहिम तक पहुंचने में जाबिर मोती एक माध्यम बन सकता है। इस माध्यम को अमेरिका किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहता है। इसीलिए अमेरिका जाबिर मोती का प्रत्यर्पण चाहता है। अमेरिका ने ब्रिटेन की कोर्ट में जाबिर मोती के प्रत्यर्पण के लिए याचिका लगायी है। अपनी याचिका में अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी और मादक द्रव्यों का अपराधी दाउद इब्राहिम दुनिया की शांति के लिए एक खतरा है, दुनिया में वह हिंसा और घृणा का वीजारोपण कर रहा है, मादक द्रव्यों के प्रसार से वह नयी पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है, पाकिस्तान उसका संरक्षणकर्ता है, पाकिस्तान उसे भारत के खिलाफ हथकंडे के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए मदद करता है। एफबीआई ने ब्रिटेन की कोर्ट में यह भी कहा है कि दाउद इब्राहिम पाकिस्तान में शानो-शौकत के साथ रह रहा है और दुनिया की शांति के लिए दुश्मन बना हुआ है। जाबिर मोती उसका हिस्सेदार और राजदार है, दाउद इब्राहिम और जाबिर मोती ने अमेरिकी हितों को भी नुकसान पहुचाया है। इसलिए जाबिर मोती को प्रत्यर्पित कर अमेरिका को सौंपा जाये।
पाकिस्तान तब पूरी तरह से बेनकाब हो गया जब उसने जाबिर मोती के अमेरिकी प्रत्यर्पण का विरोध किया। पाकिस्तान किसी भी स्थिति में यह नहीं चाहता कि जाबिर मोती का प्रत्यर्पण हो और एफबीआई को ब्रिटेन की कोर्ट जाबिर मोती से पूछताछ करने की अनुमति प्रदान करे। इसके लिए पाकिस्तान पूरी तरह से सक्रिय है, पाकिस्तान यह झूठ परोस रहा है कि जाबिर मोती शांति का पूजारी है और वह एक व्यापारी है, आतंकवाद या फिर मादक द्रव्यों के व्यापार से उसका कोर्इ्र लेना-देना नहीं है। पाकिस्तान आज खुद दिवालिया होने के कगार पर है, उसके पास अपना शासन चलाने के लिए पैसे नहीं है पर ब्रिटेन की कोर्ट में पाकिस्तान पानी की तरह पैसा बहा रहा है। महंगे-से महंगे वकीलों का समूह खड़ा कर रखा है।
महंगे-से महंगे वकीलों का समूह खड़ा करने का सीधा अर्थ जाबिर मोती को अमेरिका के शिकंजें में जाने से बचाना और अपने आतंकवादी करतूत का पर्दा हटने से रूकवाना माना जा सकता है। इधर एक और अमेरिकी खुलासे ने दुनिया को चिंता में डाल दिया है। बदली हुई दुनिया को पाकिस्तान अभी समझने की कोशिश नहीं कर रहा है। अगर दाउद इब्राहिम पर वह इसी तरह करतूत और हथकंडे चलाता रहा तो फिर खैर नहीं। अब अमेरिका उसे छोड़ने वाला नहीं है। इधर भारत की मोदी कूटनीति भी पाकिस्तान को सांस नहीं लेने दे रही है। पाकिस्तान की भलाई इसी में है कि वह जितना जल्द हो दाउद इब्राहिम से अपना पीछा छुड़ा ले। अन्यथा दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।
-विष्णुगुप्त
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