काबिले तारीफ : पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने योग को विश्व स्तर पर दिलाई पहचान
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होनहार बोली-डॉ. एमएसजी की कोचिंग ही हमारी कामयाबी का राज
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर 3000 से ज्यादा लोगों ने किया योगाभ्यास
सरसा (सुनील वर्मा/सच कहूँ)। भारत की प्राचीन परंपरा का अमूल्य हिस्सा रहे योग को विश्व स्तर तक पहचान दिलाने में डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का अहम योगदान है। पूज्य गुरु जी ने अपने अथक प्रयासों और बेहतरीन प्रशिक्षण से न सिर्फ राष्टÑीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के सैकड़ों खिलाड़ी तैयार किए जो आज दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। योग से जहां शारीरिक व मानसिक अनेक फायदे होते हैं। वहीं यह हम पंचतत्वों से बने मनुष्य को प्रकृति से जोड़ता है।
योग के प्रति आमजन में जागृति के उद्देश्य से शुक्रवार को शाह सतनाम जी धाम में पाँचवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर शिविर आयोजित किया गया। शाह सतनाम जी रिसर्च एंड डिवेल्पमेंट फाउंडेशन के तत्वाधान तथा पूजनीय माता आस कौर जी आयुर्वेदिक अस्पताल, सिरसा के सहयोग से लगाए इस शिविर में अंतरराष्ट्रीय योगा खिलाड़ी नीलम इन्सां, स्वप्निल इन्सां, कीर्ति इन्सां, कर्मदीप इन्सां और ईलम चंद इन्सां सहित शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थानों से 62 अंतरराष्ट्रीय और 1465 राष्ट्रीय खिलाड़ियों सहित 3 हजार से ज्यादा लोगों ने विभिन्न योग क्रियाओं के माध्यम से स्वस्थ जीवन जीने का संदेश दिया। आईए जानते हैं शिविर में भाग लेने वाली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से उनकी सफलता के राज।
मैंने 1994 में नौंवी कक्षा में शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल में दाखिला लिया। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने हमें बताया कोरिया और जर्मनी देशों में छोटे-छोटे बच्चे भी योगा और जिम्नास्टिक में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो अपने स्कूल के बच्चे भी ऐसा क्यों नहीं कर सकते। वहीं से हमें योगा के प्रति प्रेरणा मिली और पूज्य गुरु जी ने हमें खेल की ऐसी तकनीकें बताई जो आसान न सिर्फ आसान थी, बल्कि हमारे प्रदर्शन में बहुत ज्यादा सुधार लाई। इसी के परिणाम स्वरूप विश्व योगा कप सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 10 स्वर्ण, 10 रजत और 10 कांस्य पदकों सहित राष्ट्रीय स्तर पर अनेक मैडल जीत कर देश को गौरवान्वित कर पाई।
-नीलम इन्सां, अंतरराष्ट्रीय योगा खिलाड़ी
मैंने 2001 में शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल से योगाभ्यास शुरू किया। जहां पूज्य गुरु जी ने हमें स्केटिंग व अन्य खेलों की महत्वपूर्ण टैक्नीक सिखाई। जो बेहतर प्रदर्शन करने में मददगार साबित हुर्इं। ये पूज्य गुरु जी की बेहतरीन कोचिंग का ही प्रतिफल था कि मैं इंडिया गॉट टैलेंट में भाग ले सकी और वहां अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, जो पूरे देश में सराहा गया। अब तक मैं पाँच योगा विश्व कप में भाग लेने सहित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर 15 स्वर्ण, 13 रजत और 9 कांस्य पदक जीत चुकी हूँ।
-कर्मदीप इन्सां, अंतरराष्ट्रीय योगा खिलाड़ी
बचपन से लेकर आज तक जो मैं सीख पाई हूँ, वो मुझे गुरु पापा डॉ. एमएसजी ने ही सिखाया है। वे हर पल हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने हमें टैक्नीक ही ऐसी सिखाई हैं, जिनसे हमारे खेल में निरंतर निखार आ रहा है और आज भी उन्हीं टैक्निक को फॉलो करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। इन तकनीकों की बदौलत ही मैं वर्ल्ड योगा चैंपियनशिप में 13 स्वर्ण, 7 रजत और 7 कांस्य पदक और योगा एशिया चैंपियनशिप में 9 रजत, 8 कांस्य सहित राष्ट्रीय स्तर पर ढेरों मैडल जीत पाई हूँ। पूज्य गुरु जी ने हमें सिखाया है कि खेल में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए शारीरिक फिटनेस के साथ-साथ मानसिक संतुलन भी अति आवश्यक है और मानसिक संतुलन के लिए खेल के अभ्यास के साथ-साथ मेडिटेशन बहुत जरूरी है, जिससे ध्यान एकाग्रचित होता है।
-स्स्वप्निल इन्सां, अंतरराष्ट्रीय योगा खिलाड़ी
पूज्य गुरु जी द्वारा बताई गई तकनीकों को अपनाकर मैंने 2008 में योगाभ्यास शुरू किया। अब तक तीन एशिया कप और दो वर्ल्ड चैंपियनशिप में 12 रजत और 9 रजत जीत पाई हूँ। मेरे पापा कोच ने ही हम बेटियों को शिक्षा के साथ-साथ खेलों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
-कीर्ति इन्सां, अंतरराष्ट्रीय योगा खिलाड़ी
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