जेलों में मोबाइल मिलने के मामलों पर अंकुश लगाने की कवायद
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वर्तमान में जिला कारागृह में 439 बंदी बंद
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प्रदेश की सभी नौ केन्द्रीय जेलों में उपलब्ध थी यह सुविधा
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बंदी अधिकतर चार नंबरों पर ही कर सकेगा बात
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कॉल का पूरा रिकार्ड होगा सिस्टम में रिकार्ड
हनुमानगढ़। हां…बाबूजी में जेल से बोल रहा हूं, मैं यहां ठीक हूं, और वकील साहब से मिल लेना, पूछना जमानत कब तक होगी। कुछ इस तरह की बात अब जिला कारागृह में रहने वाले बंदी सीधे अपने परिजनों से करने लगे हैं। जेल में रहने वाले बंदियों के लिए जेल प्रशासन की ओर से हाल ही में कॉलिंग सिस्टम लगाया गया है। जेल विभाग की ओर से प्रदेश की सभी जिला जेलों में एसटीडी फोन सुविधा शुरू की गई है। करीब एक माह पहले जिला मुख्यालय पर स्थित जिला कारगाृह में यह सुविधा शुरू तो हो गई थी लेकिन शुरूआत में कुछ तकनीकी दिक्कतें आई।
अब करीब एक माह बाद यह सुविधा सुचारू रूप से शुरू हो चुकी है। इसे लागू करने पर लम्बे समय से विचार किया जा रहा था, लेकिन जेलों में मोबाइल फोन पकड़े जाने के कई मामले सामने आने पर अब इसे एहतियात के साथ शुरू किया गया है। जेलों में बंदी की ओर से की जाने वाली कॉल का पूरा रिकार्ड उपलब्ध रहेगा। बंदी अधिकतम चार नंबरों पर परिजनों, रिश्तेदारों व अपने अधिवक्ता से बात कर सकेंगे।
एक बंदी एक दिन में 5 मिनट बात कर सकेगा। मासिक शुल्क 150 रुपए देय होगा। मोबाइल फोन के लिए होने वाला खर्च बंदियों को ही वहन करना होगा। इस कॉलिंग सिस्टम के अनुसार जेल में रह रहे बंदी से चार नंबर लिए जाएंगे और सिस्टम में अपलोड सॉफ्टवेयर में सुरक्षित रखे जाएंगे। वर्तमान में जिला कारागृह में 439 बंदी बंद हैं। अभी तक यह सुविधा सिर्फ प्रदेश की सभी नौ केन्द्रीय जेलों में उपलब्ध थी।
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चोरी छिपे हो रहा मोबाइल का उपयोग
जेल में कई दिनों तक रहने के दौरान बंदियों को परिजनों की याद सताने लगती है तथा परिजनों को भी परिवार के सदस्य से बात करने, परिवार में होने वाली गतिविधियों के समाचार देने की आवश्यकता रहती है। किसी को वृद्ध माता-पिता के समाचार लेने है तो किसी को गर्भवती पत्नी का हाल जानना है। वहीं सबसे अधिक समस्या खुद की जमानत व न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण की स्थिति को लेकर रहती है, लेकिन जेल में फोन सुविधा नहीं रहने से बंदी चोरी छिपे मोबाइल हैंडसेट, मोबाइल सिम आदि ले जाने का प्रयास करते थे। इससे पकड़े जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई होने का डर रहता था। इसका उदाहरण 2018 में ही अलग-अलग समय में जिला कारागृह से करीब चार दर्जन मोबाइल फोन बरामद हो चुके हैं।
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पहले मुख्यालय से होगा चारों नंबरों का वेरीफिकेशन
जिला कारागृह के जेल उप अधीक्षक सुरेश कुमार ने बताया कि बंदी की ओर से दिए जाने वाले चारों नंबरों का जयपुर मुख्यालय से वेरीफिकेशन होगा। वेरीफिकेशन के बाद ही बंदी इन नंबरों पर बात कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि मुख्यालय की ओर से जिला जेलों में एसटीडी सुविधा शुरू करने के लिए गुडगांव की कंपनी के साथ करार किया गया है। सॉफ्टवेयर खुद-ब-खुद संबंधित बंदी के नाम से दर्ज चारों नंबरों को डिस्प्ले कर देगा और अपने विकल्प के अनुसार बंदी इन नंबरों पर एक दिन में अधिक से अधिक पांच मिनट तक बात कर सकेगा। पांच मिनट बाद स्वत: फोन कट जाएगा। प्रति मिनट बात करने पर एक रुपया कटेगा।
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चारदीवारी ऊंची करने के लिए मांगा बजट
जेल उप अधीक्षक सुरेश कुमार ने बताया कि जिला कारागृह में बंदियों की ओर से चोरी-छिपे मोबाइल का इस्तेमाल करने के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए जेल प्रशासन पूरी तरह गंभीर है। इसके लिए जिला कारागृह की चारदीवारी की ऊंचाई बढ़ाने के लिए मुख्यालय जयपुर से 60 लाख रुपए का बजट मांगा गया है। उम्मीद है कि इस साल बजट उपलब्ध हो जाएगा।
बजट मिलने के बाद चारदीवारी ऊंची करने के अलावा जेल में मोबाइल न पहुंचे इसके लिए अन्य कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि पूर्व में जिला कारागृह में बंदियों से परिजनों से मुलाकात करवाने के लिए मुलाकात कक्ष का अभाव था लेकिन अब मुलाकात कक्ष का निर्माण करवा दिया गया है। जेल परिसर में पार्क का विकास कर पौधे लगाए गए हैं।
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