चुनौतियां: शाह को 370 और धारा 35-ए व सिंह को पाक और चीन से बढ़ते खतरे से निपटना होगा
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तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक की
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शहीदों को दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को यहां अपने-अपने मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया। इससे पहले सिंह ने सुबह आठ बजे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर तीनों सेना प्रमुखों के साथ शहीदों को श्रंद्धाजलि दी। शाह के गृह मंत्री का कार्यभार संभालने के समय दोनों गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी और नित्यानंद राय वहां मौजूद थे। गृह सचिव राजीव गौबा ने उनका सवागत किया। मंत्रालय के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी इस मौके पर मौजूद थे। शाह को राजनाथ सिंह के स्थान पर यह जिम्मेदारी दी गयी है। शाह भाजपा के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वह गुजरात के गांधीनगर से जीतकर संसद पहुंचे हैं।
सिंह ने भी अपने साउथ ब्लॉक कार्यालय जाकर मंत्रालय का कामकाज संभाला। रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद यसो नायक औ? रक्षा सचिव संजय मित्रा ने उनका सवागत किया। उस समय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ, थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और नौसेना प्रमुख एडमिरल कर्मबीर सिंह तथा मंत्रालय के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। सिंह को श्रीमती निर्मला सीतारमण की जगह यह जिम्मेदारी दी गयी है। श्रीमती सीतारमण को वित्त मंत्री बनाया गया है। सिंह लखनऊ लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे हैं। रक्षा मंत्री ने कार्यभार संभालने के बाद रक्षा राज्य मंत्री, रक्षा सचिव और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ रक्षा संबंधित विषयों पर औपचारिक बातचीत की और सभी से लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूर्ण समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ काम करने को कहा।
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कश्मीर, एनआरसी पर क्या होगा रुख?
बतौर बीजेपी प्रेजिडेंट अमित शाह ने कश्मीर के मुद्दे पर दो टूक राय रखी थी कि वह 370 और धारा 35-ए पर तुरंत फैसले लेंगे। वहीं नागरिकता संशोधन कानून बीजेपी के लिए चुनावी मुद्दा रहा है। अब शाह की मौजूदगी में ऐसे मुद्दों पर सरकार का रुख भी देखना दिलचस्प होगा।
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बतौर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को कड़े कदम उठाने होगे
देश के नए रक्षा मंत्री के तौर पर राजनाथ सिंह के सामने कई चुनौतियां हैं। चीन और पाकिस्तान से खतरे की चुनौतियों से निपटने से लेकर भारत के रक्षा-औद्योगिक आधार को बढ़ाने की चुनौती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है और वह छोटे-छोटे हथियारों से लेकर बड़े रक्षा उपकरणों तक के लिए मुख्यत: आयात पर निर्भर है। ऐसे में भारत को इस टैग से छुटकारा पाने की जरूरत है।
रक्षा मंत्री के तौर पर राजनाथ को तत्काल जिस चीज को प्राथमिकता देनी होगी, वह है सुरक्षा बलों के लिए पर्याप्त गोले-बारूद का भंडार सुनिश्चित करना। 15 लाख सशस्त्र बलों के पास गोले-बारूद का इतना भंडार होना चाहिए कि अगर युद्ध जैसी स्थिति आई तो यह कम से कम 10 दिनों तक चल सके। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई सौदों पर पहले ही दस्तखत हो चुके हैं।
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