न जाति, न गठबंधन, मोदी मैजिक कर गया काम

Lok Sabha election results 2024

लोकसभा चुनाव नतीजे 2019

नई दिल्ली (एजेंसी)। लोकसभा चुनावों के नतीजों ने इस बार गठबंधन की राजनीति को पीछे धकेल दिया है। यूपी, बिहार महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में जहां विपक्षी दल गठबंधन कर भाजपा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे थे, वे सभी समीकरण नतीजों में पीएम नरेंद्र मोदी के करिश्मे के आगे धाराशायी हो गए। न गठबंधन चला और न जाति का दांव। सब पर मोदी भारी दिखे। आइए जानते हैं आखिर वो कौन से कारण रहे जिसके कारण बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने जोरदार वापसी की।

  • मजबूत नेता की छवि

पीएम नरेंद्र मोदी की मजबूत नेता की छवि ने पूरे देश में उनको सवार्मान्य नेता के रूप में पेश किया। नोटबंदी, जीएसटी और आतंकवाद के खिलाफ उनके कड़े फैसले से देश में उनकी छवि एक मजबूत नेता की बनी। विपक्ष मोदी के सामने असहाय नजर आने लगा। नतीजों में मोदी की मजबूत छवि का भी रहा बड़ा योगदान।

  • जाति टूटी, काम बोला

यूपी, बिहार, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में विपक्षी दलों का गठबंधन बुरी तरह असफल रहा। जाति के नाम पर किए गए गठबंधन को इन राज्यों में तवज्जों नहीं मिला। जनता ने केंद्र सरकार की योजनाओं के पक्ष में जमकर वोट किया। इन सभी राज्यों में जाति का बंधन टूट गया।

  • राष्ट्रवाद का नारा

चुनावों में पीएम मोदी ने राष्ट्रवाद का नारा दिया था। लगभग भी चुनावी रैली में पीएम मोदी ने राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाया। आतंकियों के खिलाफ उनकी सरकार के कड़े कदम का जिक्र किया। जनता में पीएम मोदी की ये अपील काम कर गई और लोकसभा चुनाव में बीजेपी 2014 के प्रदर्शन से भी आगे निकल गई।

  • बालाकोट एयर स्ट्राइक का असर

पुलवामा आतंकी हमले के बाद वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक ने देश में पीएम मोदी की छवि को और मजबूत किया। जिस तरह से भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर जैश के आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त किया उससे देश में पीएम नरेंद्र मोदी की आतंक के खिलाफ ऐक्शन की खूब सराहना की गई। चुनावों के दौरान पीएम मोदी ने इस हमले को खूब बनाया और मजबूत सरकार के जरिए विपक्ष पर निशाना साधा।

  • ब्रैंड मोदी

लोकसभा चुनाव 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी का अपनी पार्टी और गठबंधन के लिए ब्रैंड के तौर पर उभरे। न केवल बीजेपी के लिए बल्कि एनडीए के लिए पीएम मोदी ने जमकर वोट मांगे। एनडीए गठबंधन में शामिल सभी 36 दलों ने पीएम के नाम को खूब भुनाया। यहां तक कि कई सीटों पर एनडीए प्रत्याशी पीएम मोदी के नाम पर वोट मांगते नजर आए।

  • जनहित योजनाओं का फायदा

केंद्रीय योजनाओं आयुष्माम भारत, उज्ज्वला, किसान सम्मान निधि, स्वच्छ भारत के तहत शौचालयों का निर्माण जैसी योजनाओं ने जमीनी स्तर पर बीजेपी के पक्ष में वोटरों के एनडीए के पक्ष में करने में बड़ी सफलता पाई। इन योजनाओं का जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन और इसमें भ्रष्टाचार न होना भी एनडीए के पक्ष में गया। पीएम मोदी ने भी अपने चुनाव प्रचार में केंद्र की इन योजनाओं का खूब जिक्र किया था। चुनाव परिणाम में बीजेपी को इसका खूब फायदा मिलता दिखा।

  • हर राज्य के लिए अलग समीकरण

बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में हर राज्य के लिए अलग-अलग रणनीति बनाई थी। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक के अलावा ओडिशा में बीजेपी अलग-अलग रणनीति के साथ उतरी। बंगाल में बीजेपी की रणनीति बेहद कारगर रही और राज्य में पार्टी ने ममता बनर्जी के किले में सेंध लगाने में सफलता पाई। इसके अलावा यूपी और बिहार में एनडीए ने गठबंधन को बड़े अंतर से मात देने में सफल रहा। महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने भारी जीत दर्ज की।

  • सहयोगियों को तवज्जो

2014 चुनावों के बाद इस चुनाव में भी बीजेपी ने अपने सहयोगियों को पूरी तवज्जो दी। महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ पुराने मतभेद भुलाकर पार्टी लोकसभा चुनाव में उसके साथ लड़ी। इसके अलावा बिहार में जदयू को अपनी जीती हुई सीटें तक तक दे दी। बिहार और महाराष्ट्र में बीजेपी को इसका लाभ मिला। इसके अलावा बीजेपी ने पूर्वी भारत में कई दलों के साथ गठबंधन कर जीत सुनिश्चित की।

  • यूपी और बंगाल की तैयारी पहले से शुरू

उत्तर प्रदेश में एसपी और बीएसपी के गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू होने से पहले ही बीजेपी ने राज्य में 50+ वोटों के लिए कोशिश शुरू कर दी थी। बीजेपी को पहले से ही ये अंदाजा था कि यूपी में एसपी-बीएसपी गठबंधन कर सकती है। पार्टी ने राज्य में केंद्र की जनहित योजनाओं का पूरा प्रचार किया और ये कोशिश की कि उसका लाभ सभी को मिले। पार्टी की यह रणनीति काम कर गई। पश्चिम बंगाल के लिए बीजेपी ने 2017 में ओडिशा के बाद से ही तैयारी शुरू कर दी थी। पश्चिम बंगाल में बीजेपी की तैयारी काम कर गई और पार्टी ने ममता के गढ़ को हिला दिया।

  • विपक्ष विकल्पविहीन

पीएम नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष विकल्पहीन रहा। विपक्ष के पास पीएम मोदी की टक्कर का कोई नेता नहीं था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पीएम मोदी के सामने कमतर साबित हुए। इसके अलावा बंटा हुआ विपक्ष मोदी के सामने चुनौती नहीं बन पाया। विपक्ष में अंदरूनी टूट मोदी के सामने चुनौती ही पेश नहीं कर पाई।

  • राहुल की छवि मोदी के सामने कमजोर

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि पीएम मोदी के सामने बेहद कमजोर साबित हुए। लोकसभा चुनाव शुरू होने के बाद हालांकि कांग्रेस राहुल गांधी को पीएम मोदी के टक्कर में खड़ा करने की कोशिश की लेकिन पीएम की भाषण शैली, लोगों के जुड़ने का तरीका के सामने राहुल कहीं टिक नहीं पाए।

 

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