सौंदर्यकरण में प्रथम स्थान पर रहने वाला कमाच खेड़ा का सरकारी विवादों में घिरा
बच्चों से स्कूल में हुक्का भरवाने व दुर्व्यवहार करने के मामले में ग्रामीणों ने की पंचायत
तीन घंटे तक चली स्कूल में नोक-झोंक, अध्यपकों और ग्रामीणों ने लगाए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप
सच कहूँ/कर्मवीर जुलाना। कभी सौंदर्यकरण में प्रथम स्थान पाकर सुर्खियों में रहने वाला कमाच खेड़ा का सरकारी स्कूल आजकल विवादों के में है। शिक्षा के स्तर में सुधार को लेकर ग्रामीणों और अध्यापकों ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने शुरू कर दिए। जिससे स्कूल में बच्चों की संख्या पर सीधा असर पड़ा और स्कूल में बच्चों की संख्या हर रोज कम हो रही थी। इसी को लेकर मंगलवार को ग्रामीणों ने सरकारी स्कूल में पहुंचकर जमकर बवाल काटा। ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल में कार्यरत अध्यापक बच्चों से स्कूल में हुक्का भरवाता है और विरोध करने पहुंचे अभिभावकों से दुर्व्यवहार करता है। जिसको लेकर चौपाल में ग्राम पंचायत का आयोजन किया गया।
ग्राम सभा में पंचायत ने अध्यापकों के तबादले का प्रस्ताव पास किया। सभी ग्रामीणों ने स्कूल में पहुंचकर जमकर बवाल काटा। मंगलवार को दर्जनों ग्रामीण महिलाओं सहित कमाच खेड़ा के की चौपाल में पहुंचे और स्कूल में शिक्षा के सुधार के लिए अध्यापकों के तबादले का प्रस्ताव पास किया। सूचना पाकर जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को शांत करने का प्रयास किया। लेकिन ग्रामीण अध्यापकों के तबादले की मांग पर अड़ गए। अंत में जिला शिक्षा अधिकारी ने 4 अध्यापकों का तबादला करना पड़ा। तब जाकर अभिभावक शांत हुए।
10 दिन पहले भी हुआ था स्कूल में हंगामा
अध्यापकों के तबादले की मांग को लेकर 10 मई को भी स्कूल में अभिभावकों ने हंगामा मचाया था। खंड शिक्षा अधिकारी कि आस्वासन के बाद ही ग्रामीण माने थे। उस समय भी ग्रामीणों ने अध्यापकों के खिलाफ लिखित में शिकायत दी थी लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा शिकायत को गंभीरता से नही लिया गया। प्रशासन के रवैये के खिलाफ ही ग्रामीण मंगलवार को स्कूल में ताला लगाने पहुंचे थे लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर 4 अध्यापकों का तबादला कर दिया और उनकी जगह और अध्यापकों की नियुक्ति के आस्वासन के बाद ही ग्रामीण माने।
अध्यापक स्कूल में घुसने नहीं देता: सरपंच
कमाच खेड़ा गांव के सरपंच प्रदीप का कहना है कि गांव के सरकारी स्कूल में पहले शिक्षा के स्तर में काफी सुधार था। जिसके चलते प्रशासन द्वारा स्कूल को सोंदर्यकरण में जिले में प्रथम आने पर पुरस्कार भी दिया गया लेकिन अब जब स्कूल में शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए स्कूल में जाते हैं तो स्कूल में कार्यरत अध्यापक रविंद्र पटवा उनके साथ भी बदसलुकी करता है और स्कूल में घुसने से मना करता है।
बच्चों की घटी संख्या
स्कूल में बच्चों की संख्या 105 होती थी लेकिन अध्यापकों के रवैये के कारण अभिभावकों ने अपने बच्चों का दाखिला या तो नीजि स्कूलों में करवा दिया या फिर दूसरे गांवों के सरकारी स्कूलों में करवा दिया। लगातार 10 दिनों से हर रोज स्कूल में बच्चों की संख्या कम हो रही थी। 10 दिन में बच्चों की संख्या घटकर मात्र 89 रह गई है। वहीं मंगलवार को ग्रामीणों और अध्यापकों के विवाद के चलते मात्र 9 छात्र ही स्कूल पहुंचे। हर रोज बच्चों की घट रही संख्या का सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है। अभिभावकों का कहना है कि जब वो बच्चों की शिक्षा में सुधार को लेकर स्कूल जाते हैं तो अध्यापक सीधा सटीक जवाब देते हैं कि वो अपने बच्चों को कहीं भी पढ़ा लें उनकी सैलरी पर कोई फर्क नही पड़ने वाला। अध्यापकों के इस रवैये को लेकर अभिभावकों में रोष बना हुआ था।
सूचना मिली थी कि अध्यापकों और कमाच खेड़ा के ग्रामीणों में आपसी टकराव हो गए हैं। प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर मामले को शांत करवाने की कोशिश की लेकिन ग्रामीणों की मांग थी कि अध्यापकों को जल्द से यहां से बदला जाए। ग्रामीणों से 10 दिन का समय मांगा गया था लेकिन ग्रामीण अपनी बात पर अड़ गए और विभाग ने कार्यवाही करते हुए मुख्य मौलिक शिक्षिका सविता, रविंद्र पटवा, राजेंद्र, और अजमेर का यहां से तबादला कर दिया है। इनकी जगह पर दूसरे अध्यापकों को भेजा जाएगा। बच्चों की शिक्षा के साथ कोई खिलवाड़ नही होने दिया जाएगा।
-दिलजीत सिंह, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी जींद।
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