मिशन: 6 सितम्बर को चन्द्रमा पर पहुंचने की उम्मीद
बेंगलुरु (एजेंसी)। चंद्रमा पर भारत के दूसरे अभियान चंद्रयान-2 में आँकड़े जुटाने तथा प्रयोग आदि के लिए कुल 14 पेलोड भेजे जाएंगे जो पूरी तरह स्वदेशी होंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी दी। उसने बताया कि मिशन के तीन मॉड्यूलों में आॅर्बिटर पर आठ, लैंडर पर चार और रोवर पर दो पेलोड होंगे। चंद्रयान का प्रक्षेपण इस साल 09 से 16 जुलाई के बीच किया जाएगा और इसके चंद्रमा पर पहुँचने के लिए 06 सितम्बर का समय तय किया गया है।
इससे पहले अक्टूबर 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 में कुल 11 पेलोड भेजे गए थे जिनमें छह भारतीय, तीन यूरोपीय और दो अमेरिकी थे। इसरो ने बुधवार को बताया कि चंद्रयान-2 के तीनों मॉड्यूलों को 09 से 16 जुलाई के बीच प्रक्षेपण के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके 06 सितंबर को चंद्रमा पर पहुँचने की उम्मीद है।
पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा
प्रक्षेपण के समय आर्बिटर और लैंडर मॉड्यूल एक-दूसरे से जुड़े रहेंगे। रोवर को लैंडर के भीतर रखा जाएगा। प्रक्षेपण के बाद पहले इन्हें पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। बाद में पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार कक्षा में परिवर्तन कर इसे चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। चंद्रमा की कक्षा में पहुँचकर लैंडर आॅर्बिटर से अलग हो जाएगा तथा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास पहले से तय स्थान पर आहिस्ता से चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसे विक्रम नाम दिया गया है। इसके बाद रोवर भी लैंडर से अलग हो जाएगा और वैज्ञानिक आँकड़े तथा नमूने एकत्र करने के लिए चंद्रमा की सतह का भ्रमण करेगा।
प्रक्षेपण यान का वजन 3.8 टन होगा
इसे प्रज्ञान नाम दिया गया है। लैंडर और आर्बिटर वैज्ञानिक अनुसंधानों के लिए उपकरणों से लैस होंगे। इस दौरान आॅर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में उसकी सतह 100 किलोमीटर की ऊँचाई पर चक्कर लगाते हुए उसकी नजदीकी तस्वीरें एकत्र करता रहेगा। इस मिशन का प्रक्षेपण स्वदेशी प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके-3 की मदद से किया जाएगा। प्रक्षेपण यान का वजन 3.8 टन होगा। चंद्रयान-1 के प्रक्षेपण के लिए पीएसएलवी का इस्तेमाल किया गया था। चंद्रयान-1 चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति खोजने में सफल रहा था।
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