भारत की महिला निशानेबाज अपूर्वी चंदेला ने दुनिया में जो भारत का मान बढ़ाया है उस पर हर देशवासी को गर्व महसूस हो रहा है। जयपुर की रहने वाली अपूर्वी चंदेला दुनिया की नम्बर वन निशानेबाज बन गयी है। अपूर्वी ने जैसा नाम वैसा काम कर दिखाया है। अपूर्वी का मतलब होता है अद्भुत और उसने अपने नाम के अनुरूप प्रदर्शन कर परिजनों द्वारा रखे गये नाम को सार्थक कर दिखाया है। निशानेबाज अपूर्वी चंदेला ने 10 मीटर एअर राइफल विश्व रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया है। अपूर्वी ने 10 मीटर एयर राइफल वर्ग में 1926 अंकों के साथ विश्व रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया है।
हाल ही में इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन द्वारा विश्व रैंकिंग सूची जारी की गयी है। जिसमें भारतीय शूटर अपूर्वी चंदेला 10 मीटर एयर राइफल रैंकिंग में दुनिया की पहले नंबर की खिलाड़ी बन गई हैं। फेडरेशन द्वारा जारी रैंकिंग में भारत की अपूर्वी के 1926 अंक हंै। इनके बाद दूसरे नंबर पर भी भारत की ही अंजुम मौदगिल हैं जिसके 1695 अंक हैं। अपूर्वी चंदेला समेत भारत के 6 निशानेबाजों ने 2020 में टोक्यो में होने वाली ओलिंपिक प्रतियोगिता में शामिल होने का कोटा हासिल कर लिया है।
अपूर्वी चंदेला ने फरवरी 2019 में सम्पन्न हुए विश्वकप शूटिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। अपूर्वी ने विश्वकप में 252.9 का स्कोर कर एक रिकार्ड बनाया था। 2018 के एशियन गेम्स में अपूर्वी ने 10 मीटर मिश्रित राइफल प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने इससे पहले साल 2012 में हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। 2014 में नीदरलैंड में हुई इंटरशूट प्रतियोगिता में स्वर्ण और कांस्य पदक जीता था। राजस्थान स्थित जयपुर में जन्मी अपूर्वी के पिता कुलदीप सिंह चंदेला होटल व्यवसायी तो मां बिन्दू राठौर एक गृहिणी हैं। अपूर्वी का पालन-पोषण जयपुर में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के विश्वविद्यालय जीजस एंड मैरी कॉलेज से सोशियोलॉजी विषय में स्नातक किया हुआ है। ओलंपिक शूटिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की प्रेरणा से अपूर्वी निशानेबाजी में रूची लेने लगी। 2012 में उहोंने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल किया।
अपूर्वी ने 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में इन्होंने 10 मीटर एयर राइफल मिश्रित टीम स्पर्धा में रवि कुमार के साथ जोड़ी बनाई और भारत को कांस्य पदक दिलाया। 2018 में गोल्ड कोस्ट में खेले गये राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होने कांस्य पदक जीता था। 2015 में म्यूनिख में सम्पन्न हुये विश्वकप में उन्होंने रजत पदक भी अपने नाम किया था। साल 2014 में गलास्वो राष्ट्रमंडल खेलो में स्वर्ण पदक जीतने के साथ उन्होंने 2014 में नीदरलैंड में हुई इंटरशूट प्रतियोगिता में स्वर्ण और कांस्य पदक जीता था। इससे पहले इन्होंने 2012 में नई दिल्ली में राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में भाग लिया और 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। अपूर्वी के शूटिंग करियर में उनके माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है। परिवार ने उन्हें बहुत सहारा दिया। उनके इस हुनर से उनके पिता बहुत प्रभावित हुए और उन्हें निशानेबाजी में अपना करियर बनाने की सलाह दी। बेटी की दिलचस्पी को देखते हुए अपूर्वी के चाचा ने उनके लिए शूटिंग रेंज का निर्माण किया ताकि वो इत्मीनान से अपनी कला को और धार दे सकें। अपूर्वी ने अपनी कला पर अमल करते हुए आगे चलकर एक से बढ़ एक कारनामें किए। अक्सर वो अपने परिवार को सभी टूनार्मेंटों में ले जाती हैं, यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय टूनार्मेंट में भी उनके परिजन अपूर्वी के साथ ही जाते हैं। अपूर्वी अपने आपको निशानेबाजी के लिये फिट रखने के लिए नियमित रूप से योगा करती हैं। खुद को मानसिक रूप से तंदरुस्त रखने के लिए ध्यान इत्यादि भी करती हैं।
अपूर्वी का अगला लक्ष्य 2020 में टोक्यो में होने वाली ओलम्पिक प्रतियोगिता में भारत के लिये स्वर्ण पदक जीत कर लाना है। उसके लिये वो कड़ी मेहनत कर रही है। टोक्यो ओलम्पिक का टिकट मिलने से अपूर्वी का मनोबल बहुत मजबूत हुआ है। अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिये वह निरन्तर अभ्यास कर रही है। किसी भी खिलाड़ी के लिये शीर्ष पर पहुंचना एक सपना रहता है। कुछ बिरले खिलाड़ी होते हंै जो अपने खेल जीवन में सर्वोच्च शिखर पर पहुंचते हैं। आज अपूर्वी चंदेला भी अपने खेल जीवन के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंच चुकी है। अब उन्हे जरूरत है अपनी सर्वोच्च रैंकिंग को बनाये रखकर अपने खेल की लय को बरकरार रखते हुये आगामी ओलम्पिक प्रतियोगिता की निशानेबाजी में कोई बड़ा पदक जीत कर खुद को कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अभिनव बिन्द्रा के समकक्ष खड़ा कर सके।
रमेश सर्राफ धमोरा
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