हम में से अधिकांश लोग पर्यावरण प्रदूषण के मूल कारकों वायु,जल, ध्वनि आदि से परिचित हैं। लेकिन क्या कृत्रिम प्रकाश के अत्यधिक और अनावश्यक प्रयोग से पैदा होने वाले लाइट पॉल्यूशन आपकी नजर में हैं।शायद नहीं।अधिकांश लोगों को न प्रकाश प्रदूषण की जानकारी है ,न इसके साइड इफेक्ट का पता है।प्रकाश प्रदूषण कृत्रिम प्रकाश के कारण उत्पन्न एक प्रदूषण है। यह वन्य जीवन, मानव, प्राकृतिक जीवन, हमारी उर्जा और प्राकृतिक आकाशीय रोशनी की विरासत के लिए एक बढ़ता हुआ खतरा है। समय समय पर पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर चिंताएं जाहिर की जाती रही है। पर्यावरण को दूषित करने वाले विभिन्न घटकों की चर्चा की जाती हैं और समाधान के लिए वैश्विक प्रयास किए जाने के लिए अनुबंध होते हैं।
दुर्भाग्यवश मूल रूप से पर्यावरण प्रदुषण को वायु,जल, ध्वनि इत्यादि तक सीमित कर दिया जाता है।हाल ही में वायु प्रदूषण को लेकर अमरीका के हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट की वायु प्रदूषण पर रिपोर्ट प्रकाशित हुई और उसके दुष्प्रभाव पर प्रकाश डाला गया।हर जगह उस पर विमर्श हो रहा है। यह अच्छी बात है।लेकिन ऐसी कोई रिपोर्ट प्रकाश प्रदूषण पर नहीं दिखाई देती है।आज तक पर्यावरण प्रदूषण के जिस रूप को अक्सर नजरअंदाज किया जाता हैं वह है- प्रकाश प्रदूषण।यह प्रदूषण भी अन्य प्रदूषण की तरह मानव जीवन पर बुरा असर डालता है लेकिन इसको लेकर जागरूकता ना होने और इस पर ज्यादा चर्चा ना होने से अक्सर इसे नजरअंदाज किया जाता रहा है! इसको लेकर कोई ठोस विमर्श भी सामने नहीं आया है।प्रकाश प्रदूषण जिसे अंग्रेजी में फोटो पोल्यूशन या लुमिनस पोल्यूशन के रूप में जाना जाता है। अंतरराष्ट्रीय डार्क स्काई एसोसिएशन की परिभाषा के अनुसार प्रकाश प्रदूषण अत्यधिक अथवा बाधक कृत्रिम प्रकाश होता है। प्रकाश प्रदूषण, प्रदूषण के किसी अन्य रूपों की तरह ही पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पैदा करता है। प्रकाश प्रदूषण को दो प्रकार से विभाजित किया जाता है। पहला,ऐसा कष्टदायक प्रकाश जो प्राकृतिक या हल्की प्रकाशीय व्यवस्था में दखलअंदाजी करता है। और दूसरा, घरों के भीतर या (बाहर भी)अत्यधिक चकाचौंध वाला प्रकाश जो बेचैन करने वाला होता है और स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक होता है। इसके कई प्रतिकूल परिणाम होते हैं, उनमें से कुछ के बारे में अभी तक जानकारी नहीं भी हो सकती है। शहरों, महानगरों और कस्बों का बाहरी और भीतरी तीव्र प्रकाश, विज्ञापन ,व्यावसायिक संपत्तियों, कार्यालय,कारखाने और सड़क पर लगे प्रकाश स्रोत, खेल मैदानों की फ्लड लाइट, त्योहार और उत्सव पर आर्टिफिशियल लाइट आदि प्रकाश प्रदूषण के प्रमुख स्रोत है।
सही अर्थ में अति प्रकाश वैश्विक समस्या बन गया है। अगर आप शहर या महानगर में रहते हैं तो रात के समय रोशनी के चकाचौंध को देख सकते हैं ।अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आपके शहर में प्रकाश प्रदूषण कितना अधिक और घातक है ,तो आप नासा ब्लू मार्बल नेविगेटर या ग्लोब एट अट्रैक्टिव लाइट पॉल्यूशन मैप का प्रयोग कर सकते हैं जिसे 8 साल तक डाटा कलेक्ट करके तैयार किया गया है।तीन बिलीयन वर्षों से पृथ्वी पर प्राकृतिक प्रकाश और अंधेरों का चक्कर चल रहा है जो सूरज की रोशनी, चांद-तारों और पिंडों के कारण संपन्न होता है। लेकिन आज कृत्रिम प्रकाश अंधेरों को चीरकर रात में शहरों को दिन जैसा बना उजाला देते हैं। जिससे प्राकृतिक दिन रात का पैटर्न बिगड़ रहा है और हमारे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। लाइट पोलूशन हर शहरी को प्रभावित करता है और यह बुरे प्रभाव ऐसे हैं जिन्हें हम छू नहीं सकते बल्कि केवल उनका एहसास कर सकते हैं ।
इस मुद्दे पर वर्षों से अध्ययन और खोज जारी है और रात के तीव्र रोशनी के बीच शहर और महानगरों की तस्वीरें ली जाती हैं ताकि मालूम पड़ सके की रोशनी से कैसा प्रदूषण वातावरण में घुल रहा है। यह बहुत ही खतरनाक समस्या है ।इस तरह स्थाई तेज रोशनी के इंतजाम से फसलों, पौधों, जानवरों और पक्षियों को भी जबरदस्त नुकसान होता है।वास्तविकता यह है कि जिन प्रकाश स्रोतों को घरों के बाहर खुले आसमानों पर और सड़कों पर लगाया गया है ,वह अप्रभावी हैं, बहुत चमकीले हैं, अनिर्देशित हैं और अनुचित हैं। जो व्यर्थ ही बिजली खर्च करते हैं ।जितने प्रकाश की आवश्यकता है उसे अधिक प्रकाश फैलाना दुषप्रभावी हैं।अधिक मात्रा में फैलाई जा रहे प्रकाश को उन जगहों पर फोकस किया जाना चाहिए जिन स्थानों पर उसकी जरूरत है और जिन लोगों को उसकी आवश्यकता है। टेक्सेस एरिजोना स्थित इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन के मुताबिक वर्ष 1994 में लॉस एंजिलिस में आए भूकंप के बाद शहर की रोशनी बाधित हो गई थी, जिसके बाद लोगों ने रात में आसमान में बड़े चमकीले बादल देखने की बात कही थी ।दरअसल यह प्रकाश प्रदूषण के कारण अदृश्य हुई आकाशगंगा थी।इस घटना से आप प्रकाश प्रदूषण के नुकसान के बारे में अंदाजा लगा सकते हैं। अन्य प्रदूषण से इतर प्रकाश प्रदूषण रिवर्सिबल है। हम इसे आसानी से ऐसा कर सकते हैं। प्रकाश प्रदूषण के प्रति जानकारी रखना और इसके कारण जानना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इससे बचाव और उसे दूर करने का प्रयास करना ही अधिक महत्वपूर्ण कदम होगा। इसके लिए पहला कदम होगा कि घरों में रोशनी की मात्रा इतनी ही रखनी चाहिए जिससे काम चल जाए और बेमतलब रोशनी की जरूरत ना हो।हमें रोशनी तभी करनी चाहिए जब उसकी आवश्यकता हो ।इसके अलावा घरों के निर्माण को इस तरह करना चाहिए कि प्राकृतिक रोशनी घर के भीतर आए और कृत्रिम रोशनी की निर्भरता कम हो।साथ ही मौसम डिटेक्टर और टाइमर वाले प्रकाश स्रोत का प्रयोग किया जाना चाहिए ।खुले क्षेत्र में लगे प्रकाश स्रोत सही तरीके से परिरक्षित किए जाने चाहिए।दिलचस्प बात यह है कि प्रकाश के कारण ही वायु प्रदूषण पैदा होता है दरअसल एक लाइट को हर साल चलाने के लिए कई टन कोयला खर्च हो जाता है।
निष्कर्षतया प्रकाश प्रदूषण एक ऐसा खतरा है ,जो आने वाली पीढ़ियों को ओर ज्यादा प्रभावित और परेशान करेगा ।कुदरत ने जो स्वच्छ वातावरण मानव जीवन को कायम रखने के लिए बनाया है, उसकी हर कीमत पर हिफाजत करनी चाहिए, यह हमारा फर्ज है ।और इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल करने का प्रयास करना चाहिए।हालांकि अच्छी बात यह भी है की प्रकाश प्रदूषण के खिलाफ बहुत सी संस्थाएं हरकत में आई है। खासकर आसमान पर रोशनी के प्रदूषण के खिलाफ उनका कहना है कि आसमान पर ज्यादा अंधेरा रहना चाहिए।शहरी महकमों,लोकल सेल्फ काउंसिल और कॉरपोरेशन काउंसिल रोशनी के डिजाइन बनाने वाले इंजीनियरों को इस बात का एहसास हो रहा है कि रोशनी के प्रदूषण को कम करने की जरूरत है।
नरपत दान चारण
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