समय का साथी नहीं बन सका फायर ब्रिगेड बठिंडा
बठिंडा (सच कहूँ/अशोक वर्मा)। बठिंडा जिले में पिछले एक सप्ताह दौरान आग लगने की आधी दर्जन से अधिक (wheat) घटनाओं में सैकड़ों एकड़ गेहूं राख हो गई है, जिनमें किसानों का भारी माली नुक्सान हुआ है। यह पहली बार नहीं हुआ बल्कि हर वर्ष किसानों को आग के कारण लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। बठिंडा जिले में करीब 2.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की काश्त की जाती है, जिसमें से आधे से अधिक गेहूं को हर साल खतरा बनता है। बिजली की ढ़ीली तारों भिड़ने कारण निकली चिंगारियां गेहूं को राख कर देती हैं परंतु किसान बेबस होकर सब कुछ सहन के लिए मजबूर हैं।
किसानों का कहना है कि वह बेटों की तरह फसलों को संभालते हैं जोकि आग बुझाने के बुरे प्रबंधों के चलते कुछ मिनटों (wheat) में ही राख में तबदील हो जाती है। बारूद के ढेर पर स्थित भटिंडा : देखा जाए तो बठिंडा बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है, चारों तरफ सुरक्षा पक्ष से खतरा ही खतरा है परंतु आग बुझाओ प्रबंध समय का साथी नहीं बन सके।
एशिया की सबसे बड़ी छावनी है जिसमें बड़ा हथियार भंडार है वहीं दूसरी बने तीन तेल कंपनियों के बड़े तेल डिपो जहां से पूरे मालवा को तेल की सप्लाई होती है वहीं तीसरी जगह अब तेल रिफाइनरी बन गई है और बठिंडा थर्मल, लहरा मोहब्बत थर्मल, हवाई अड्डा व राष्ट्रीय खाद कारखाना भी जुह पर हैं।
फायरमैनों व चालकों की जरूरत: भले ही इन प्रत्येक के पास अपने-अपने फायर स्टेशन हैं परंतु पंजाब सरकार का अपना ‘बड़ा फायर स्टेशन’ भटिंडा में नहीं है। तेल रिफाइनरी के साथ लगती रामां मंडी के अलावा नगर कौंसिल मोड़,तलवंडी साबो व भगता भाई में फायर ब्रिगेड ही नहीं है। नगर निगम बठिंडा का जो फायर स्टेशन है, वह रामपुरा के अलावा पूरे जिले को संभाल रहा है।
इस फायर ब्रिगेड को फायरमैनों व चालकों की जरूरत है। सरकार ने नयी गाड़ियां तो दी परंतु इनको चलाने के लिए चालक नहीं दिए, जिस कारण पुराने कर्मचारी ही गाड़ियां चला रहे हैं। उधर मामले संबंधी पक्ष जानने के लिए संपर्क करने पर कमिशनर नगर निगम डॉ. रिशीपाल सिंह ने फोन नहीं उठाया।
साजो सामान की कमी
फायर ब्रिगेड के पास कोई रैसक्यू टेंडर नहीं व न ही टर्न टेबल टेंडर है बहुमंजिला इमारतों के लिए नया आग बुझाओ साजो सामान तो दूर की बात है। फायर अधिकारी जसविन्दर सिंह बराड़ का कहना था कि फायर ब्रिगेड में रिक्त पड़े पदों व साजो-सामान की कमी कारण कर्मचारियों को भारी मानसिक दबाव नीचे काम करना पड़ रहा है। फायर बिग्रेड के एक कर्मचारी ने बताया कि गेहूं को आग लगने की सूरत में बठिंडा फायर ब्रिगेड को ही मोर्चा संभालना पड़ता है जबकि जरूरत बड़ी स्तर पर इंतजाम करने की है।
कर्मचारियों का कहना है कि बठिंडा में फायर ब्रिगेड कार्यालय की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि शहर में से बाहर निकलते काफी वक्त बर्बाद हो जाता है। उन्होंने बताया कि यदि इस तरह के दो या तीन फायर स्टेशन गेहूं के सीजन दौरान शहर के बाहर बना दिए जाएं तो समस्या को कम किया जा सकता है।
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