जनसम्पर्क शब्द को लेकर देश में अनेक भ्रांतिया उत्पन्न हो रही है। लोग इस शब्द की व्याख्या अपने अपने तरीके से कर रहे है। कुछ लोग इसे अपने व्यवसाय से जोड़ कर देखते है तो कुछ छवि निर्माण के लिए। पुराने समय में राजाओं के चारण भाट भी कुशलता पूर्वक यह कार्य करते थे। वे राज्य की समृद्धि और रक्षा के लिए अपनी जान भी दांव पर लगा देते थे। एक राज्य से दूसरे राज्य में सूचना के संवाहक का काम भी करते थे। पौराणिक काल में महर्षि नारद को जनसम्पर्क का पुरोधा माना और स्वीकार किया जाता था। धीरे धीरे समय और काल के परिवर्तन के साथ जनसम्पर्क की परिभाषा बदलने लगी। जो कार्य समर्पण की भावना से किया जाता था वह अब रोजी रोटी के लिए किया जाने लगा। साथ ही इसकी व्याख्या भी लोग अपने ढंग से करने लगे।
भारत में 21 अप्रैल का दिन राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1958 में भारत अंतरराष्ट्रीय जनसंपर्क संघ का सदस्य बना। एक दशक बाद भारत में 21 अप्रैल 1968 को पूरी दुनिया के जनसंपर्ककर्मी दिल्ली में एकत्र हुये थे। जहाँ भारत में जनसंपर्क की अंतरराष्ट्रीय आचार संहिता का अंगीकार किया था। उस दिन यह निर्णय लिया गया था कि 21 अप्रैल का दिन राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। तब से 21 अप्रैल को राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस के रूप में मनाया जाता है। जनसंपर्क अपने आप में एक व्यापक शब्द है। जनसंपर्क एक ऐसी विधा है जो हमारे रोजमर्रा के जीवन से भी जुड़ी है।
जनसंपर्क का मतलब है जनता से संपर्क रखना। जनसंपर्क ऐसी प्रक्रिया है, जो सम्पूर्ण सत्य एवं ज्ञान पर आधारित सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए की जाती हैं। जनसंपर्क दो शब्दों जन एवं संपर्क से मिलकर बना हुआ है अर्थात जनता से संपर्क। जनसंपर्क के साधन अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे टेलेविजन , समाचारपत्र, फिल्म ,पत्रिकाएं रेडियो, विज्ञापन, विडियो खेल और सीडी आदि। उन्हें मास मीडिया इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे एक साथ बहुत बड़ी संख्या में दर्शकों, श्रोताओं एवं पाठकों तक पहुँचते हैं। जनसंपर्क का क्षेत्र आज बेहद बड़ा हो गया है। जनसंपर्क का कार्य पारदर्शिता और सुशासन को भी सशक्त बनाता है।
सरकारी और निजी क्षेत्र में जनसंपर्क कार्य की बदौलत संस्थान के श्रेष्ठ कार्यों को आमजन से अवगत करवाने में सहयोग मिलता है। जनसंपर्क का कार्य पारदर्शिता और सुशासन को भी सशक्त बनाता है। जनसम्पर्क के जरिये हम संप्रेषण माध्यमों को सुधारने और सूचनाओं तथा समझ के दोनों दिशाओं में प्रवाह के लिए एक नई राह स्थापित कर सकते है। आज किसी भी संस्था की साख बनाने के लिए जनसंपर्क एक आवश्यक अंग माना जाता है। सरकारों के अलावा निजी संस्थाएं भी जनसंपर्क के माध्यम से अपनी साख बनाने का कार्य करती है। भारत के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में जनसम्पर्क आज एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और देखते ही देखते जनसम्पर्क पहले की तुलना में एक प्रतिष्ठित पेशा बन गया है, यह एक बड़ा कैरियर क्षेत्र भी बनकर उभर रहा है।
जनसंपर्क का कार्य विशिष्ट लोगों को भ्रमण करवाने, फोटो खिंचवाने, रुकवाने अखबारों में समाचार छापने व बैठकों के कार्यवाही विवरण लिखने तक सीमित नहीं है। जनसंपर्क के क्षेत्र मे काम करने वाले पेशेवर को जनता के नब्ज व अपने संस्था के बारे मे पूरी जानकारी होना चाहिये। उसका मुख्य कार्य जनता की नब्ज को पहचान कर तदनुरूप सुविधाएँ सुलभ करना है। सूचनाओं को जनता तक पहुंचाने व जनता की प्रतिक्रिया को प्रबंधन तक पहुंचाने का काम जनसंपर्क अधिकारी को मुस्तैदी से करना चाहिए। भारत में जनसम्पर्क का कार्य बहुत विस्तृत है। इसे एक संस्थान से ऊपर उठकर देखने की जरुरत है।
असल में जनसम्पर्क का कार्य जनमत निर्माण का भी है। अगर दिशा और दशा सही हो तो यह एक कल्याणकारी सरकार के निर्माण का कार्य भी जनसम्पर्क का है। हम कह सकते है गरीबी , बेकारी से लड़ने का हथियार भी जनसम्पर्क है। स्वास्थ्य सुविधाएँ जन जन तक पहुँचाने का कार्य भी जन संपर्क का है। जनसम्पर्क का कार्य बहुत व्यापक है इसे करने वाले व्यक्ति का दिल दिमाक भी इसके अनुरूप बड़ा होना चाहिए तभी जनसम्पर्क का उद्देश्य पूर्ण होगा।
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