लोकसभा चुनाव की जंग में सीपीआई (एम) यानि भारत की कम्युनिस्ट(मार्क्सवादी)पार्टी भी हरियाणा में हिसार व अम्बाला लोकसभा सीट से मैदान में है। पार्टी का क्या है एजेंडा और किन मुद्दों को लेकर वह चुनाव मैदान में है। इस बाबत सच कहूँ ने सीपीआई(एम) के हिसार सीट से उम्मीदवार सुखबीर कामरेड से बातचीत की। उन्होंने बड़ी ही बेबाकी से अपनी राय रखी और केंद्र की भाजपा व हरियाणा की खट्टर सरकार को आरक्षण व नौकरियों के मुद्दे पर आड़े हाथ लिया। हिन्दुस्तान में स्वच्छ एवं स्वतंत्र जनतांत्रिक प्रणाली के लिए चुनाव प्रणाली में सुधार की जरूरत पर बल देते हुए लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ करवाए जाने की उठ रही मांग को भी उन्होंने प्रजातंत्र को कमजोर करने वाला कदम करार दिया है। उन्होंने साफ किया कि पार्टी का एजेंडा लोकतंत्र के लिए खतरा बनी साम्प्रदायिक ताकतों को जड़ से उखाड़ फैंकना तथा लोकसभा में सीपीआई(एम)और वामपंथ की ताकत को बढ़ाकर धर्मनिरपेक्ष सरकार बनाना है। वे चाहते हैं कि पूरे हिन्दुस्तान का एजुकेशन सिस्टम केरल की तर्ज पर हाईटेक हो तथा हरियाणा भी शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार मामलों में पहले स्थान पर आए। पेश हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश:-
सच कहूँ/संदीप कम्बोज
हिसार। गरीब किसान व मजदूरों के हितों के मुद्दों को लेकर चुनावी जंग में उतरी सीपीआई (एम) हरियाणा का विकास भी केरल मॉडल की तर्ज पर करना चाहती है। यह वादा किया है सीपीआई (एम) के हिसार सीट से उम्मीदवार सुखबीर कामरेड ने। उनका मानना है कि शिक्षा व्यवस्था में यदि केरल मॉडल लागू होता है तो गरीब परिवारों के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों से भी बेहत्तर शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। किसानों को फसल का डेढ़ गुणा भाव मिलेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बड़ा सुधार होगा,प्राइवेट अस्पतालों द्वारा इलाज के नाम पर जो लूट की जा रही है, वह बंद होगी तथा लोगों को सरकारी अस्पतालों में बेहत्तर इलाज मिलेगा। उनका कहना है कि यह कोई जुमला नहीं है बल्कि केरल की सीपीआई(एम) सरकार वर्तमान में यह सब कर रही है। इनकी पार्टी ने सत्ता में आने पर वृद्ध, विधवा और विकलांगों को न्यूनतम 6 हजार मासिक पेंशन देने, मजदूरों के लिए न्यूनतम 18 हजार मासिक मेहनताना तय करने और सरकारी क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा नौकरियों के पद सृजित कर युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार दिए जाने का वादा किया है।
पांच साल में चौड़ी हो गई अमीर-गरीब की खाई
भाजपा के 5 साल के कार्यकाल पर सुखबीर कामरेड का कहना है कि अमीर और गरीब की जो खाई है वो और ज्यादा चौड़ी होती चली गई। अब सरकार का ही आंकड़ा कहता है कि देश में 9 लोग ऐसे हो गए जिनके पास पूरे हिन्दुस्तान की आधी जनता के बराबर पैसा है। अब आप अंदाजा लगाई एक प्रतिशत लोगों के पास इस 75 प्रतिशत संपत्ति है। इस तरह से साफ है कि अमीर-गरीब के बीच की खाई बढ़ी है। किसान और मजदूर वर्ग पूरी तरह से परेशान है। इन्होंने जो किसानों से वायदे किए थे, सब झूठे साबित हुए। किसानों को फसलों के डेढ़ गुना दाम का वादा किया था तो कहां मिल रहे हैं किसानों को डेढ़ गुना दाम। अब ताजा सरसों की ही बात कर लें, 4200 रूपए दाम निर्धारित है लेकिन 3200, 3300 रूपए में भी मुश्किल से खरीदी जा रही है।
किसी ने 7 लाख तो किसी ने 4 लाख में ली नौकरी
हरियाणा में सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता के सवाल पर सुखबीर ने कहा कि मुझे बहुत से लोग मिलते हैं, कोई कहता है कि मैंने 7 लाख दिए तो कोई कहता है मुझे 4 लाख में नौकरी मिली है। वो अब सामने आने को तो शायद तैयार नहीं होंगे लेकिन इससे बड़ी पारदर्शिता की पोल और कैसे खुलेगी जब एक पीएचडी व एमटेक किए स्टूडेंट्स को आप चपड़ासी बना रहे हो, इससे क्या पारदर्शिता साबित करना चाहती है सरकार?
37 साल में 4 लाख से घटकर ढ़ाई लाख रह गई नौकरियां
आरक्षण आंदोलन जातिगत राजनीति का परिणाम था। यदि ऐसा नहीं तो फिर क्यों सार्वजनिक नहीं की गई प्रकाश कमीशन की रिपोर्ट। यदि प्रकाश रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी जाती तो सब सच्चाई सामने आ जाती। अब आप देखिए एक तरफ जाटों की रैली हो रही है वहां भी भाजपा का मंत्री संबोधित कर रहा है और दूसरी तरफ गैर जाट का नारा देकर जो लड़ रहे थे, वहां भी भाजपा का ही मंत्री शामिल है। तो लोग खुद समझ सकते हैं कि आरक्षण के नाम पर हरियाणा को जलाने वाले और लोगों के बीच फूट डालने वाले कौन हैं। 1982 में हरियाणा की जनसंख्या सवा करोड़ थी, उस समय पक्की नौकरियां लगभग चार लाख थी और आज जनसंख्या हो गई डबल से ज्यादा और पक्की नौकरियां घटकर रह गई केवल ढ़ाई लाख। नौकरियां हों तो आरक्षण जैसी कोई समस्या ही नहीं रहेगी।
आईटीआई स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज की नौबत ही क्यों आई
करनाल में आईटीआई छात्रों पर लाठीचार्ज मामले में सरकार पूरी तरह से फेलियर रही। बच्चों पर लाठीचार्ज की नौबत ही क्यों आई। बस स्टोपेज की उनकी समस्या का हल पहले ही कर दिया जाता तो यह इतना बड़ा बवाल ही ना होता। बस समस्या केवल करनाल की नहीं, पूरे हरियाणा की है। मैं तो देहात में रहा हूं, अच्छी तरह से जानता हूं। सुबह-सुबह बस स्टॉप पर देखो किस तरह से भीड़ उमड़ती है बच्चों की, बसें हैं नहीं। सरकार बसों का निजीकरण करने पर तुली है। तो इस हादसे के लिए पूरी तरह से सरकार ही जिम्मेदार है।
हरियाणा में सीपीआई(एम) ने बनवाए बच्चों के बस पास
आजादी से अब तक का इतिहास खंगाल कर देख लो तो हर किसी की समझ में आ जाएगा कि गरीब मजदूरों के लिए कोई संघर्ष करता आ रहा है तो वो लाल झंडे की यानि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी है। हरियाणा में बच्चों के बस पास को लेकर भी हमारी ही पार्टी ने संघर्ष किया था तब जाकर बच्चों के बस पास बनाए गए। और भी ऐसे अनेक उदाहरण हैं जो कम्युनिस्टों के संघर्ष का नतीजा है।
आरक्षण पर जो संविधान में तय है, उसे न छेड़ें
आरक्षण पर हमारी पार्टी यह कहती है कि पहले से जो देश के संविधान में तय किया गया है, उससे छेड़छाड़ कतई नहीं की जानी चाहिए क्योंकि जो लोग पीढ़ियों से दबे हुए हैं, उन्हें उभारने के लिए ही आरक्षण व्यवस्था लागू की गई थी। स्वर्ण जातियों में भी जो पीछड़े लोग हैं, उन्हें भी आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए।
मजदूर-किसान ही पार्टी का जनाधार
सुखबीर कामरेड पार्टी का जनाधार मजदूर-किसानों को मानते हैं। उन्होंने साफ किया है कि सीपीआई(एम) मजदूर-किसानों की पार्टी है न कि पैसे वालों की। और यदि मजदूर-किसान एकजुट होकर हमारे साथ आता है तो फिर हमारे मुकाबले में कोई नहीं। लोकसभा क्षेत्र में पार्टी को बहुत अच्छा रिस्पोंस मिल रहा है।
जो आपके लिए लड़े, उन्हें वोट दें
जात धर्म में बंटने की बजाय अपनी एकता को मजबूत करते हुए उस पार्टी के उम्मीदवार को वोट दें जिन्होंने आपके लिए संघर्ष किया है। और मैं दावे से कह सकता हूं कि लाल झंडे की पार्टियां ही जनता के संघर्ष में सबसे आगे रही हैं। इसके अलावा बाकि पार्टियों के उम्मीदवार आपसे वोट तो लेकर चले जाएंगे लेकिन अगले पांच साल तक आपसे कोई वास्ता नहीं रखने वाले।
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