खेतों में गेहूँ की कटाई चरम पर, नमी ज्यादा
अबोहर (सच कहूँ/सुधीर अरोड़ा)। शनिवार को वैशाखी के पर्व पर हुई बूंदाबांदी से मौसम का मिजाज बदलते ही किसानों के (Farmer worried with light drizzling) चेहरे की रंगत भी बदल गई है, क्योंकि खून-पसीने से तैयार की गई गेहूं की फसल खेतों में पक कर तैयार है। ऐसे में बूंदाबांदी का आना शुभ नहीं माना जा रहा है। इससे परेशान किसान ‘वाहेगुरु’ से गुहार लगा रहे हैं कि कुछ दिन आंधी-पानी न हो। खेतों में लहलहा रही गेहूं की फसल देख किसानों से लेकर खेतीबाड़ी विभाग के अधिकारियों तक को उम्मीद है कि इस बार गेहूं का बंपर उत्पादन होगा, लेकिन अचानक से आसमान में काले बादल छाए रहने और बारिश होने से किसान बेचैन हो उठे हैं।
कहीं खुश, कहीं गम
किसानों का कहना है कि अगर बारिश होती है तो निश्चित रूप से गेहूं की कटाई ही नहीं प्रभावित होगी, बल्कि मंडी में फसल बेचने में (Farmer worried with light drizzling) परेशानी आएगी। गाँव वरियाम खेड़ा के किसान रामपाल सोनी का कहना है कि अभी हवा में नमी काफी ज्यादा है। इसी कारण अभी खेतों में खड़ी गेहूं की फसल में भी नमी का मात्रा ज्यादा है। ऐसे में अगर बारिश होती है तो फसल सूखने में समय लगेगा। किसान कालू राम यादव का कहना है कि बैसाखी के दिन से किसान गेहूं की कटाई करने की तैयारी में जुट रहे थे। परन्तु फिरसे क्षेत्र में सुबह हुई मामूली बरसात से अब मौसम के बदले मिजाज ने उन्हें चिंता में डाल दिया है।
अगर बारिश होती है तो न सिर्फ गेहूं की गुणवत्ता प्रभावित होगी, बल्कि फसल का सही दाम भी नहीं मिलेगा। कुछ अन्य किसानों ने हमारे सचकहूँ प्रतिनिधि सुधीर अरोड़ा को बातचीत में बताया कि कि बेशक अभी तक हुई बारिश से फसल की बर्बादी नहीं हुई है, लेकिन तेज बारिश होती है तो फसल के खराब होने की संभावना बढ़ जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों को जल्दबाजी में गेहूं की कटाई करने से गुरेज करना चाहिए।
बहरहाल, गेहूं की फसल का रंग हरे से सुनहरे होते ही किसानों के चेहरे खिल जाते हैं, लेकिन बैसाखी दिन पहले मौसम के बदले मिजाज ने चेहरे से रौनक ही गायब कर दी है। आज खेतों पर निगाहें डाली तो चने व सरसों की कटी फसल को कुछ नुकसान अवश्य हुआ है, तेज हवाएं व बूंदाबांदी ने किसानों के चेहरे पर चिंता ला दी है।
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