सर्वे में खुलासा। देश के 20 शहरों की 15 से 45 उम्र की 1244 महिलाओं पर किया गया सर्वे
-फोर्टिस हेल्थकेयर की ओर से कराया गया यह सर्वे
गुरुग्राम सच कहूँ/संजय मेहरा। महिलाओं को कार्यस्थल और परिवहन सेवाओं में बेहतर माहौल देने के उद्देश्य से सरकारें ने वैसे तो कई कदम उठाए हैं, लेकिन उनका प्रभाव समाज में कम ही दिखाई दे रहा है। हम सिर्फ बात करें बॉडी शेमिंग की यानी महिलाओं की शारीरिक बनावट पर किये जाने वाले कमेंट्स की तो देश की महिलायें इस मुद्दे पर भी प्रताड़ित की जा रही हैं। एक ताजा अध्ययन (सर्वे) में पता चला है कि देश की 90 फीसदी महिलाएं रोजाना बॉडी शेमिंग की शिकार होती हैं। जो कि नारियों की पूजा करने की बात करने वाले हमारे देश और समाज पर कलंक है।
-47.5 फीसदी महिलाएं अपने कार्यक्षेत्र में होती हैं बॉडी शेमिंग की शिकार
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते तत्र रमंते देवता यानी जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। हमारे शास्त्रों में भी यह बात लिखी है और पीढ़ी दर पीढ़ी हम यही पढ़ते भी आ रहे हैं। लेकिन संस्कृतियों के देश भारत में इसका प्रभाव कितना पड़ रहा है या फिर हम इस श्लोक से कितनी सीख ले रहे हैं, यह इस बात से पता चलता है कि आज देश की 90 फीसदी महिलाओं को किसी न किसी रूप में रोजाना शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। फोर्टिस हेल्थकेयर की ओर से देश के 20 शहरों (जिनमें दिल्ली, गुरुग्राम, नोयडा व एनसीआर के अन्य शहरों के अलावा मुंबई, बेंगलुरू, हैदराबाद, चेन्नई, अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, मोहाली आदि शामिल हैं) में 15 से 65 वर्ष की उम्र के बीच की 1244 महिलाओं पर सर्वे किया गया। जिसमें ये बात खुलकर सामने आई।
कुछ इस तरह से महिलाओं ने की मन की बात
76 फीसदी महिलाओं ने माना कि मीडिया द्वारा सौंदर्य चित्रण बॉडी शेमिंग की व्यापकता का बढ़ाने में योगदान करता है। 90 फीसदी महिलाओं ने यह भी कहा कि फिल्में और टेलिविजन शो अक्सर ऐसे लोगों का मजाक उड़ाते हैं जो मानक और मानदंडों की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं होते हैं। 89 फीसदी महिलाओं ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म अन्य लोगों के लुक को लेकर की गई टिप्पणियों को पढ़ने पर खुद के बारे में असहज महसूस वे करती हैं। 28 फीसदी ने बताया कि जब कोई उनकी शारीरिक बनावट की आलोचना करता है तो वह कठिनाई महसूस करती हैं।
66 फीसदी का मानना है कि आत्मविश्वास महसूस करने के लिए अच्छा दिखना जरूरी है। 62 फीसदी ने बताया कि लोगों ने जब उनकी शारीरिक बनावट पर टिप्पणी की तो उन्हें चिंता भी हुई और परेशानी भी। 95 फीसदी महिलाओं ने माना कि ज्यादातर लोगों को यह अहसास नहीं होता कि वे बॉडी शेमिंग करने में संलिप्त हैं। यानी वे महिलाओं पर की गई टिप्पणियों से अनजान बन रहते हैं। 97 फीसदी महिलाओं ने इस बात पर जोर दिया कि स्कूलों में बॉडी शेमिंग के मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है।
मीडिया, दोस्तों व समाज की भी भूमिका पर सवाल
इस बाबत फोर्टिस हेल्थकेयर में मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज डॉ. समीर पारिख का कहना है कि आधुनिक दुनिया में शारीरिक रंग-रूप को लेकर हमारी सोच कई तरह से प्रभावित होती है। इसमें मीडिया, दोस्तों के साथ समाज की भी भूमिका होती है। हम में से बहुत से अपनी बॉडी इमेज को लेकर असंतुष्ट हो सकते हैं। दूसरों को भी किसी विशेष के शरीर के आकार पर टीका-टिप्पणी करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी बॉडी इमेज को लेकर मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका के चलते, चाहे वह फिल्में, टेलिविजन शो या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर प्रदर्शन हो, आम धारणा तुलना करने की ही होती है। जो कि कई बार वास्तविक नहीं होती और नतीजा यह निकलता है कि हम अपने शरीर के साइज या शेप को लेकर नाखुश हो जाते हैं। या फिर खुद को इस वजह से भी प्रताड़ित करते हैं कि हम स्क्रीन पर दिखने वाले मॉडल या एक्टर जैसे नहीं दिखते।
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