21 हजार रुपये का जुर्माना
हिसार (एजेंसी)। हरियाणा में फतेहाबाद के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संदीप गर्ग की अदालत ने झूठा केस बनाकर पुलिस हिरासत में बुरी तरह से मारपीट करने तथा घायल की मौत होने के मामले में जीआरपी पुलिस थाना जाखल के पांच पुलिस कर्मचारियों को कल दोषी करार देते हुए पांच -पांच साल की कैद तथा 21-21 हजार रुपए जुमार्ने की सजा सुनाई। अदालत ने सीआरपीसी की धारा 359 के तहत आदेश दिए कि जुमार्ने की राशि में से एक लाख रुपए मृतक की विधवा कैलो देवी को देने होंगे। जीआरपी पुलिस के दोषी पुलिस कर्मचारी एएसआई राजेन्द्र कुमार, ईएएसआई श्रीराम, ईएचसी रणबीर सिंह, कांस्टेबल राम भट्ट तथा ईएचसी विजय सिंह को यह सजा सुनाई है।
अदालत में चले अभियोग के अनुसार मृतक दलबीर सिंह के भाई जींद जिले के खरल निवासी शमशेर सिंह की याचिका पर टोहाना के न्यायिक दंडाधिकारी अमित सिहाग ने 5 मार्च 2014 को जीआरपी पुलिस थाना जाखल में तैनात एएसआई राजेन्द्र कुमार, ईएएसआई श्रीराम, ईएचसी रणबीर सिंह, कांस्टेबल राम भट्ट तथा ईएचसी विजय सिंह को भादंसं की धारा 304ए (2), 323, 325 व 149 के तहत तलब किया था।
पुलिस ने लाठियों से पिटाई की थी
शमशेर सिंह ने शिकायत में बताया था कि उसका भाई दलबीर सिंह 15 मार्च 2008 को ब्यास डेरा में गया था। वह जाखल रेलवे स्टेशन से ट्रेन में चढ़ा था। 18 मई 2008 को आरोपी रणबीर सिंह उसके घर आया कि रोहतक पीजीआई चलना है, जहां उसका भाई दाखिल है। जब वह रोहतक पीजीआई गया तो उसके भाई के शरीर पर चोटों के निशान थे और उसका चेहरा भी पहचान में नहीं आ रहा था।
20 मई को उसने दम तोड़ दिया। उसे पता चला कि 16 मई 2008 को जीआरपी जाखल ने उसके भाई के खिलाफ भादंसं की धारा 294 के तहत झूठा केस दर्ज किया था। पुलिस ने उसके भाई की लाठियों से पिटाई की। इसके बाद उसे अदालत में पेश किया गया और 30 मई तक अदालत ने उसे जेल भेज दिया था, लेकिन जेल आॅथोरिटी ने उसके शरीर पर चोटों के निशान देखते हुए हिरासत में लेने से मना कर दिया। इसके बाद उसके भाई को हिसार दाखिल करवाया गया और बाद में उसे रोहतक रैफर कर दिया गया। सैशन ट्रायल होने के कारण टोहाना कोर्ट से यह केस फतेहाबाद की सैशन कोर्ट में रैफर कर दिया गया था।
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