आखिर कई महीनों के बाद देश के आर्थिक भगौड़े नीरव मोदी को इंग्लैंड में गिरफ्तार कर लिया है। नरेन्द्र मोदी सरकार पर लोकसभा चुनावों के कारण नीरव के प्रत्यारोपण को लेकर भारी दबाव है। देश के साथ 14000 करोड़ रूपये की ठगी करने वाला यह व्यक्ति लंदन की जेल में बंद है जिसे केंद्र सरकार भारत लाने का प्रयास कर रही है। नीरव मोदी की जमानत भी रद्द हो गई है फिर भी उसे भारत लाना आसान नहीं। इंग्लैंड के कानून अभी रुकावट बन सकते हैं। मोदी ने इंग्लैंड की नागरिकता प्राप्त करने की याचिका लगाई हुई है। यदि उसे नागरिकता मिल जाती है तो उसे भारत लाना मुश्किल हो सकता है। इससे पूर्व विजय माल्या भी भारत से अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। तकनीकी तौर पर विजय माल्या की तुलना में नीरव मोदी को भारत लाना ज्यादा संभव है। मोदी पर बैंकों का कर्ज न चुकाने के साथ-साथ धोखाधड़ी का भी मामला दर्ज है।
उसने फर्जी कंपनियां भी बनाई थी। विजय माल्या पर धोखाधड़ी की धारा न लगी होने के कारण वह बचता आ रहा है। दरअसल आर्थिक भगौड़ों पर शिकंजा कसने के लिए पूरे विश्व में एक ही मापदंड अपनाये जाने की जरूरत है ताकि एक देश का आर्थिक अपराधी दूसरे देश में जाकर सम्मानजनक नागरिक का दर्जा हासिल न कर सके। भगौड़ों द्वारा बेतुकी दलीलें दी जाती हैं, जबकि सच्चाई किसी से छिपी नहीं होती। नीरव मोदी एक तरफ भारत का कर्ज न चुकाने के बाद देश से भाग गया दूसरी तरफ लंदन में 75 करोड़ रूपये के मकान में रह रहा है। यही हाल विजय माल्या का है जो कभी कर्ज चुकाने की बातें करता है और कभी भारत में अपनी जान को खतरा बताता है। समय आ गया है कि आर्थिक भगौड़ों को आर्थिक आतंकवादी ही कहा जाना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय कानूनों में संशोधन करने की जरूरत है ताकि किसी देश के भगौड़ों के खिलाफ सही समय पर बिना किसी रूकावट के कार्रवाई हो सके। नीरव मोदी का दूसरा साथी मेहुल चौकसी भी एंटीगुआ की नागरिकता लेकर भारत को अंगूठा दिखा चुका है। इससे पूर्व आईपीएल का पूर्व आयुक्त ललित मोदी भी करोड़ों का घोटाला कर लंदन में जा बैठा था। हालांकि भारतीय न्यायलय ललित मोदी को 243 करोड़ का जुर्माना भी लगा चुकी है। संयुक्त राष्ट्र को विकासशील देशों की हालत को देखते हुए ठोस अंतरराष्ट्रीय कानून बनाने चाहिए। भुखमरी, आवास, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, अशिक्षिता व अन्य समस्याओं से जूझ रहे देशों की आम जनता के साथ खिलवाड़ करने वाले ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है।
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