होली का नाम सुनते ही रोम रोम प्रफुल्लित हो उठता है। होली का मतलब ही है- नया उत्साह, नया सृजन, पवित्रता। सब एक हो कर रहे, सब प्रेम के रंग में डूबे रहे यही उद्देश्य है होली का। रंग केवल हमारे बाहरी आवरण को ही नहीं बदलते हैं बल्कि ये रंग हमारी जिंदगी को ही रंगीन बना देते हैं। रंग का पर्याय है- ऊर्जा, उत्साह और उमंग। होली का प्रत्येक रंग नए जीवन के संचार की प्रेरणा देता है। जीवन में उमंग, प्रेमानंद और आदर का रंग हमेशा चढ़ता रहे यह सीख देता है यह अवसर। दूसरों के हृदय में आनंद भरने की भावना, सब कुछ न्योछावर कर देने का भाव होली में ही नजर आता है।
होली के अद्भुत दृश्य पर गौर करें तो मनोहारी दृश्य आंखों के सामने आ जाता है। कहीं युवक-युवतियों के गुलाल और अबीर के सुर्ख लाल रंग में लिपटे चेहरे’कहीं अधेड़ और बुड्ढों के भंग के रंग में डूबे नयन। कहीं हुड़दंग के हल्ले में मशगूल बच्चों और नवयुवकों की टोली। कहीं गाल गुलाबी किये युवतियां और औरतें। तो कहीं सुनाई दे रही है ढप की थाप पर फाल्गुनी गीत की झनकार और कहीं नव विवाहिताओं का कोरस गान।…कुछ इस तरह से होली के दिनों में सारे के सारे वातावरण का मिजाज बदलकर अल्हड़ और रंगीन हो जाता है। सब के सब मगन, सब के सब नाचते, गाते, इठलाते, खिलखिलाते जैसे कोई मायूसी, कोई अवसाद, कोई गिला, कोई शिकवा है ही नहीं जीवन में। ये पल केवल एक त्यौहार का अहसास ही नहीं दिलाते हैं बल्कि ये जीवन में परमानन्द की अनुभूति के समावेश का अवसर उपलब्ध करवाते हैं। और हमे ये अवसर दिया है स्वयं भगवान ने। जिंदगी की भागमभाग से थका हारा इंसान कुछ वक़्त आनंद के पलों में डूबना चाहता है और वही पल है होली के।
यह जीवन में नवीन ऊर्जा के संचार का दिवस है। किसी दुकान से रंग खरीदकर किसी के चेहरे पर पोतने मात्र से इसका सम्बन्ध न निकालो। रंग तो गौण है। रंग तो बहाना है असली मकसद तो अंतस के उत्साह में छिपा है। इसका गूढ़ अर्थ तो ये है कि रंग लगाने का तो केवल एक बहाना ढूंढों। किसी अपने, किसी पराये के दिल में मुस्कान लाने की नियत से थोडी नटखट सी शरारत कर दो। थोड़ी याराना सी मशखरी कर दो। गालों पर गुलाल की गुदगुदी कर दो। उनके अंतस के तार तार में अबीर के आनंद का स्वर भर दो। उन्हें भीतर से हँसने का एक मौका दो। आप मस्ती में इतने खो जाओ कि कोई दु:ख दर्द की पीड़ा नजदीक तक न फटके।
हालांकि इस पावन पर्व के पीछे तमाम धार्मिक मान्यताएं, मिथक, परम्पराएं और ऐतिहासिक घटनाएं तो छुपी है पर अंतत: इसका मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण ही है। होली का त्यौहार रंग, राग, उमंग, उत्साह और सामाजिक समरसता का अनुपम संयोजन है। इस वक़्त प्रकृति के रूप में विलक्षण बदलाव आते हैं जो जीवन को सुखद संदेश देते हैं। होली ऋतु परिवर्तन का भी द्योतक है। धरा आपादमस्तक श्रृंगार करती है। नीले आसमान में अरुण की लालिमा, वृक्षों की हरीतिमा, रंग बिरंगे फूल, फाल्गुनी बयार की शीतलता सब के सब सुखद अनुभूति दिलाते हैं।
पूरे वातावरण में नवोत्साह छा जाता है। होली तो रंग है और जहां रंग है वहां अनुराग है, राग है, प्रेम है। साहित्य में अनुराग का रंग भी लाल माना गया है। यह प्रकृति के श्रृंगार का, अभिसार का उत्सव है। साथ ही यह स्वच्छता, सौंदर्य, सामाजिक सद्भाव, प्रेम के आदान प्रदान और जीवन में मिठास, मधुरता का महोत्सव है। यह पावन पर्व जीवन की नकारात्मकता और नीरसता को मिटाकर उसमें मधुरता और स्नेह का संचार कराता है। चलो, रंग के बहाने से सही मगर सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में सबको तैरने का सलीका तो सिखा ही देता है यह त्यौहार।
अरे हां… यह होली तो एक खेल भी है और यह खेल है उमंग और प्यार का। तुम जी भर के प्यार से खेलो। अकेले नहीं सब मिलकर खेलों। यह खेल आनंद का भी है। यह अपनत्व और स्नेह की तरंग है। यह भ्रातृत्व और प्यार का मेला है। यह खुशियां बांटने का शुभ अवसर है। इसे हाथ से मत जाने दो। अगर इसी तरह तुम मिलकर रहोगे। मिलकर हंसते गाते नाचोगे कूदोगे, तो जीवन में उदासी के मौके अवश्य ही कम आएंगे। और हां..इस होली तुम यह भी प्रण लो कि इस दिन आप किसी गरीब, किसी जरूरतमन्द के चेहरे पर भी मुस्कान लाओगे। केवल रंग से नहीं बल्कि उसकी कोई जरूरत पूरी करके। कुछ अनाज। कुछ मिठाई । कुछ वस्त्र बांटकर। ..तब देखना तुम्हारा उत्साह दुगुना हो जायेगा। तुम्हारा हृदय भीतर से आनंदानुभूति से भर जायेगा। …और वह आनंद स्थाई होगा।
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