गोवा के मुख्यमंत्री तथा देश के पूर्व रक्षामंत्री 63 वर्षीय मनोहर पर्रिकर 17 मार्च की रात कैंसर से जंग लड़ते हुए जिंदगी की आखिरी जंग हारकर डोना पौला स्थित अपने निजी निवास पर चिरनिद्रा में लीन हो गए। एडवांस्ड पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे पर्रिकर लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे लेकिन उनकी अस्वस्थता के बावजूद काम के प्रति उनका जोश और जज्बा बेमिसाल था और सदैव दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा। काफी समय से वह जब भी दिखाई दिए, उनके चेहरे पर सदैव नासोगेस्ट्रिक ट्यूब लगी रहती थी। हमेशा चिकित्सीय उपकरणों से लैस नाक में ड्रिप लगाए हुए ही वह समय-समय पर मुख्यमंत्री कार्यालय जाकर काम निबटाया करते थे और बैठकें करते थे। ऐसा जज्बा और ऐसी लग्न शायद ही किसी अन्य नेता में देखने को मिले। अपने सार्वजनिक जीवन में वह शालीनता, सादगी, ईमानदारी, समर्पण के प्रतीक और सरल स्वभाव के लिए जाने जाते रहे। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव को गोवा लाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो मनोहर पर्रिकर ही थे, जिनके अभूतपूर्व प्रयासों के चलते यह संभव हुआ था।
कई बार गोवा के मुख्यमंत्री तथा देश के रक्षामंत्री रहने के बावजूद उनकी छवि आम आदमी के मुख्यमंत्री के रूप में थी। स्कूटी पर सवार होकर मुख्यमंत्री कार्यालय जाते उनकी तस्वीरें अक्सर चर्चा का विषय बनी रही। अपनी कार्यशील और सिद्धांतवादी राजनीति के चलते मनोहर पर्रिकर को गोवा में ‘मिस्टर क्लीनझ् के नाम से भी जाना जाता रहा है। उन्होंने गंभीर रूप से अस्वस्थ होने के बावजूद 29 जनवरी को गोवा विधानसभा के बजट सत्र में हिस्सा लिया और 30 जनवरी को बजट पेश भी किया तथा अगले दिन इलाज के लिए दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती हो गए थे।
बजट पेश करने से पहले उन्होंने कहा था कि मैं बहुत ज्यादा जोश और पूरी तरह होश में हूं लेकिन परिस्थितियां ऐसी हैं कि मैं विस्तृत बजट पेश नहीं कर सकता। मनोहर पर्रिकर के एडवांस्ड पैंक्रियाटिक कैंसर का पता 14 फरवरी 2018 को चला था, जिसके बाद उनका इलाज गोवा, मुम्बई, दिल्ली तथा न्यूयॉर्क के अस्पतालों में हुआ। पिछले कुछ दिनों से उनके रक्तचाप में तेजी से गिरावट हो रही थी, जिससे उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी और उनके निधन से एक ही दिन पहले गोवा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर तथा भाजपा विधायक माइकल लोबो ने कहा था कि पर्रिकर के ठीक होने की कोई संभावना नहीं है, उससे इस अनहोनी का आभास पहले ही हो गया था।
देश के एक छोटे से राज्य गोवा से अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले पर्रिकर ने अपनी कड़ी मेहनत, सादगी और ईमानदारी के दम पर राजनीति में एक अलग मुकाम हासिल किया था। 13 दिसम्बर 1955 को गोवा के मापुसा गांव में जन्मे मनोहर पर्रिकर भारत के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे, जो आईआईटी से स्नातक थे। उन्होंने 1978 में आईआईटी मुम्बई से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया था। आई.आई.टी. मुम्बई द्वारा 2001 में उन्हें विशिष्ट भूतपूर्व छात्र की उपाधि से सम्मानित भी किया गया था। सक्रिय राजनीति में पदार्पण करने से पहले वे आरएसएस के साथ जुड़े रहे और 1994 में पहली बार पणजी विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए, जिसके बाद लगातार चार बार इस सीट से जीतते रहे। जून 1999 से नवम्बर 1999 तक वे विरोधी पार्टी के नेता रहे तथा 24 अक्तूबर 2000 को पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री बने। भाजपा को गोवा की सत्ता में लाने का श्रेय पर्रिकर को ही जाता है। उनके गोवा के मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही समय बाद उही नकी पत्नी मेधा पर्रिकर कैंसर से जंग हारकर उनका साथ छोड़ दुनिया से चली गई थी। हालांकि, उनकी पहली सरकार फरवरी 2002 तक ही चल सकी।
कुछ राजनीतिक कारणों से पर्रिकर का पहला कार्यकाल लंबा नहीं चला और 27 फरवरी 2002 को उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी लेकिन 5 जून 2002 को वे पुन: मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए। 29 जनवरी 2005 को 4 भाजपा नेताओं द्वारा इस्तीफा देने के बाद पर्रिकर सरकार अल्पमत में आ गई लेकिन पर्रिकर फिर भी विधानसभा में बहुमत साबित करने में सफल हुए थे। हालांकि चंद दिनों बाद कुछ कारणों के चलते उन्हें कुर्सी छोड?ी पड़ी थी तथा मार्च 2005 में गोवा में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था। 2005 में विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद त्यागना पड़ा और लंबे अंतराल बाद 2012 में चुनाव में भाजपा की जीत के बाद पर्रिकर फिर मुख्यमंत्री बने।
वह मनोहर पर्रिकर ही थे, जिन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले 2013 में ही भाजपा से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए नरेन्द्र मोदी के नाम का प्रस्ताव दिया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली जीत के बाद नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने और उन्होंने सर्वाधिक महत्व वाले रक्षा मंत्रालय के लिए बतौर रक्षामंत्री पर्रिकर पर ही भरोसा जताया। रक्षामंत्री बनने के लिए पर्रिकर को मुख्यमंत्री पद छोड?ा पड़ा, जिसके बाद वे 2014 से 2017 तक देश के रक्षामंत्री रहे।
हालांकि पर्रिकर अपना गृहराज्य गोवा छोड़कर देश की केन्द्रीय राजनीति में जाने के इच्छुक नहीं थे लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर उन्हें रक्षा मंत्री पद का अहम दायित्व संभालना पड़ा और इस दायित्व को उन्होंने बखूबी निभाया भी। उनके रक्षामंत्री रहते हुए ही भारतीय सेना ने 28 सितम्बर 2016 को पाकिस्तान में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था, जिसमें हमारी जांबाज सेना ने आतंकियों के 7 लॉन्चिंग पैड तबाह करते करीब तीन दर्जन आतंकियों को जहन्नुम पहुंचाया था। 2014 से 2017 तक रक्षामंत्री के कार्यकाल के दौरान वह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद रहे।
गोवा में पार्टी पर मंडराते संकट के चलते उन्हें 14 मार्च 2017 को पुन: मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई। तब से वह इस राज्य के मुख्यमंत्री पद पर आसीन थे और गंभीर बीमारी के बावजूद अपनी कई जिम्मेदारियां बखूबी निभाते रहे। बहरहाल, मनोहर पर्रिकर ने जिस प्रकार जोश, जुनून और जज्बे के साथ जीवन पर्यन्त युवाओं में जोश पैदा करने की मिसालें कायम की, ऐसी शख्सियत का अचानक इस तरह चले जाना गोवा की राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा कर गया है। ऐसी जुझारू, कर्मठ, ईमानदार और सादगी की जीवंत मिसाल शख्सियत को शत-शत नमन।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।