सच कहूँ, देवीलाल बारना कुरुक्षेत्र। बेशक पूरे देश मे चुनावी बिगुल बज चुका है और हरियाणा में चुनाव की (haryana lok sabha election) तारीख 12 मई तय की गई है, लेकिन चुनावी बिगुल बजने के 4 दिन बाद भी किसी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नही की है। ऐसे में चुनाव के दौरान की गर्माहट भी अभी नही दिखने लगी है। हालांकि सभी पार्टियों के कार्यकर्ता अपने-अपने उम्मीदवारों को टिकट मिलने की संभावना जता रहे हैं, लेकिन अभी कौन सी पार्टी किस उम्मीदवार को टिकट देकर चुनावी रण मे उतारेगी यह समय के गर्भ मे है।
2014 में कुरुक्षेत्र लोकसभा से बेशक भाजपा के सांसद चुने गए थे, लेकिन सांसद राजकुमार सैनी द्वारा भाजपा से बगावत करने के बाद यहां कोई नया चेहरा ही चुनावी मैदान मे आएगा। बताया तो यह भी जा रहा है कि यहां कोई बाहरी चेहरा चुनावी मैदान मे आएगा, लेकिन अभी टिकट के चाह्वान सभी भाजपाई टिकट हथियाने के चक्कर मे दिल्ली में अपने आकाओं के चक्कर काट रहे हैं। अब देखना होगा कि भाजपा स्थानीय चेहरे को अपना उम्मीदवार बनाती है या फिर कोई बाहरी उम्मीदवार यहां से चुनाव लड़ेगा।
ये भाजपाई हैं टिकट की दौड़ में
आचार्य देवव्रत: आचार्य देवव्रत हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल हैं, कुरुक्षेत्र लोकसभा से इनका नाम काफी समय से चल रहा है। हालांकि आचार्य देवव्रत ने सार्वजनिक रूप से कभी ऐसा नही कहा कि वे लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन लोकसभा क्षेत्र में पिछले काफी समय से कम लागत कृषि पद्धति पर कई कार्यक्रम आयोजित करने व लोकसभा क्षेत्र में निजी सक्रियता इस बात को ब्यां कर रही है। वहीं कुरुक्षेत्र लोकसभा में सबसे ज्यादा जाट मतदाता होने के चलते भी आचार्य देवव्रत की मजबूती को देखा जा रहा है। कुरुक्षेत्र लोकसभा में 2 लाख से ज्यादा जाट मतदाता हैं।
मेनका गांधी: चुनावी बिगुल बजने के बाद से केंद्रीय मंत्री व पीलीभीत से सांसद मेनका गांधी का नाम भी कुरुक्षेत्र लोकसभा से टिकट के लिए चल रहा है। बताया जा रहा है कि मेनका गांधी करनाल से लोकसभा चुनाव लडना चाहती है, लेकिन भाजपा कुरुक्षेत्र से उनको टिकट देने में दिलचस्पी दिखा रही है। ऐसे में यदि करनाल सीट से मेनका गांधी को टिकट नही दिया गया तो कुरुक्षेत्र से उनको चुनावी मैदान मे उतारा जा सकता है।
नायब सैनी: नायब सैनी नारायणगढ़ से विधायक हैं व सरकार में श्रम एवं रोजगार मंत्री हैं। इनके नाम की भी काफी समय से चर्चा है कि पार्टी इन्हे कुरुक्षेत्र लोकसभा से उतारेगी। वहीं इनके नाम के साथ ऐसा भी जोडकर देखा जा रहा है कि अब तक कुरुक्षेत्र लोकसभा से 4 बार सैनी समुदाय से सांसद बने हैं। जातिगत आंकड़े भी यदि देखे जाएं तो कुरुक्षेत्र लोकसभा में तकरीबन 65 हजार मतदाता हैं।
कैलाश भगत पर भी खेला जा सकता है दांव
कैथल विधानसभा से इनेलो की टिकट पर तीन बार चुनाव लड़ चुके कैलाश भगत कुछ समय पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं। कैलाश भगत को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भाजपा मे शामिल करवाया है। बता दें कि कैलाश भगत के पिता संघ के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं। ऐसे मे जातिगत आंकड़ों को देखा जाए तो यदि करनाल से ब्राह्मण नेता को टिकट दिया जाता है तो पंजाबी होने के नाते कैलाश भगत को कुरुक्षेत्र से टिकट दिया जा सकता है।
डॉ. पवन सैनी: डा. पवन सैनी लाडवा के विधायक हैं, कुरुक्षेत्र लोकसभा से डा. पवन सैनी का नाम भी चल रहा है। डा. सैनी मुख्यमंत्री मनोहर लाल के भी काफी नजदीकी माने जाते हैं।
धुमन सिंह किरमच: धुमन सिंह किरमच पुराने भाजपाई हैं, वे भाजपा के कुरुक्षेत्र जिला प्रधान भी रह चुके हैं। इससे पूर्व भी 2014 के चुनाव मे धुमन सिंह किरमच कुरुक्षेत्र लोकसभा से टिकट की दौड में थे व विधानसभा चुनाव मे वे थानेसर से टिकट की दौड़ में थे, लेकिन कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सुभाष सुधा को टिकट दे दी गई थी।
गुरदयाल सुनहेडी: गुरदयाल सुनहेडी कुरुक्षेत्र जिला परिषद के चेयरमैन हैं, गुरदयाल सुनहेडी काफी समय से कुरुक्षेत्र लोकसभा से टिकट के चाह्वान हैं। इसी के चलते वे काफी समय से कुरुक्षेत्र लोकसभा में सक्रिय हैं। बता दें कि गुरदयाल सुनहेडी रोड बिरादरी से हैं व कुरुक्षेत्र लोकसभा में 50 हजार से ज्यादा रोड़ बिरादरी के मतदाता हैं।