28 फरवरी को हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया था
नई दिल्ली (एजेंसी)। दिल्ली के आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। एजेएल ने दिल्ली उच्च न्यायालय की दो-सदस्यीय खंडपीठ के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। एजेएल की दलील है कि उच्च न्यायालय ने फैसला देते हुए उसकी दलीलों पर गौर नहीं किया, लिहाजा शीर्ष अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय के 28 फरवरी के फैसले पर रोक लगाए। कांग्रेस ने राजधानी के बहादुरशाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने के एकल पीठ के फैसले को दो-सदस्यीय पीठ के समक्ष चुनौती दी थी, जिसने गत 28 फरवरी को हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया था। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश पर मुहर लगाई थी।
भू-सम्पदा विभाग के आदेश को सही ठहराया था
केंद्र सरकार के भू-सम्पदा अधिकारी ने 30 अक्टूबर, 2018 को एक आदेश जारी करके एजेएल को 15 नवम्बर, 2018 तक हेराल्ड हाउस खाली करने को कहा था। एजेएल ने उस आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी थी, जिसने गत वर्ष दिसम्बर में भू-सम्पदा विभाग के आदेश को सही ठहराया था। एजेएल ने एकल पीठ के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी।
एजेएल ने वकील प्रियांशा इंद्र शर्मा के जरिये दायर अपील में कहा था कि एकल पीठ ने फैसला देने में जल्दबाजी दिखायी और उसने केंद्र से लिखित जवाब/ हलफनामा मांगना भी उचित नहीं समझा था। केंद्र सरकार की दलील थी कि हेराल्ड हाउस से फिलहाल ‘नेशनल हेराल्ड’ का प्रकाशन नहीं हो रहा है, और एजेएल इससे किराया कमा रही है। एजेएल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने जिरह की थी, जबकि केंद्र का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा था।
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