अभी एक और मिग-21 राजस्थान के बीकानेर में गिरकर खत्म हो गया। करीब दो सप्ताह पहले एक मिग-21 विमान जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के पास गिरकर खत्म हो गया था। जिसमें सवार पायलट अभिनंदन वर्धमान पाकिस्तान के विमान एफ-16 को खदेड़ रहे थे। यह पायलट अभिनंदन का सौभाग्य रहा है कि वह मिग से गिरकर दुश्मन के हाथ आ जाने के बाद भी सकुशल देश व वायुसेना के पास लौट आए। भारत के इन मिग-21 विमानों को वायुसेना ही नहीं आमजन भी ‘उड़ता हुआ ताबूत’ कहते हैं।
यह ताबूत इस लिए कहे जाते हैं कि यह न केवल पचास साल पुराने हो गए है बल्कि इनकी तकनीक भी बहुत पुरानी हो गई है। सेना के बार-बार मांग करने पर भी सरकार ने न तो इन विमानों को उड़ान से बाहर किया है न ही इनके बदले वायु सेना को नये विमान ही दिए गए हैं, जबकि मिग-21 विमान आये दिन गिर रहे हैं।
इन विमानों से जहां हमारे जांबाज पायलटों व वायु सैनिकों का जीवन बिना युद्ध किए खतरे में पड़ा हुआ है वहीं जब विमान गिरते हैं तब अनेक दफा मानवीय आबादी को भी चपेट में ले लेते हैं। हालांकि देश ने नए विमान भी विकसित कर लिए हैं, वायुसेना देश में निर्मित तेजस की भी सरकार से मांग कर चुकी है परन्तु भारत सरकार है कि लम्बी नींद से जग ही नहीं रही।
अभी देश में राफेल का मुद्दा गर्माया हुआ है जबकि यह विमान भी भारतीय वायुसेना को तीस साल पहले मिल जाना चाहिए था। राफेल खरीद हो रही है उसमें भी भारी भ्रष्टाचार होने का शोर थम ही नहीं रहा है। पता नहीं क्यों भारतीय राजनेताओं को देश व अपनी सुरक्षा की भी फिक्र क्यों नहीं है? रक्षा बजट में आये दिन भ्रष्टाचार की वजह से देश की दांव पर लगी सुरक्षा की खबरें सुर्खियां बनी रहती हैं। देश में राजनेता सरकार में आने के लिए हजारों करोड़ रूपये की फिजूल की योजनाओं का ताम-झाम उठाए रहते हैं, आबादी भी बस मुफ्त के सामान व सुविधाओं पर लट्टू हुई रहती है जबकि देश के महत्वपूर्ण काम साल नहीं बल्कि बीसियों सालों तक लटके रहते हैं।
एक तरफ भारत अपने आपको विश्व में उभर रही शक्ति बताता है, लेकिन हाल ये है कि इसके पास सेना ही नहीं, रेलवे, बांध, शिक्षा, सिंचाई, सामाजिक सुरक्षा, भरण-पोषण, पेयजल, सफाई जैसे अनेकों विषयों में उतना भी नहीं है जितना कि आज दुनिया में छोटे-छोटे व गरीब देशों के पास उपलब्ध है। देश के राजनेताओं को चाहिए कि वह भावी सरकारों में देश के महत्वपूर्ण सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सफाई जैसे मुद्दों का पहल के आधार पर हल करें, दिखावटी, फिजूलखर्ची व सरकार के पैसे से उपहार बांटना बंद करें।
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