भागवत ने कहा- 4-6 महीने की उथल पुथल के दौरान कुछ हो गया तो अच्छी बात है
प्रयागराज। कुंभ में चल रही विश्व हिंदू परिषद की धर्मसंसद के दूसरे और अंतिम दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा (Bhagwat Says- Take 4-6 Months To Build A Temple) कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर समय निर्णायक मोड़ में है। उन्होंने कहा- मैं समझता हूं कि 4-6 महीने (चुनावी वक्त) की उथल-पुथल के दौरान कुछ हुआ तो ठीक वरना उसके बाद तो कुछ जरूर होगा। यह हम सब देखेंगे। हालांकि, भागवत की इस बात पर कुछ संत नाराज हो गए और नारेबाजी करने लगे। संतों ने कहा कि अब विहिप और आरएसएस को समय नहीं देंगे। मंदिर निर्माण की तारीख चाहिए।
संघ प्रमुख ने कहा कि अगर जरुरत पड़ी तो हमें कहना पड़ेगा, अब धैर्य नहीं चलेगा। छह अप्रैल को एक करोड़ लोग विजय मंत्र का जाप करेंगे। भागवत ने कहा कि आगे अगर मंदिर निर्माण से जुड़ा हुआ कोई कार्यक्रम करेंगे तो उसका प्रभाव चुनाव पर पड़ेगा। मंदिर बनाना है तो मंदिर बनाने वालों को चुनना होगा। यह भी देखना होगा कि, मंदिर कौन बनाएंगे, यह मंदिर उद्गम और हिंदू राष्ट्र का वैभवशाली मंदिर होगा।
मंदिर निर्माण के लिए रखा गया प्रस्ताव
इससे पहले धर्मसंसद में महामंडलेश्वर अखिलेशानन्द महाराज ने राम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने (Bhagwat Says- Take 4-6 Months To Build A Temple) के लिए प्रस्ताव रखा। चर्चा के बाद संतों ने मोदी सरकार पर भरोसा जताते हुए कहा कि मंदिर निर्माण में बाधाओं को दूर करने के लिए अब जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। स्वामी चिन्मयानंद महाराज ने कहा कि कई वर्षों की तपस्या के बाद केंद्र में मोदी और प्रदेश में योगी सरकार है। पूरी उम्मीद है पीएम मोदी मंदिर निर्माण में कीर्तिमान स्थापित करेंगे।
शंकराचार्य ने 21 फरवरी को शिलान्यास का किया है ऐलान
इससे पहले परमधर्म संसद में धर्मादेश पारित कर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने वसंत पंचमी से अयोध्या कूचकर 21 फरवरी को राम मंदिर के लिए शिलान्यास की घोषणा की है। वहीं, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने भी शंकराचार्य के परम धर्मादेश का स्वागत व समर्थन करते हुए चार फरवरी के बाद अयोध्या कूच करने का निर्णय लिया है।
सबरीमाला और हिंदुओं के विघटन के इर्द-गिर्द रही धर्मसंसद
पहले दिन धर्म संसद सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश, हिंदू समाज के विघटन, धर्मांतरण, मिशनरी, साम्यवाद, कट्टरवादी इस्लामिक ताकतों के बढ़ते प्रभाव के इर्द-गिर्द रही। संतों ने मंच से देश की बदलती सियासत पर भी हमला बोला। मुस्लिम-दलित, क्षेत्र और जातिगत चुनावी गठबंधन को देश के लिए खतरा बताते हुए विदेशी ताकतों की साजिश बताया।
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