डॉ. एमएसजी की बदोलत अब सुखदुआ समाज के लोग भी बन रहे मद्दगार
सच कहूँ/सुनील वर्मा सरसा। आपने अकसर देखा होगा लोगों द्वारा किन्नरों को दुत्कारते, उन्हें गालियां देते, यहां तक कि उनके साथ बात न करने और ऐसी नजरों से देखते जिनमें सम्मान नाम की कोई चीज नहीं होती। वहीं इसके विपरित किन्नरों के हाथ भगवान के सामने हमेशा दूसरों की खुशियों की दुवाएं मांगने के लिए उठते आए हैं लेकिन इनके सम्मान के बारे में किसी ने नहीं सोचा। ऐसे में डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने किन्नरों को ‘सुखदुआ’ का नाम दिया।
इन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किया। इन्हें मानवता के मार्ग पर चलना सिखाया। पूज्य गुरु जी की शिक्षा का ही असर है कि आज सुखदुआ समाज के लोग गरीब और जरूरतमंद लोगों का दर्द बांटकर उनकी हर संभव मद्द कर रहे हैं। आज आपकों ऐसी ही सुखदुआ समाज की सदस्या कविता से परिचय करवा रहे हैं जिसने पूज्य गुरु जी से प्ररेणा पाकर 50 से अधिक गरीब कन्याओं का विवाह करवाया। जिला सरसा के गांव माद्योसिंघाना के इंद्रा कॉलोनी में रहने वाली कविता के जीवन का उद्देश्य अब सिर्फ जरूरतमंदों के लिए जीना है।
एक ओर बेटी के हुए हाथ पीले, ग्रामीणों ने की प्रशंसा
- सुखदुआ समाज की कविता गरीब कन्याओं की शादी करवा निभा रही इंसानियत का फर्ज
- बधाई से मिलने वाले पैसों से अब तक करवा चुकी 50 से अधिक युवतियों का विवाह
सुखदुआ समाज की सदस्य कविता ने गत दिवस ही गांव मोडियाखेड़ा निवासी नत्थूराम की पुत्री छन्नो की शादी में आर्थिक सहयोग किया और उसके परिवार की मद्द की। उन्हें गरीब परिवार की मद्द करते देख ग्रामीणों ने उसकी प्रशंसा की और उसे सच्ची सेवा बताया। कविता बताती है कि उसने अब जीवन का उदेश्य ही मानवता भलाई और जरूरतमंद लोगों की मद्द करने का बना रखा है। इसलिए वह हमेशा गरीब की मद्द के लिए आगे रहती है।
बधाई के रूप में मिलने वाली राशि भी मानवता को समर्पित
विवाह व किसी भी विशेष अवसर के दौरान सुखदुआ समाज की कविता को जो भी राशि बधाई के रूप में मिली है वो उसे एकत्रित करके गरीब कन्याओं के विवाह पर खर्च कर देती है। कविता ने ठाना है कि किसी कन्या की शादी गरीबी की वजह से नहीं रूकने देगी। कविता अब तक वह 50 से अधिक गरीब कन्याओं की शादी में आर्थिक सहयोग कर चुकी है। इसके अलावा अब तक चार गरीब परिवार की बेटियों की पूरी शादी का खर्च भी उठा चुकी है।
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Dera Sacha Sauda