सीबीआई के अंतरिम प्रमुख एम नागेश्वर राव ने जारी किया तबादला आदेश
- नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम प्रमुख बनाने पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट में है मामला
नई दिल्ली (एजेंसी) सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने 20 अफसरों के तबादले कर दिए हैं। इनमें 2जी घोटाले की जांच करने वाले विवेक प्रियदर्शी भी शामिल हैं। उन्हें चंडीगढ़ भेजा गया है। हालांकि, तबादला आदेश में यह स्पष्ट है कि संवैधानिक अदालतों के आदेश पर किसी भी मामले की जांच और निगरानी करने वाले अधिकारी अपने पद पर बने रहें।
पीएनबी घोटाले की जांच करने वाली शाखा में भेजे गए सरवन
आदेशानुसार, तमिलनाडु में स्टरलाइट-विरोधी प्रदर्शन गोलीबारी मामले की जांच कर रहे ए सरवनन को मुंबई की बैंकिंग, प्रतिभूति और फर्जीवाड़ा जांच शाखा में भेजा गया है। यह शाखा पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी समेत लोन फर्जीवाड़ा करने वालों की जांच कर रही है। स्टरलाइट-विरोधी प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 13 लोगों की मौत हुई थी।
आदेश में कहा गया है कि सरवनन स्टरलाइट-विरोधी प्रदर्शन गोलीबारी मामले की जांच करते रहेंगे। इसके अलावा सीबीआई की स्पेशल यूनिट में तैनात प्रेम गौतम को पदमुक्त कर दिया गया है। वे आर्थिक मामलों की जांच जारी रखेंगे। उन्हें उपनिदेशक (कार्मिक) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
अंतरिम प्रमुख की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर 24 जनवरी को सुनवाई
नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम प्रमुख बनाने का विरोध हो रहा है। एनजीओ कॉमन कॉज और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने उनकी नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। इस पर 24 जनवरी को सुनवाई होगी। सोमवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। उनका कहना था कि वे सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली उच्चस्तरीय समिति के सदस्य हैं, ऐसे में उन्हें इस पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति ने 10 जनवरी को आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ के पद से हटा दिया था।
वर्मा पर भ्रष्टाचार और कर्तव्य की उपेक्षा के आरोप हैं। 1979 की बैच के आईपीएस अफसर वर्मा को सिविल डिफेंस, फायर सर्विसेस और होम गार्ड विभाग का महानिदेशक बनाया गया था। हालांकि, उन्होंने सीबीआई चीफ के पद से हटाए जाने के अगले ही दिन नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। वर्मा का सीबीआई में कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा था। वर्मा को पद से हटाने वाली समिति में प्रधानमंत्री के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में जस्टिस एके सिकरी थे।
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