यूपी में लड़खड़ाती कानून व्यवस्था

False law system in UP

भड़की हुुई भीड़ की ओर से हिंसा की घटनाओं में उतरप्रदेश मुख्य समाचारों में रहा है। सुप्रीम कोर्ट की सख़्ती के बावजूद इस राज्य में दर्दनाक घटनाएं घटित होती रही हैं। ताजा घटना जिला गाजीपुर की है जहां भीड़ ने प्रधानमंत्री की रैली की ड्यूटी से वापिस लौट रही पुलिस टीम पर हमला कर दिया व एक सिपाही की मौत हो गई। पुलिस कर्मचारी एक वर्ग विशेष के लोगों की ओर से लगाए हुए जाम को खुलवाने की कोशिश कर रहे थे। अभी कुछ ही दिनों की बात है कि उतर प्रदेश के बुलंद शहर में एक पुलिस इंस्पैक्टर को भड़की भीड़ के हाथों अपनी जिदंगी गंवानी पड़ी। ऐसा लगता है जैसे राज्य में कानून नाम की कोई चीज न हो। हैरानी हो रही है कि योगी सरकार राज्य में मॉ- बलिंचिंग को स्वीकार करने के लिए तैयार ही नहीं हैं, वह हिंसा को घटना करार दे रहे हैं

। दरअसल पिछले दो सालों में देश में घटित हुई मॉ-बलिंचिंग की घटनाओं ने कट्टर लोगों में यह सोच पैदा कर दी है कि वह कुछ भी करें सरकार उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेगी। ऐसे मामले इतने उलझन भरे होते हैं कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करना मुश्किल होता है व कट्टरपंथी समूह आरोपियों को बचाने के लिए सरकार पर दबाव डालते हैं। कहने को तो मुख्य मंत्री आदित्यनाथ योगी अपराधियों पर नकेल कसने के दावे करते हैं परंतु वास्तविकता है कि राज्य में धर्म, जात, क्षेत्र के नाम पर सिर्फ कट्टरता व एकजुटता बढ़ी है। यह चिंतनीय पहलू है कि खुद मुख्य मंत्री आदित्यानाथ ऐसे बयान देते रहते हैं जो विभिन्न वर्गों में टकराव का कारण बनते हैं। कट्टर संगठनों के लोग अपने साथ संबंधित आरोपियों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं।

हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि जो पुलिस अमन कानून की सुरक्षा की गारंटी देती है, वह खुद ही अपराधियों की शिकार बनती जा रही है। सरकारी संस्थाएं भीड़ के आगे लाचार होती दिखाई दे रही है। यहां सरकार की नीयत पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। देश में सांप्रदायिक तनाव बहुत बड़ी समस्या है। ऐसे हालातों में अपराधियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की आशा नहीं की जा सकती। उतर प्रदेश आजादी के समय से ही सांप्रदायिक टकराव का शिकार रहा है। यदि अपराधी तत्व इसी तरह कानून की धज्जियां उड़ाते रहे तब राज्य में स्थिति और अधिक बिगड़ सकती है। सरकार अमन व भाईचारे को बरकरार रखने के लिए अपराधियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे।

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