गरीबी के दाग से मुक्त होता देश

Country free from poverty stains

नए वर्षागमन के अवसर पर देश के लिए यह एक खुशी भरी खबर है कि भारत में गरीबी तेजी से घट रही है।भारत का एक नकारात्मक पक्ष यह रहा है कि वह गरीब लोगों की तादाद के मामले में दुनिया में अग्रणी रहा है।लेकिन नए आंकड़ों के अनुसार अब ऐसा नहीं है।हाल ही में अमेरिकी शोध संस्थान ब्रुकिंग्स इंस्टिट्यूट ने अपनी रिपोर्ट ‘रिथिंकिंग ग्लोबल पावर्टी रिडक्शन इन 2019’ में बताया है कि भारत बहुत तेजी के साथ अत्यधिक गरीबी में कमी ला रहा है।यह विश्व में सबसे अधिक है।भारत में प्रतिदिन 1.90 डॉलर से कम में अपना जीविकोपार्जन करने वाले लोगों की संख्या 2018 के अंत तक पांच करोड़ रह जाने की उम्मीद है। वहीं 2011 में ऐसे लोगों की संख्या लगभग 26.8 करोड़ थी।अर्थात करीब 21 करोड़ लोग गरीबी के दाग से मुक्त हुए हैं।इस रपट में यह उल्लेख है कि 2019 की शुरूआत में अत्यधिक गरीबी 8 फीसदी से नीचे आ जाएगी।इस रपट में उल्लेखनीय बात यह भी कही गई है कि दुनिया ने शायद भारत की गरीबी पर उपलब्धियों को कम करके आंका है।गौरतलब है कि छह माह पहले भी जून में भी ब्रुकिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारत में गरीबों की तादाद में तेजी से कमी आ रही है और भारत में गरीबी घटाने की दर सर्वाधिक दर्ज की गई है।

इस रपट के हिसाब से भारत अब गरीबी के मामले में दुनिया में तीसरे पायदान पर आ गया है।अब अगर इस रिपोर्ट के अलावा भी बात करें तो इससे पहले कुछ समय पूर्व संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की 2018 बहुआयामी वैश्विक गरीबी सूचकांक रिपोर्ट में भी यह बताया गया था कि 2005-06 से 2015-16 तक पिछले एक दशक में भारत में करोडों लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले है।आंकड़े जो भी हो यह बात पुख्ता हो रही है कि भारत तेजी के साथ गरीबी से मुक्त हो रहा है।हालांकि दुनिया में गरीबी का पैमाना हर देश में अलग अलग तय है।अभी तक भारत गरीबी के मामले में दुनिया में शीर्ष पर काबिज था जो देश के लिए एक दाग की तरह था।हाल के वर्षों में गरीबी उन्मूलन हेतु कारगर प्रयास किए गए है।गरीबी दूर करने के दो रास्ते है।पहला गरीब का सहारा बनकर उसके साथ चलना,और दूसरा तरीका है उन्हें खुद सशक्त बनाना ताकि वो अपने आप आगे बढ़ सके।इसमें दूसरा तरीका अधिक कारगर है।इसी तरह के प्रयासों का ही नतीजा है कि अब गरीब आर्थिक,सामाजिक और मानसिक रूप से मजबूत हो रहा है।मुख्य तौर पर विकास में उच्च खर्च और ऊंची वृद्धि दर से भारत में अति गरीबी तेजी से घटी है।टिकाऊ विकास लक्ष्य को केंद्र में रखते हुए जो अनेक योजनाएं बनाई गई है वो प्रभावशाली रही है।

हालांकि गरीबी उन्मूलन के प्रयास लंबे समय से जारी है।इसके परिणाम अचानक ही सामने आने की बात भी नहीं कहीं जा सकती।यह सतत रूप से जारी विकास प्रक्रिया से संभव हो रहा है।मनरेगा, उज्ज्वला योजना,सामाजिक बीमा कार्यक्रम, क्रेडिट, आवश्यक पेंशन, खाद्यान्न सुरक्षा, गरीबों को घर बनाने के लिए सरकार की तरफ से आर्थिक मदद देना आदि सरकारी योजनाओं से आर्थिक रूप से वंचित लोग विभिन्न सामाजिक और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच हासिल कर रहे हैं। कम आय वाले और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए बीमा योजनाएं काफी कारगर है।ग्राम केंद्रित योजनाओ ने व्यापक क्षेत्र में फैली ग्रामीण गरीबी को कम करने में अधिक मदद की है। गरीबी ग्रामीण क्षेत्रों में वहां की कृषि आधारित गतिविधियों पर ज्यादा केंद्रित रही है।इस संदर्भ में किए जा रहे सरकारी प्रयासों को देखें तो वहां पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि,कृषि बीमा, ऋण, मनरेगा और मूलभूत ग्रामीण आवश्कताओं की पूर्ति ने इस दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।हालांकि गरीबी को जड़ से मिटाने हेतु आगे की चुनौतियां भी कम नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रायोजित टिकाऊ विकास लक्ष्य के अन्तर्गत 2030 तक दुनिया से गरीबी को मिटाना है।इसी लक्ष्य को केंद्र में रखकर काम किया जाना बहुत जरूरी है। बड़ी बात यह है कि इस लक्ष्य को आसानी से प्राप्त करने के लिए हमें नियमित तौर पर 7 से 8 फीसदी की विकास दर बना कर रखनी होगी इसके इतर गरीबी रेखा में भी एक स्थायित्व होना चाहिए।आर्थिक विशेषज्ञों की मानें तो इसे हर बार नए सिरे से परिभाषित करने से विषमताएं पैदा होंगी और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदो तक नहीं पहुंच पाएगा।अगर निर्धारित लक्ष्य को समय से पहले हासिल किया जा सके तो यह देश विकास के लिए और भी बेहतर होगा।गरीबी का सबसे बड़ा नकारात्मक पक्ष यह है कि गरीबी की स्थिति में समाज के एक बड़े तबके में तरह तरह के सामाजिक विकार उत्पन्न होते है जो समाज के लिए एक बीमारी की तरह होते है।गरीबी मिटाने के साथ ही उन विकारों का उन्मूलन भी होना चाहिए जो पहले से जमे हुए है।

भारत के संदर्भ में देखें तो गरीबी उन्मूलन के लिए देश में निश्चित आय देने वाली सामाजिक सुरक्षा योजनाएं काफी लाभकारी सिद्ध हो सकती हैं।आने वाले समय में शिक्षा और स्वास्थ्य पर किए जाने वाले जीडीपी खर्च को गुणात्मक रूप से बढ़ाने की आवश्यकता है।इसके अलावा लोगों तक सीधा और पूरा लाभ पहुंचाने के लिए पारदर्शिता कायम करना जरूरी है। तकनीक के अधिक उपयोग से गवर्नेंस इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाना और साथ ही साथ आधारभूत संरचना को विश्व स्तरीय बनाने की ओर कदम बढ़ाना बहुत जरूरी है।शिक्षा ,स्वास्थ्य ,बिजली,पेयजल आदि की पहुंच अंतिम वंचित व्यक्ति तक पहुंचाना भी चुनौती है।सबसे बड़ी चुनौती है सभी को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना,आजीविका के सृजन और विषमताओं की समाप्ति। इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए तेजी से कार्य करना होगा।अगर बिना किसी रुकावट के गतिशीलता के साथ आगे बढ़ते रहे तो ही भारत गरीबी से पूर्ण रूप से मुक्त हो पाएगा।

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